पुंछ में सर्कस में विभिन्न झूलों और के साथ अन्य प्रकार के मनोरंजन के लिए पहुंचे लोग
– फोटो : POONCH
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पुंछ। एक तरफ जहां भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर जारी संघर्ष विराम से नियंत्रण रेखा से सटे क्षेत्रों के लोग राहत की सांस ले रहे है। वहीं इन दिनों क्षेत्र में शांति का असर पुंछ नगर में भी देखने को मिल रहा है। जहां नगर में पुलस्त नदी से कुछ दूरी पर लगे सर्कस में देर रात तक हजारों महिलाएं, पुरुष और बच्चे मौज मस्ती करते, घूमते, खरीदारी करते, खानपान का लुत्फ उठाते और विभिन्न प्रकार के झूलों में सवारी करते दिखाई देते हैं।
दशकों बाद पुंछ नगर में इस प्रकार लगे सर्कस में आने वाले लोगों महिलाओं वंदना मिसरी, नीतू शर्मा, शबनम कौसर, शाहीन अख्तर, रविंद्र कौर, सतविंदर सिंह, संजीव कुमार और शफीक हुसैन का कहना है कि एक तरफ कई वर्षों ने नियंत्रण रेखा पर होने वाली गोलाबारी के चलते पुंछ नगर में इस प्रकार का कोई आयोजन नहीं हो पता था, क्योंकि नगर के तीन तरफ पहाड़ों पर स्थित पाकिस्तानी सेना की चौकियों से की जाने वाली गोलाबारी के दौरान कई बार नगर में भी गोले गिरते थे। इससे हर किसी के दिल में डर सा रहता था। वहीं तीन वर्षों से 370 हटने और दो वर्षों के कोरोना काल में हर कोई घरों में बंद रह कर ऊब सा गया था। उसके बाद इस प्रकार पुंछ में लगे सर्कस में आने से मान प्रसन्न हो जाता है। बच्चे भी काफी खुश हो रहे हैं।
जहां पुंछ के बाजार रात आठ बजे तक बंद हो जाते हैं, वहीं यहां सर्कस में आने पर देर रात तक हर वस्तु एवं स्वादिष्ट व्यंजन भी उपलब्ध होने से हम सब काफी खुश हैं।
उधर सर्कस के संचालक नरेश कुमार का कहना है कि कोरोना काल के बाद पुंछ के लोगों को इस प्रकार का मनोरंजन उपलब्ध कराने के लिए ही हमने यहां यह सब लगाया है। लोगों का काफी अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है। शाम ढलते ही यहां लोगों का आना शुरू होता है और देर रात तक लोग यहां रहते हैं। वैसे तो हम अगले एक सप्ताह में इसे बंद कर यहां से दूसरे स्थान पर जाने का विचार कर रहे हैं। इसलिए हम उन लोगों का भी आह्वान करते हैं जो अभी यहां नहीं आए हैं वह भी एक बार यहां आएं।
पुंछ। एक तरफ जहां भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर जारी संघर्ष विराम से नियंत्रण रेखा से सटे क्षेत्रों के लोग राहत की सांस ले रहे है। वहीं इन दिनों क्षेत्र में शांति का असर पुंछ नगर में भी देखने को मिल रहा है। जहां नगर में पुलस्त नदी से कुछ दूरी पर लगे सर्कस में देर रात तक हजारों महिलाएं, पुरुष और बच्चे मौज मस्ती करते, घूमते, खरीदारी करते, खानपान का लुत्फ उठाते और विभिन्न प्रकार के झूलों में सवारी करते दिखाई देते हैं।
दशकों बाद पुंछ नगर में इस प्रकार लगे सर्कस में आने वाले लोगों महिलाओं वंदना मिसरी, नीतू शर्मा, शबनम कौसर, शाहीन अख्तर, रविंद्र कौर, सतविंदर सिंह, संजीव कुमार और शफीक हुसैन का कहना है कि एक तरफ कई वर्षों ने नियंत्रण रेखा पर होने वाली गोलाबारी के चलते पुंछ नगर में इस प्रकार का कोई आयोजन नहीं हो पता था, क्योंकि नगर के तीन तरफ पहाड़ों पर स्थित पाकिस्तानी सेना की चौकियों से की जाने वाली गोलाबारी के दौरान कई बार नगर में भी गोले गिरते थे। इससे हर किसी के दिल में डर सा रहता था। वहीं तीन वर्षों से 370 हटने और दो वर्षों के कोरोना काल में हर कोई घरों में बंद रह कर ऊब सा गया था। उसके बाद इस प्रकार पुंछ में लगे सर्कस में आने से मान प्रसन्न हो जाता है। बच्चे भी काफी खुश हो रहे हैं।
जहां पुंछ के बाजार रात आठ बजे तक बंद हो जाते हैं, वहीं यहां सर्कस में आने पर देर रात तक हर वस्तु एवं स्वादिष्ट व्यंजन भी उपलब्ध होने से हम सब काफी खुश हैं।
उधर सर्कस के संचालक नरेश कुमार का कहना है कि कोरोना काल के बाद पुंछ के लोगों को इस प्रकार का मनोरंजन उपलब्ध कराने के लिए ही हमने यहां यह सब लगाया है। लोगों का काफी अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है। शाम ढलते ही यहां लोगों का आना शुरू होता है और देर रात तक लोग यहां रहते हैं। वैसे तो हम अगले एक सप्ताह में इसे बंद कर यहां से दूसरे स्थान पर जाने का विचार कर रहे हैं। इसलिए हम उन लोगों का भी आह्वान करते हैं जो अभी यहां नहीं आए हैं वह भी एक बार यहां आएं।
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