नागपुर. एक तरफ राज्य में गौ हत्या कानून लागू किया गया है. कठोर कार्रवाई करने के प्रावधान होने के बावजूद गौ तस्करी तेजी से बढ़ रही है. मध्य भारत में नागपुर गौ तस्करी का बड़ा हब बनता जा रहा है. खुद को गौ रक्षक बताने वाले ही भक्षक बन गए है. गाड़ी पकड़वाने के नाम पर अपराधी वसूली कर रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि अब गाय काटने वालों में किसी का डर नहीं रहा. गौ तस्करी करने वाले कसाई एकजुट होकर सभी से निपटने के लिए तैयार है. यदि इन्हें जल्द रोका नहीं गया तो शहर में बड़ी घटना हो सकती है. जानकारों का कहना है कि अब तस्करों ने आमने-सामने की लड़ाई करने के लिए अपनी गैंग बना ली है. कहीं भी कोई वाहन रोके जाने पर सीधे उड़ाने के निर्देश चालकों को दिए गए हैं. इससे समझा जा सकता है कि गौ तस्करों की हिम्मत कितनी बढ़ गई है.
पहले मवेशी अब मांस की तस्करी
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और विदर्भ प्रांत से कसाई मवेशियों की खरीद-फरोख्त करते हैं. पहले मवेशियों को सीधे ट्रकों में ठूंसकर हैदराबाद भेजा जाता था. लेकिन रास्ते में कई नाके और पुलिस चौकियां पार करनी पड़ती थीं. इससे जिंदा मवेशियों को ले जाने से पकड़े जाने का डर रहता था. इसीलिए अब तस्करों ने अब गौमांस की तस्करी शुरू कर दी है. कामठी में हाजी, गड्डीगोदाम और पांचपावली में डॉक्टर ने छोटे कसाइयों से जबरदस्त तरीके की सेटिंग कर रखी है. यहां कई घरों के भीतर कतलखाने चल रहे हैं. एक-एक कसाई दिन में 4 से 5 गाय काट डालता है. बाद में सारा मांस कंटेनर में भरकर हैदराबाद भेजा जाता है. आरिफ, मोबिन, गुड्डू, गनी, अहतशाम और जमशेद सहित कई तस्कर इस काम में लिप्त हैं.
ठंडी पड़ी पुलिस की कार्रवाई
कुछ महीने पहले तक तो पुलिस ने गौ तस्करों के खिलाफ जबरदस्त अभियान चला रखा था. इससे पांचपावली के महेंद्रनगर, टेका, यशोधरानगर, कामठी, जूनी कामठी, गड्डीगोदाम और मोमिनपुरा में कई बार छापेमारी की गई. हर बार पुलिस को सफलता भी मिली है. बड़े पैमाने पर मवेशियों को कतलखानों से बचाया गया लेकिन अब अचानक पुलिस की कार्रवाई ठंडी पड़ने का कारण क्या है. न तो पुलिस को मवेशियों से लदी गाड़ियां मिल रही हैं और न उपरोक्त इलाकों में कोई छापेमारी हो रही है. छोटे विक्रेताओं पर तो पुलिस की नजर है लेकिन गाय और गौ मांस की तस्करी करने वाले कॉलर टाइट करके घूम रहे हैं.
अपराधी भी कर रहे वसूली
पहले बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता गाय से लदे वाहन पकड़वाने के लिए पुलिस को टिप देते थे. कई बार तो खुद कार्यकर्ताओं ने वाहन पकड़े लेकिन जिस तरह से गौ तस्करों की हिम्मत बढ़ रही है कोई आगे नहीं आना चाहता. इसकी मुख्य वजह यह है कि कसाई और तस्कर मरने-मारने को तैयार हो गए है. अब इसका फायदा अपराधी उठा रहे है. बूटीबोरी परिसर से शराब का धंधा करने वाले अपराधी अब गौ तस्करी करने वालों से वसूली कर रहे हैं. खुद को गौ रक्षक बताकर गाड़ियां रोकते हैं. बाद में सेटिंग कर लेते हैं. हिंदू अपराधियों द्वारा इस तरह का काम किए जाने से अब अपराध जगत में उनकी थू-थू हो रही है.
नागपुर के रास्ते हो रहा ट्रांसपोर्ट
जानकारों का कहना है कि एमपी, छत्तीसगढ़ और पूरे विदर्भ से मवेशियों की तस्करी नागपुर के रास्ते हो रही है. असल में अन्य राज्यों और जिलों से सिटी के तस्कर मवेशियों का सौदा करते हैं. सबसे ज्यादा गाय और मांस नागपुर से ही हैदराबाद भेजा जाता है. वहां से मांस विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाता है. हैदराबाद जाने के लिए वाहनों को नागपुर से ही गुजरना होता है. जबलपुर-हैदराबाद बाईपास रोड से मवेशियों और मांस से लदे वाहन जाम और वरोरा होते हुए हैदराबाद जाते हैं. यहां गौ तस्करों ने भी अपने पंटरों को सक्रिय कर रखा है. पुलिस और गौ रक्षकों की हलचल होते ही ट्रकों को खेत के किनारे खड़े कर दिया जाता है. रास्ता साफ होते ही वाहन निकाल दिए जाते हैं.
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