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फर्रुखाबाद। तिहरे हत्याकांड मेें 15 सालों के भीतर 14 लोगों की गवाही के बाद फांसी का फैसला आया है। गवाही देने वालों में वादी शकील, पड़ोसी हाजी मोहम्मद, मोहम्मद कमर, गफ्फार, पंचनामा भरने के दौरान के गवाह आरिफ, तमंचा बरामदगी की रिपोर्ट लिखने वाले मुंशी प्रकाश नारायण पुष्कर शामिल थे।
इसके अलावा हत्या का मुकदमा दर्ज करने वाले दरोगा बलंवत राय, डॉ. रमेश चंद्र, दरोगा हाकिम सिंह, पोस्टमार्टम करने वाले सहायक कन्हैयालाल, दरोगा यशकरन सिंह, इंस्पेक्टर अशोक कुमार शुक्ला, दरोगा सूरज सिंह, डॉ. योगेंद्र सिंह ने भी गवाही दी।
शकील के परिजन फांसी की सजा सुुनाए जाने के बाद कचहरी परिसर में बेहाल हो गए। पुत्र व दोनों पुत्रियां कई बार पिता से चिपटकर बिलखती रहीं। कलीम के चारों बच्चे अदालत नहीं पहुंचे।
शहर कोतवाली के मोहल्ला घोड़ा नखास निवासी शकील व कलीम को पत्नी यासमीन, मां नूरजहां, बहन नसरीन की हत्या 13 अक्तूबर को दोषी करार दिया गया था।
शकील के पिता अब्दुल कादिर, मां शलीमन, पत्नी लुकमा, पुत्री साजिया, इफत व अरमान गुरुवार को सजा सुनाए जाने की वजह से सुबह से ही कचहरी पहुंच गए थे।
गुरुवार लंच के बाद सजा सुनाई गई। शकील व कलीम फफक-फफक कर रोते हुए बाहर निकले। अरमान, साजिया, इफत पिता शकील के पैरो पर चिपटकर रोने लगे। कलीम के चार बच्चे हैं, लेकिन कोई भी नहीं आया था।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी तेज सिंह राजपूत ने 13 अक्तूबर को कलीम व शकील के दोषी करार होने पर 17 अक्तूबर को डीएम संजय कुमार सिंह को पत्र भेजा था।
इसमें कहा था कि पत्नी, मां व बहन की हत्या में दोषी कलीम व उसके चचेरे भाई शकील को फांसी की सजा देने की याचना कोर्ट से की गई है।
दोष सिद्ध कलीम व शकील की परिवारिक स्थिति, आर्थिक स्थित, कलीम व शकील के बच्चों का पालन पोषण कैसे हो रहा है, दोनों को आय व व्यवसाय के साधन के साथ आपराधिक इतिहास के संबंध में कोर्ट के माध्यम से 27 अक्तूबर कोर्ट में पेश की जाए।
शासकीय अधिवक्ता तेज सिंह राजपूत, हरिनाथ सिंह, संजीव कुमार पाल, राजीव भगोलीवाल, अखिलेश राजपूत ने सजा को लेकर दलीलें दीं।
फर्रुखाबाद। तिहरे हत्याकांड मेें 15 सालों के भीतर 14 लोगों की गवाही के बाद फांसी का फैसला आया है। गवाही देने वालों में वादी शकील, पड़ोसी हाजी मोहम्मद, मोहम्मद कमर, गफ्फार, पंचनामा भरने के दौरान के गवाह आरिफ, तमंचा बरामदगी की रिपोर्ट लिखने वाले मुंशी प्रकाश नारायण पुष्कर शामिल थे।
इसके अलावा हत्या का मुकदमा दर्ज करने वाले दरोगा बलंवत राय, डॉ. रमेश चंद्र, दरोगा हाकिम सिंह, पोस्टमार्टम करने वाले सहायक कन्हैयालाल, दरोगा यशकरन सिंह, इंस्पेक्टर अशोक कुमार शुक्ला, दरोगा सूरज सिंह, डॉ. योगेंद्र सिंह ने भी गवाही दी।
शकील के परिजन फांसी की सजा सुुनाए जाने के बाद कचहरी परिसर में बेहाल हो गए। पुत्र व दोनों पुत्रियां कई बार पिता से चिपटकर बिलखती रहीं। कलीम के चारों बच्चे अदालत नहीं पहुंचे।
शहर कोतवाली के मोहल्ला घोड़ा नखास निवासी शकील व कलीम को पत्नी यासमीन, मां नूरजहां, बहन नसरीन की हत्या 13 अक्तूबर को दोषी करार दिया गया था।
शकील के पिता अब्दुल कादिर, मां शलीमन, पत्नी लुकमा, पुत्री साजिया, इफत व अरमान गुरुवार को सजा सुनाए जाने की वजह से सुबह से ही कचहरी पहुंच गए थे।
गुरुवार लंच के बाद सजा सुनाई गई। शकील व कलीम फफक-फफक कर रोते हुए बाहर निकले। अरमान, साजिया, इफत पिता शकील के पैरो पर चिपटकर रोने लगे। कलीम के चार बच्चे हैं, लेकिन कोई भी नहीं आया था।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी तेज सिंह राजपूत ने 13 अक्तूबर को कलीम व शकील के दोषी करार होने पर 17 अक्तूबर को डीएम संजय कुमार सिंह को पत्र भेजा था।
इसमें कहा था कि पत्नी, मां व बहन की हत्या में दोषी कलीम व उसके चचेरे भाई शकील को फांसी की सजा देने की याचना कोर्ट से की गई है।
दोष सिद्ध कलीम व शकील की परिवारिक स्थिति, आर्थिक स्थित, कलीम व शकील के बच्चों का पालन पोषण कैसे हो रहा है, दोनों को आय व व्यवसाय के साधन के साथ आपराधिक इतिहास के संबंध में कोर्ट के माध्यम से 27 अक्तूबर कोर्ट में पेश की जाए।
शासकीय अधिवक्ता तेज सिंह राजपूत, हरिनाथ सिंह, संजीव कुमार पाल, राजीव भगोलीवाल, अखिलेश राजपूत ने सजा को लेकर दलीलें दीं।
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