उन्होंने गर्भाधान के पहले और बाद में आहार-विहार सोच पर और उसके प्रभाव के बारे में बताया। यह भी बताया कि योग, ध्यान करने वाली महिलाओं में तनाव का स्कोर कम होता है। इसका असर उनके स्वयं के और बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। वे ब्ल्ड प्रेशर, डिप्रेशन की समस्या से दूर रहती हैं। उन्होंने कहा कि इस विषय पर बड़ी संख्या में रिसर्च हो चुके हैं। इनमें गायत्री परिवार, कैम्बि्रज यूनिवर्सिटी, मन: शक्ति केन्द्र लोनावाला व डॉ सक्सेना का स्वयं का रिसर्च भी शामिल है।
डॉ. पुष्पा पांडे ने महिलाओं के स्वास्थ्य में अध्यात्म के प्रभाव विषय पर भी रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। देशभर से आए चिकित्सकों ने गर्भ संस्कार के वैज्ञानिक महत्व, गर्भ निरोधक, सुरक्षित गर्भपात, बढ़ते सिजेरियन ऑपरेशन की रोकथाम के प्रयास पर व्याख्यान दिए। पक्षपात व प्रधानमंत्री सुरक्षा मातृत्व अभियान योजना जैसे विषय पर सामाजिक कार्यकर्ताओं व विशेषज्ञों ने अपना पक्ष रखा। कार्यक्रम में सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा, एनएचएम डायरेक्टर डॉ. अर्चना मिश्रा, डॉ. मोहंती, रानी दुर्गावती अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने भी अपनी बातें रखी।
परिचर्चा में मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. डीपी लोकवानी, एड. आदित्य संघी, गीता शरद तिवारी, जिला पंचायत सीइओ सलोनी सिडाना ने अपना पक्ष रखा। समापन समारोह का संचालन डॉ. ऋचा धीरावाणी ने किया। सम्मेलन के सभी आयोजकों व अन्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। शोध पत्र, पोस्टर व क्विज के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया। इस अवसर पर डॉ. कविता एन. सिंह, डॉ अलका अग्रवाल, डॉ अनुराधा डांग मौजूद थीं।
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