Uttarakhand News: उत्तराखंड में अपराधों की संख्या में साल दर साल इजाफा हो रहा है. अपराध करने के तौर तरीकों में भी बदलाव आया है. साइबर अपराध (Cyber crimes) की जड़ें राज्य में भी मजबूत हो रही हैं. ऐसे में जरूरी है कि पुलिस (Uttarakhand police) हाईटेक हो. नई टेक्नोलॉजी के साथ मॉडर्नाइजेशन की तरफ पुलिस को बढ़ाना जरूरी तो है, लेकिन पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड पुलिस का सेंटर से मिलने वाला मॉडर्नाइजेशन फण्ड (Modernization Fund) और बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम का बजट (Border Area Development Budget) कम किया गया है. ऐसे में खुद को हाईटेक करना पुलिस के लिए चुनौती है.
दरअसल, केंद्र राज्यों में राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) और बढ़ते अपराधों के लिहाज से बजट का आवंटन करता है. बात उत्तराखंड की हो तो ये राज्य संवेदनशील राज्यों में शुमार है क्योंकि चीन और नेपाल की सीमाएं उत्तराखंड से जुड़ती हैं. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा राज्यों की सीमाएं भी उत्तराखंड से लगी हुईं हैं. अपराधी राज्य की शांत वादियों में अपराध करने और अपराध करके यहां महफूज रहने के लिए आते हैं. इतना ही नहीं पिछले कुछ सालों में कई आतंकवादियों के स्लीपर सेल और आतंकवादी भी पकड़े गए हैं. विभिन्न आपराधिक गतिविधियां और तस्करी जैसे गंभीर मामलों पर उत्तराखंड काफी संवेदनशील है.
इस वजह से पुलिस को नई टेक्नोलॉजी के साथ मॉडर्नाइजेशन की तरफ बढ़ाना जरुरी है, लेकिन केंद्र सरकार ने भी पुलिस मॉडर्नाइजेशन के तहत केंद्र से मिलने वाले बजट पर कैंची चला दी है. हालांकि उत्तराखंड पुलिस में अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था वी. मुरुगेशन कहते हैं कि केंद्र सरकार राज्यों को प्राथमिकता के आधार पर बजट का आवंटन करती है और जिन राज्यों को केंद्र सिक्योरिटी के लिहाज से अधिक संवेदनशील समझता है उन्हें उसी लिहाज से बजट दिया जाता है.
पुलिस मॉर्डनाइजेशन में मिलने वाला फंड नए पुलिस स्टेशन, साइबर अपराध रोकने के लिए नयी तकनीक, अत्याधुनिक हथियारों की खरीद, आधुनिकीकरण योजना में भवन, वाहन और उपकरण खरीद में काम आता है.
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किस साल किसको कितना मिला-
पुलिस मॉर्डनाइजेशन के लिए 2021-22 के दौरान राज्य को कोई बजट नहीं मिला है. राज्य साल 2020-21 में भी बजट का इंतजार करता रहा, लेकिन पैसा नहीं मिला. उधर हिमाचल को 0.83 करोड़ मिले. साल 2019-20 में उत्तराखंड को महज 5.43 करोड़ रुपए मिले जबकि हिमाचल को 27.49 करोड़ मिले. साल 2021-22 में SDRF के लिए भारत सरकार ने उत्तराखंड को 749.60 करोड़ रुपये दिए. बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत उत्तराखंड को 2021-22 में 13.12 करोड़ रुपये मिले. BADP में साल 2018 में 31 करोड़, 2019 में 29.20 करोड़ और 2020 में 43.60 करोड़ मिले थे.
सिर्फ पुलिस मॉडर्नाइजेशन का बजट ही कम नहीं किया गया बल्कि बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम (BADP) के तहत मिलने वाला बजट भी कम किया गया है. BADP के अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्र में रह रहे लोगों की सामाजिक और आर्थिक खुशहाली और उन्हें कनेक्टिविटी संबंधी सुविधाएं, स्वच्छ पेयजल, विद्यालय, अस्पताल सहित अन्य सुविधाएं सुलभ कराना होता है. राज्य को एनडीआरएफ और बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत तो बजट मिला लेकिन पुलिस को मॉडर्न करने के रूप में पिछले 3 सालों में नाम मात्र का बजट ही मिल पाया.
दरअसल ये बजट पुलिसिंग के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. इसे लेकर हमने उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी दीपक कुमार से भी बातचीत की. राज्य के पुलिस मॉडर्नाइजेशन को लेकर बजट पर उन्होंने कहा कि जिस तरह अपराध बढ़ रहे हैं उस पर बजट का भी बढ़ना जरूरी है ताकि पुलिस अपराधियों से दो कदम आगे रह सके.
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