चीन
के
प्रोपेगेंडा
का
नया
चेहरा
बनी
महिलाएं
ऑस्ट्रेलिया
स्थिति
थिंक
टैंक
‘फ्रंटियर
इन्फ्लुएंसर्स:
द
न्यू
फेस
ऑफ
चाइनाज
प्रोपेगैंडा’
ने
चीन
के
प्रोपेगेंडा
को
लेकर
एक
रिपोर्ट
प्रकाशित
की
है,
जिसमें
ऑस्ट्रेलियन
स्ट्रेटेजिक
पॉलिसी
इंस्टीट्यूट
ने
शिनजियांग,
तिब्बत
और
इनर
मंगोलिया
के
अलावा
अपने
अशांत
सीमांत
क्षेत्रों
की
महिलाओं
को
दुनिया
के
सामने
आगे
करना
शुरू
कर
दिया
है
और
ये
महिलाएं
दुनिया
के
सामने
गलते
सूचनाएं
रखती
हैं
और
दुनिया
को
बर्गलाने
का
काम
करती
हैं।
ये
महिलाएं
उन
बनाई
गई
सामग्रियों
को
दुनिया
के
सामने
लाकर
चीन
के
दमन
को
ढंकने
का
प्रयास
करती
हैं,
जिनकतो
लेकर
चीन
की
आलोचना
होती
है।
ये
महिलाएं
दुनिया
के
सामने
फर्जी
सूचनाओं
को
पहुंचाने
के
लिए
इंटरनेट
पर
अपने
प्रभाव
का
इस्तेमाल
करती
हैं
और
गलत
संवाद
करती
हैं।
सोशल
मीडिया
प्लेटफॉर्म्स
का
इस्तेमाल
थिंक
टैंक
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
मानवाधिकारों
के
उल्लंघन
के
अपने
रिकॉर्ड
को
मिटाने
के
लिए
चीन
का
ये
नया
प्रोपेगेंडा
काफी
हद
तक
अमेरिकी
सोशल
मीडिया
और
पश्चिमी
देशों
के
नीति
निर्माताओं
की
नाक
के
नीचे
किया
जा
रहा
है
और
ये
प्रभावकारी
महिलाएं
अपने
अपने
क्षेत्रों
को
लेकर
बनाए
गये
प्रोपेगेंडा
को
इस
तरह
से
उनके
सामने
रखती
हैं,
ताकि
लगे
कि
उन
क्षेत्रों
की
स्थिति
काफी
अच्छी
है।
रिपोर्ट
बताती
है
कि,
फ्रंटियर-इन्फ्लुएंसर
सामग्री
मूल
रूप
से
चीन
ने
पहले
अपनी
घरेलू
प्रचार
की
जरूरतों
को
पूरा
करने
के
लिए
बनाना
शुरू
किया
और
उन
महिलाओं
के
वीडियो
को
चीनी
सोशल
मीडिया
पर
फैलाना
शुरू
किया,
ताकि
चीन
के
अलग
अलग
क्षेत्रों
के
लोगों
को
बर्गलाया
जाए।
लेकिन,
बाद
में
चीन
ने
उन
वीडियोज
को
यूट्यूब
पर
डालना
शुरू
कर
दिया,
ताकि
पूरी
दुनिया
को
गुमराह
किया
जा
सके।
ये
प्रभावकारी
महिलाएं
चायनीज
कम्युनिस्ट
पार्टी
के
मुताबिक
काम
करती
हैं
और
पूरी
तरह
से
उनके
कंट्रोल
में
रहती
हैं।
दुनिया
से
वैचारिक
मुकाबला
ऑस्ट्रेलियन
थिंक
टैंक
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है,
कि
“यूट्यूब
को
चीनी
कम्युनिस्ट
पार्टी
द्वारा
बाहरी
दुनिया
के
साथ
अपने
वैचारिक
मुकाबला
करने
के
लिए
प्रोपेगेंडा
वार
के
तौर
पर
इस्तेमाल
किया
जाता
है
और
हाल
के
महीनों
में
चीन
ने
यूट्यूब
का
काफी
तेजी
से
इस्तेमाल
किया
है।”रिपोर्ट
के
अनुसार,
प्रभावकारी
महिलाएं
जो
वीडियो
यूट्यूब
पर
अपलोड
करती
हैं,
वो
काफी
साधारण
तरीके
से
बनाया
गया
होता
है,
ताकि
वो
अत्यधिक
प्रामाणिक
लगे।
इसके
साथ
ही
वीडियो
का
कंटेट
इस
तरह
से
तैयार
किया
जाता
है,
ताकि
वो
ऐसा
लगे,
कि
वो
वीडियो
चीन
की
सरकार
