Diabetes Mellitus: डायबिटीज यानी मधुमेह एक क्रोनिंक बीमारी है. यह बीमारी तब होती है जब हमारा अग्न्याशय (Pancreas) पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन (Insulin) का उत्पादन नहीं कर पाता है या शरीर उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. असल में इंसुलिन एक हार्मोन होता है, जो ब्लड ग्लूकोज (Blood Glucose) को नियंत्रित करता है. हाइपरग्लाइसीमिया को ब्लड ग्लूकोज और बढ़े हुए रक्त शर्करा के रूप में भी जाना जाता है. यह अनियंत्रित डायबिटीज का एक सामान्य प्रभाव है और समय के साथ शरीर की कई प्रणालियों, विशेष रूप से नसों और रक्त वाहिकाओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है.Also Read – Diabetes को जड़ से मिटा सकती हैं यह फल और सब्जियां, फायदे जान चौंक जाएंगे आप। Watch Video
साल 2014 में 18 वर्ष से अधिक उम्र के 8.5 फीसद लोग डायबिटीज से पीड़ित थे. साल 2019 में डायबिटीज के कारण 15 लाख लोगों की मौत हुई. यही नहीं 70 वर्ष से कम उम्र में मरने वालों में से 48 फीसद की मौत का कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से डायबिटीज थी. इसके अलावा 4 लाख 60 हजार लोगों की मौत किडनी की बीमारी की वजह से हुई, जिसका प्रमुख कारण डायबिटीज था और ब्लड ग्लूकोज का स्तर बढ़ने से 20 फीसद मौते कार्डियोवस्कुल रोगों के कारण हुईं. साल 2000 से 2019 के बीच निम्न मध्यम आय वाले देशों में मधुमेह के कारण मृत्यु दर में 13 फीसद की वृद्धि हुई है. Also Read – Diabetes से जुड़े वो झूठ जो आपको लगते हैं सच… यहां पढ़िये
मधुमेह क्या है – What is diabetes in Hindi?
डायबिटीज मेलिटस (Diabetes mellitus) को आमतौर पर डायबिटीज या मधुमेह के रूप में जाना जाता है. दरअसल यह चयापचय रोग (Metabolic Disease) है, जो हाई ब्लड शुगर के कारण होता है. इंसुलिन हार्मोन शुगर को आपके खून से कोशिकाओं तक वहां स्टोर करने या ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने के लिए ले जाता है. डायबिटीज में व्यक्ति का शरीर या तो पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है, या उस इंसुलिन का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. अगर डायबिटीज का सही इलाज न किया जाए तो यह नसों, आंखों, गुर्दे और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. मधुमेह के बारे में जानकारी रखना, डायबिटीज से बचने के उपाय करना, डायबिटीज को मैनेज करना अगर आप सीख लेते हैं तो लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं. Also Read – Type 2 Diabetes: डायबिटीज के रिस्क को कम कर सकती है चाय, नये शोध में हुआ खुलासा
मधुमेह कितने प्रकार का होता है – Types of diabetes in Hindi
डायबिटीज या मधुमेह मेटाबॉलिज्म से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति के शरीर को धीरे-धीरे सुखा देती है. व्यक्ति अचानक कमजोर नजर आने लगता है. डायबिटीज आमतौर पर तीन प्रकार की होती है. जानते हैं उन तीनों प्रकारों के बारे में –
- Type 1 Diabetes : टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है. इस समस्या में इम्यून सिस्टम ही व्यक्ति की पैंक्रियाज में उन उत्तकों पर हमला कर देता है, जो इंसुलिन का उत्पादन करते हैं. अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इम्यून सिस्टम पैंक्रियाज के उत्तकों पर हमला क्यों करता है.
