जानिए: कैसे बढ़ा साल दर साल क्राइम..
क्र.स शीर्षक 2020 2021 2022 (अक्टूबर तक)
1 हत्या 1459 1516 1581
2 हत्या
का प्रयास 1742 1768 2202
3 डकैती 67 66 89
4 लूट 945 1264 1391
5 व्यपहरण/
अपहरण 5243 6596 7726
6 बलात्कार 4497 5452 6145
7 नकबजनी 4842 5816 6786
8 चोरी 23677 29605 34749
9 अन्य 120079 130636 147069
अपराध के यह आंकड़े तीन साल में अक्टूबर तक के महीने तक के है। जिसके लिहाजा राजस्थान में पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा मामले अपहरण के दर्ज हुए है। इसके बाद दूसरे नंबर पर लूट के मामले सबसे ज्यादा सामने आए है।
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तीन साल में अपहरण के मामलों में 47.36 फीसदी और लूट के मामलों में 47.20 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। जिनमें पुलिस ने अपहरण—व्यपहरण के 70.44 फीसदी मालों में एफआर लगा दी है। इसके अलावा साल 2022 में अक्टूबर तक कुल दो लाख सात हजार 944 मुकदमें दर्ज हुए है। जिसमें से 54727 मामले अभी पेंडिंग है। जिनमें जांच कार्रवाई अभी जारी है।
हालिया अपहरण के दो बड़े मामले..
केस 1 — राजधानी जयपुर में 22 नवंबर को कांग्रेस नेता व पूर्व राज्य मंत्री गोपाल केसावत की बेटी का दिनदहाड़े अपहरण होने का मामला सामने आया है। पुलिस की ओर से आरोपियों की तलाश की जा रहीं है। लेकिन अब तक आरोपियों का कोई सुराग नहीं लग सका है।
केस 2 — 3 नवंबर को मांग्यावास निवासी मुकेश सैनी घर से नौकरी करने के लिए निकला। लेकिन वापस घर नहीं लौटा। इस मामले में परिजनों की ओर से अपहरण करने के आरोप लगाए गए। लेकिन पुलिस को अब तक इस मामले में मुकेश का कोई सुराग नहीं मिला।
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रेप के 36 % से ज्यादा मामले बढ़े…
राजस्थान में क्राइम रेट लगातार बढ़ती जा रहीं है। सरकार और पुलिस मुख्यालय की ओर से भले ही क्राइम रेट को लेकर कुछ भी दावे किए जाएं। लेकिन हकीकत यह है कि क्राइम रेट लगातार बढ़ रहीं है। जिसमें मर्डर, मर्डर का प्रयास और रेप जैसे संगीन अपराध भी लगातार बढ़ रहें है। साल 2020 से 2022 तक अक्टूबर तक की रिपोर्ट की बात करें तो बलात्कार के 36.65 प्रतिशत, हत्या के 8.36, हत्या के प्रयास के 26.64 व डकैती के 32.84 फीसदी मामले बढ़े है। लेकिन इन अपराधों में अपहरण, लूट के बाद रेप के मामले भी ज्यादा बढ़े है।
इनका कहना है..
राजस्थान में पुलिस की ओर से सभी मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। इसलिए अपराध के आंकड़े बढ़ते हुए दिख रहे हैं। लेकिन जांच के दौरान इनमें से अधिकांश मामले झूठे पाए जाते हैं। ऐसे में आंकड़ों के आधार पर अपराध का ग्राफ नहीं देखा जा सकता है।
डॉ रवि प्रकाश मेहरड़ा, एडीजी क्राइम
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