ऑनलाइन ठगी के इस अरबों-खरबों के काले कारोबार में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. साइबर अपराधी या फिर हैकर्स. एशिया में तो यही दोनों सबसे ज्यादा भारतीय बैंकिंग फाइनेंशियल और इंश्योरेंस सेक्टर (BFSI) को तबाह करने में जुटे हैं.
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इन दिनों ऑनलाइन साइबर अपराध और अपराधियों ने दुनिया की नाक में दम कर रखा है. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन भारत हो या फिर दुनिया का कोई और देश. हर देश की खुफिया और जांच एजेंसियां इन ऑनलाइन साइबर ठगों से खार खाए बैठी हैं. क्योंकि जब तक इन्हें पकड़ने के लिए हाथ पांव मारे जाते हैं तब तक, यह साइबर अपराधी घर बैठे कहीं किसी दूसरी जगह बड़ी ऑनलाइन ठगी की घटना को अंजाम दे देते हैं. इसके लिए बात अगर भारत की करें तो, यहां जामताड़ा के साइबर ठगों का आतंक है. अब मगर जो नई बात निकलकर सामने आ रही है, वो सावधान करने के साथ डराने वाली भी मानी जा रही है. इसके मुताबिक हमारे-आपके खातों पर विदेशी ठगों की भी खुफिया नजरें जम चुकी हैं.
मतलब देश, जगह, काल-पात्र कोई भी हो. इन ऑनलाइन ठगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. वे साइबर ठगी की घटना को अंजाम देने में उस हद तक के ‘मास्टरमाइंड’ हो चुके हैं, जिनकी कारस्तानियों ने दुनिया के 195 देशों के सबसे बड़े इकलौते साझा अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन यानी इंटरपोल (Interpol) को भी पानी पिला रखा है. हाल ही में भारत में आयोजित इंटरपोल की आम-महासभा में भी यह मुद्दा उछला था. इंटरपोल के सदस्य देशों की बात छोड़िए, इंटरपोल के कर्ताधर्ताओं ने ही यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए कि, इंटरपोल से क्रिप्टोकरेंसी जैसा ऑनलाइन अपराध तक काबू नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इंटरपोल के तमाम सदस्य देशों की तुलना में, ऑर्गनाइज्ड और साइबर अपराधों को अंजाम देने वाले कहीं ज्यादा तेज दिमाग वाले तैयार हो चुके हैं. जिसकी काट अगर नहीं मिली तो आने वाला वक्त इन्हीं साइबर अपराधियों का होगा.
पहले ठगी के लिए जाना जाता था जामताड़ा
इंटरपोल की उस आम महासभा के बाद दुनिया भर में, साइबर अपराध और अपराधी एक बार फिर से हर देश में चर्चा का विषय बन गए. हिंदुस्तानी जांच और खुफिया एजेंसियों की मानें तो अब इन अपराधियों की नजरें भारतीय बैंकिंग सिस्टम तक पहुंच चुकी हैं. अब तक देश में सामने आने वाले ऐसे साइबर क्राइम के ऑनलाइन ठगी के मामलों में मुख्य रूप से जामताड़ा और वहां पाले-पोसे जा रहे अपराधियों का नाम प्रचलित था. अब यह काम विदेशी ठगों ने शुरू कर दिया है. विशेषकर बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में. जोकि किसी भी देश के समग्र इकोनॉमिक डेवलपमेंट पर व्यापक खतरा डालने के लिए काफी है.
साइबर अपराधी और हैकर्स का फैल रहा जाल
आइए जानते हैं कि आखिर आज डिजिटलीकरण के इस आधुनिक दौर में साइबर अपराधियों की सोच और उनके हाथ घर बैठे ही कहां तक पहुंच चुके हैं? इस बारे में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के पूर्व डीसीपी और साइबर अपराधियों की नकेल कसने में माहिर माने जाने वाले एल एन राव ने टीवी9 भारतवर्ष से कहा, ‘ऑनलाइन ठगी के इस अरबों-खरबों के काले कारोबार में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. साइबर अपराधी या फिर हैकर्स. एशिया में तो यही दोनों सबसे ज्यादा भारतीय बैंकिंग फाइनेंशियल और इंश्योरेंस सेक्टर (BFSI) को तबाह करने में जुटे हैं. साइबर हैकिंग के मामले अब उत्तर अमेरिका से हटकर एशिया, प्रशांत क्षेत्र और यूरोप की ओर मुड़ चुके हैं. यह आंकड़ा कुल मामलों का 10 से 12 फीसदी तक हो सकता है.’ एल एन राव के इस बयान की पुष्टि करने के लिए दुनिया की मशहूर रिसर्च फर्म CloudSEK की रिपोर्ट्स ही काफी हैं.
साइबर अपराध की घटनाओं में इजाफा
CloudSEK की रिपोर्ट्स में जारी डाटा की ओर ध्यान दें तो भारतीय बैंकिंग फाइनेंशियल और इंश्योरेंस के खिलाफ साइबर हमले बीते कुछ अरसे में ही कई गुना बढ़ चुके हैं. कम से कम वित्तीय वर्ष 2021-2022 में दर्ज साइबर अपराधों के आंकड़े तो यह साबित करने के लिए काफी हैं ही. अगर बात बीते छह महीनों के आंकड़ों की करें तो, 2021 में साइबर हैकिंग की कुल 469 घटनाएं रिकॉर्ड (दर्ज) की गईं. जबकि 2022 में (बीते छह महीनों में) बीएफएसआई में साइबर हैकिंग के करीब 283 मामले दर्ज हुए. इसी रिपोर्ट के मुताबिक, सन् 2022 में हैकिंग के कुल मामलों में 7.4 फीसदी तो भारतीय उप-महाद्वीप में ही टारगेट किए गए थे. मतलब यह कहें कि एशिया में हिंदुस्तान अब साइबर अपराधियों-हैकर्स के लिए एक नया और बेहद मुफीद सेंटर (केंद्र) बनता जा रहा है. तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी.
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