- Type 2 Diabetes : जब शरीर इंसुलिन का प्रतिरोध करने लगता है तो इसकी वजह से टाइप-2 डायबिटीज होती है. ऐसे में रक्त में शुगर बढ़ने लगती है. यह सबसे आम तरह की डायबिटीज है और 90-95 फीसद मामले टाइप-2 डायबिटीज के ही होते हैं.
- जेस्टेशनल डायबिटीज : गर्भवास्था के दौरान हाई ब्लड शुगर को जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है. प्लेसेंटा द्वारा इंसुलिन के उत्पादन में रुकावट डालने वाले हार्मोन पैदा करने की वजह से इस तरह का मधुमेह होता है.
एक अन्य दुर्लभ स्थिति होती है, जिसे डायबिटीज इन्सिपिडस कहा जाता है, लेकिन इसका डायबिटीज मेलिटस से कोई संबंध नहीं है. हालांकि, इनका नाम मिलता-जुलता जरूर है. यह एक बिल्कुल अलग स्थिति है, जिसमें किडनी ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ को बाहर निकालना शुरू कर देती हैं. हर तरह की डायबिटीज की लक्षण, कारण और इलाज भी अलग तरह के होते हैं.
प्री-डायबिटीज क्या है – What is Prediabetes in Hindi?
किसी भी व्यक्ति का ब्लड शुगर जिस स्तर पर होना चाहिए, उससे ज्यादा होता है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं होता है कि इसका टाइप-2 डायबिटीज के रूप में निदान किया जा सके, तो ऐसी स्थिति को प्रीडायबिटीज कहा जाता है. यह स्थिति तब होती है, जब आपके शरीर में इंसुलिन उतने बेहतर तरीके से काम नहीं करता है, जितना बेहतर इसे करना चाहिए. आगे चलकर इस स्थिति का टाइप-2 डायबिटीज में बदलने की आशंका रहती है.
डायबिटीज के लक्षण – Symptoms of diabetes in Hindi
डायबिटीज के प्रकारों के अनुसार इनके कुछ लक्षण होते हैं जानते हैं डायबिटीज के लक्षण –
- ज्यादा भूख लगना
- प्यास ज्यादा लगना
- वजन कम होना
- जल्दी-जल्दी पेशाब आना
- धुंधला दिखाई देना
- बहुत ज्यादा थकावट होना
- छाले और घाव होना, उनका ठीक न होना
टाइप-1 डायबिटीज के लक्षण – Symptoms of type 1 diabetes in Hindi
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- बहुत ज्यादा भूख लगना
- बहुत ज्यादा प्यास लगना
- बिना कोशिश के भी लगातार वजन कम होना
- बार-बार पेशाब आना
- धुंधला दिखना
- थकावट
- बार-बार मूड बदलना
टाइप-2 डायबिटीज के लक्षण – Symptoms of type 2 diabetes in Hindi
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- भूख बढ़ जाना
- प्यास बढ़ना
- ज्यादा पेशाब आना
- धुंधला दिखना
- थकावट रहना
- घाव धीरे-धीरे भरना
- बार-बार संक्रमण होना
जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण – Symptoms of Gestational diabetes in Hindi
जेस्टेशनल डायबिटीज में आमतौर पर किसी तरह से लक्षण नहीं दिखते हैं. आमतौर पर नियमित ब्लड शुगर टेस्ट या ओरल ग्लूकोड टॉलरेंस टेस्ट के दौरान इस तरह की डायबिटीज का पता चलता है. इस तरह के टेस्ट गर्भवास्था के 24वें और 28वें हफ्ते में होते हैं. कुछ दुर्लभ मामलों में जेस्टेशनल डायबिटीज के दौरान प्यास बढ़ने और बार-बार पेशाब आने के लक्षण दिख सकते हैं.
डायबिटीज के कारण – Causes of diabetes in Hindi
अलग-अलग तरह की डायबिटीज के कारण भी अलग-अलग होते हैं.
