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शाहजहांपुर। कोरोना काल के बाद जेब से नोट खर्च करने के बजाय ऑनलाइन भुगतान की निर्भरता के चलते साइबर ठगों का मकड़जाल फैलता जा रहा है। जरा सी चूक लोगों के साथ धोखाधड़ी का कारण बन रही है। एक साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1306 लोगों को साइबर अपराधियों ने अपना निशाना बनाया। साइबर सेल भी लोगों से ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए लोगों को जागरूक कर रहा है।
कोविड-19 से पहले पुलिस के पास साइबर ठगी की शिकायतें काफी कम आती थीं। महीने में दस से 15 शिकायतें ही प्राप्त होती थी। उस समय सबसे अधिक शिकायतें बैंक से फोन आने की बात कहकर पिन पूछकर रुपये उड़ाए जाने की होतीं थीं। नोटबंदी और कोविड-19 के बाद सरकार ने भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर जोर दिया। हर जगह ऑनलाइन भुगतान लेने के बाद लोगों की निर्भरता बढ़ गई। उसके साथ ही साइबर अपराध की घटनाओं में भी बड़े पैमाने पर इजाफा हुआ है। साइबर ठग रोजाना ही कई लोगों को अपना निशाना बनाकर मंसूबों में कामयाब हो जाते हैं। मोबाइल में एनीडेस्क लोड कराकर रुपये उड़ाने और बिजली का बिल अदायगी के नाम पर खाते में सेंध लगाई जा रही है।
1306 शिकायतें अगस्त 2021 से अगस्त 2022 तक प्राप्त हुईं।
1014 मामलों को साइबर सेल ने निस्तारित कर दिया।
292 केस अभी भी लंबित पड़े हैं।
02 लाख 40 हजार रुपये साइबर सेल ने पीड़ितों के वापस कराएं।
10 लाख रुपये पीड़ितों के पुलिस ने होल्ड भी करा दिए।
साइबर अपराध का शिकार होने के बाद पीड़ित द्वारा तेजी दिखाने पर चपत लगने से बचा जा सकता है। साइबर सेल प्रभारी नीरज सिंह बताते हैं कि रुपये वापसी के लिए तुरंत ही बैंक से संपर्क करें। बैंक से जिस आईडी पर रुपया गया, उसे स्टॉप कराने से रुपये के मिलने की संभावना बनी रहती है। नीरज के मुताबिक, साइबर अपराधी एक खाते से दूसरे अकाउंट में रुपये ट्रांसफर कर निकाल लेते हैं। पीड़ित बैंक या 1930 पर संपर्क कर सूचना देगा तो वह रुपया ट्रांसफर होने से बचाया जा सकता है। इसके लिए जितनी जल्दी हो सके, पीड़ित को सक्रिय हो जाना चाहिए।
ये अपनाएं उपाय
अंजान व्यक्ति को एटीएम कार्ड का नंबर और पिन नहीं बताएं।
ऑनलाइन खरीदारी या एटीएम से रुपये निकालते समय सावधानी बरतें।
पासवर्ड को थोड़ा कठिन रखें।
किसी के कहने पर एनीडेस्क एप को बिल्कुल भी डाउनलोड न करें।
बिना जान-पहचान वाले व्यक्ति को अपने सोशल मीडिया मित्र नहीं बनाएं।
-साइबर अपराध को लेकर जिले की पुलिस पूरी तरह सक्रिय हैं। साइबर अपराध को रोकने के लिए पुलिस जागरूकता अभियान भी चला रही है। – एस.आनंद, एसपी
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शाहजहांपुर। कोरोना काल के बाद जेब से नोट खर्च करने के बजाय ऑनलाइन भुगतान की निर्भरता के चलते साइबर ठगों का मकड़जाल फैलता जा रहा है। जरा सी चूक लोगों के साथ धोखाधड़ी का कारण बन रही है। एक साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1306 लोगों को साइबर अपराधियों ने अपना निशाना बनाया। साइबर सेल भी लोगों से ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए लोगों को जागरूक कर रहा है।
कोविड-19 से पहले पुलिस के पास साइबर ठगी की शिकायतें काफी कम आती थीं। महीने में दस से 15 शिकायतें ही प्राप्त होती थी। उस समय सबसे अधिक शिकायतें बैंक से फोन आने की बात कहकर पिन पूछकर रुपये उड़ाए जाने की होतीं थीं। नोटबंदी और कोविड-19 के बाद सरकार ने भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर जोर दिया। हर जगह ऑनलाइन भुगतान लेने के बाद लोगों की निर्भरता बढ़ गई। उसके साथ ही साइबर अपराध की घटनाओं में भी बड़े पैमाने पर इजाफा हुआ है। साइबर ठग रोजाना ही कई लोगों को अपना निशाना बनाकर मंसूबों में कामयाब हो जाते हैं। मोबाइल में एनीडेस्क लोड कराकर रुपये उड़ाने और बिजली का बिल अदायगी के नाम पर खाते में सेंध लगाई जा रही है।
1306 शिकायतें अगस्त 2021 से अगस्त 2022 तक प्राप्त हुईं।
1014 मामलों को साइबर सेल ने निस्तारित कर दिया।
292 केस अभी भी लंबित पड़े हैं।
02 लाख 40 हजार रुपये साइबर सेल ने पीड़ितों के वापस कराएं।
10 लाख रुपये पीड़ितों के पुलिस ने होल्ड भी करा दिए।
साइबर अपराध का शिकार होने के बाद पीड़ित द्वारा तेजी दिखाने पर चपत लगने से बचा जा सकता है। साइबर सेल प्रभारी नीरज सिंह बताते हैं कि रुपये वापसी के लिए तुरंत ही बैंक से संपर्क करें। बैंक से जिस आईडी पर रुपया गया, उसे स्टॉप कराने से रुपये के मिलने की संभावना बनी रहती है। नीरज के मुताबिक, साइबर अपराधी एक खाते से दूसरे अकाउंट में रुपये ट्रांसफर कर निकाल लेते हैं। पीड़ित बैंक या 1930 पर संपर्क कर सूचना देगा तो वह रुपया ट्रांसफर होने से बचाया जा सकता है। इसके लिए जितनी जल्दी हो सके, पीड़ित को सक्रिय हो जाना चाहिए।
ये अपनाएं उपाय
अंजान व्यक्ति को एटीएम कार्ड का नंबर और पिन नहीं बताएं।
ऑनलाइन खरीदारी या एटीएम से रुपये निकालते समय सावधानी बरतें।
पासवर्ड को थोड़ा कठिन रखें।
किसी के कहने पर एनीडेस्क एप को बिल्कुल भी डाउनलोड न करें।
बिना जान-पहचान वाले व्यक्ति को अपने सोशल मीडिया मित्र नहीं बनाएं।
-साइबर अपराध को लेकर जिले की पुलिस पूरी तरह सक्रिय हैं। साइबर अपराध को रोकने के लिए पुलिस जागरूकता अभियान भी चला रही है। – एस.आनंद, एसपी
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