की
मर्जी
के
खिलाफ,
यानि
चोरी-छिपे
तरीके
से
चीन
के
बाहर
लाई
गईं
हैं।
ये
वीडियो
इस
तरह
से
तैयार
किए
जाते
हैं,
ताकि
लगे
कि
किसी
निजी
प्रभावकारी
महिला
ने
उसे
अकेले
तैयार
किया
है,
लेकिन
असल
में
उस
वीडियो
को
प्रोफेशनल्स
की
टीम
तैयार
करती
हैं
और
ऐसे
वीडियोज
को
तैयार
करने
के
लिए
मैनेजमेंट
एजेंसियों
का
सहारा
लिया
जाता
है।
धोखा
देने
वाले
वीडियो
का
निर्माण
यूट्यूब
जैसे
पश्चिमी
देशों
के
सोशल
मीडिया
प्लेटफॉर्म
पर
ऐसी
महिलाओं
को
उपस्थिति
भरी
पड़ी
है
और
रिपोर्ट
में
पाया
गया
है
कि,
उनकी
सावधानीपूर्वक
जांच
की
जाती
है
और
उन्हें
“राजनीतिक
रूप
से
विश्वसनीय”
माना
जाता
है।
रिपोर्ट
में
ये
भी
कहा
गया
है,
कि
“उनके
द्वारा
बनाई
गई
सामग्री
को
YouTube
पर
प्रकाशित
होने
से
पहले
उनके
एमसीएन
और
घरेलू
वीडियो
प्लेटफॉर्म
से
सेल्फ-सेंसरशिप
और
काफी
सख्त
सर्विलांस
किया
जाता
है
और
उसके
बाद
ही
उन
वीडियो
को
यूट्यूब
पर
अपलोड
करने
दिया
जाता
है।
थिंक
टैंक
ने
एक
केस
स्टडी
का
इस्तेमाल
यह
दिखाने
के
लिए
किया
है,
कि
कैसे
चायनीज
कम्युनिस्ट
पार्टी
द्वारा
सीधे
सीमांत
प्रभावितों
की
सामग्री
को
कमीशन
किया
गया
था।
रिपोर्ट
में
यह
भी
दिखाया
गया
है
कि,
कैसे
गुली
अब्दुशुकुर
नाम
की
एक
युवा
महिला,
जो
उइगर
मुस्लिमों
की
जमात
से
आती
हैं
और
प्रभावशाली
महिला
हैं,
उन्होंने
अप्रैल
2019
में
अपने
YouTube
चैनल
‘एनी
गुली’
पर
अपने
परिवार
की
जीवन
शैली
के
बारे
में
एक
वीडियो
पोस्ट
किया
था
और
29
अगस्त,
2022
तक
उस
वीडियो
को
604,574
बार
देखा
गया।
अब्दुशुकुर
के
वीडियो
को
154,000
लोगों
ने
लाइक
किया
था।
इस
वीडियो
को
देखने
पर
यही
पता
चलता
है,
कि
चीन
के
उइगर
मुस्लिमों
का
परिवार
कितना
खुशहाल
होता
है।
बेहद
शातिर
होती
हैं
ये
महिलाएं
इन
प्रभावशाली
महिलाओं
का
उद्येश्य
विदेशी
मीडिया
में
शिनजियांग
में
मानवाधिकार
के
हनन
को
झूठा
साबित
करना
होतचा
है।
ऑस्ट्रेलियन
स्ट्रैटेजिक
पॉलिसी
इंस्टीट्यूट
की
रिपोर्ट
के
अनुसार,
एक
वीडियो
में
महिला
अब्दुशुकुर
ऑनलाइन
चर्चा
में
भाग
लेने
वाले
विदेशी
पत्रकारों
से
कह
रही
हैं,
कि
वह
शिनजियांग
को
विदेशी
पत्रकारों
की
असत्य
रिपोर्टों
से
बचाएगी
और
अपनी
मातृभूमि
की
सुंदरता
का
प्रदर्शन
करेगी।
चीन
पर
उग्रवाद
को
रोकने
के
बहाने
उइगरों
और
अन्य
मुस्लिम
बहुल
समुदायों
के
खिलाफ
मानवाधिकारों
के
हनन
के
गंभीर
आरोप
लगते
रहे
हैं।
अगस्त
2022
में
जारी
एक
रिपोर्ट
में,
संयुक्त
राष्ट्र
मानवाधिकार
कार्यालय
ने
कहा
कि,
सरकार
ने
अपने
आतंकवाद-रोधी
उपायों
के
तहत
शिनजियांग
क्षेत्र
में
काफी
अत्याचार
किए
हैं।
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