- अभी तक डॉक्टरों को भी टाइप-1 डायबिटीज के कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं. किसी वजह से हमारा अपना ही इम्यून सिस्टम पैंक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाले उत्तकों पर हमला कर देता है, जिसके कारण टाइप-1 डायबिटीज होता है. कुछ लोगों में उनके जीन्स के कारण ऐसा हो सकता है.
- टाइप-2 डायबिटीज जेनेटिक के साथ ही जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है.अगर आपका वजन ज्यादा है या आप मोटापे के शिकार हैं तो आपको टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा भी ज्यादा है. आपके शरीर का अतिरिक्त वजन, खासतौर पर पेट की मोटी चर्बी शरीर के उत्तकों को इंसुलिन के प्रभाव के प्रति प्रतिरोधक बनाते हैं. इस तरह की डायबिटीज कई परिवारों को बर्बाद कर देती है, क्योंकि परिवार के सदस्यों का जीन एक ही होता है, एक को डायबिटीज होने का मतलब परिवार के अन्य लोग भी इसके खतरे में रहते हैं.
- गर्भावस्था के दौरान हार्मोन में बदलाव के कारण जेस्टेशनल डायबिटीज होती है. प्लेसेंटा ऐसे हार्मोन का निर्माण करता है जो गर्भवती महिला की कोशिकाओं की इंसुलिन के प्रभाव के लिए संवेदनशीलता को कम कर देता है. गर्भवास्था के दौरान हाई ब्लड शुगर के कारण ऐसा हो सकता है. गर्भधारण के दौरान जिन महिलाओं का वजन ज्यादा होता है या गर्भावस्था के दौरान जिनका वजन बहुत अधिक बढ़ जाता है, उन्हें जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है.
डायबिटीज का इलाज – Treatment of diabetes in Hindi
डॉक्टर डायबिटीज का इलाज कुछ अलग-अलग प्रकार की दवाओं के जरिए करते हैं. इनमें के कुछ दवाओं को व्यक्ति आसानी से खा सकता है, जबकि कुछ दवाओं को इंजेक्शन के जरिए सीधे नसों में पहुंचाया जाता है.
- टाइप-1 डायबिटीज के इलाज में इंसुलिन ही मुख्य इलाज है. यह उस हार्मोन को बदल देता है, जिसे आपका शरीर उत्पादित करने में सक्षम नहीं है. इसमें रैपिड एक्टिंग इंसुलिन, शॉर्ट एक्टिंग इंसुलिन, इंटरमीडिएट एक्टिंग इंसुलिन, लॉन्ग एक्टिंग इंसुलिन, अल्ट्रा लॉन्ग एक्टिंग इंसुलिन, प्रीमिक्स्ड इंसिलिन जैसे उत्पाद मौजूद हैं.
- कुछ लोगों में डाइट और व्यायाम के जलिए टाइप-2 डायबिटीज को मैनेज किया जा सकता है. अगर जीवनशैली में बदलाव करके ब्लड शुगर का स्तर कम नहीं होता है तो फिर डॉक्टर कुछ तरह की दवाएं देकर आपके ब्लड शुगर को नियंत्रित करते हैं. यह दवाएं कई तरह से आपके ब्लड शुगर के स्तर को नीचे लाते हैं. कई बार आपको एक से ज्यादा दवाएं लेने की आवश्यकता होती है. टाइप-2 डायबिटीज में भी कुछ लोगों को इंसुलिन की आवश्यकता होती है.
- अगर आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है तो आपको गर्भवास्था के दौरान हर समय अपने ब्लड शुगर के स्तर पर नजर रखनी होगी. इसके लिए आपको दिन में कई बार टेस्ट कराने की आवश्यकता पड़ सकती है. अगर ब्लड शुगर लगातार ऊपर बना रहता है तो आपको खानपान में कुछ बदलाव करने और कुछ व्यायाम करने की सलाह दी जा सकती है. 15-30 फीसद महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता पड़ती है. हां, इंसुलिन गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए सुरक्षित है.
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