Types of Diabetes, Causes, Symptoms, Prevention: भारत में मधुमेह रोगियों (Diabetes) की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है,हर साल लाखों लोग इसके शिकार हो रहे हैं. डायबिटीज दो प्रकार की होती है लेकिन कुछ मामलों में टाइप-3 की डायबिटीज (Type 3 diabetes) भी पाई जाती है. गलत खान-पान, बदलती जीवनशैली की वजह से डायबिटीज की समस्या बढ़ रही है. बच्चे, युवा और बुजर्ग सभी आयु वर्ग के लोग इसकी चपेट में आते जा रहे हैं. आइए जानते हैं डायबिटीज टाइप 1, 2, 3 में अंतर क्या है और इसके लक्षण क्या हैं, कैसे आप इससे बच सकते हैं. हमने डायबिटीज की छोटी से छोटी जानकारी डॉक्टर सतीष गुप्ता से ली, डॉक्टर सतीष लंबे समय से मधुमेह के मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
डायबिटीज टाइप -1
इसे मधुमेह की पहली स्टेज कहा जाता है. टाइप -1 में रोगी के शरीर का अग्नाशय (पैंक्रियाज़) बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन नहीं बना पाता है. जींस और कुछ वायरस की वजह से टाइप 1 मधुमेह हो सकता है. यह व्यक्ति के बचपन या किशोरावस्था के दौरान पनपने लगता है. टाइप 1 डायबिटीज का कोई खास इलाज नहीं है. इंसुलिन,संतुलित आहार और जीवनशैली में बदलाव के साथ ही शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है.
डायबिटीज टाइप-2
टाइप 2 डायबिटीज की वजह से व्यक्ति के शरीर में खून का संचार, तंत्रिका और प्रतिरक्षा प्रणाली यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ सकता है. डायबिटीज की इस स्टेज में रोगी के शरीर का पेंक्रियाज़ आवश्यकता के अनुसार इंसुलिन नहीं बना पाता है. 90% से 95% लोग इस श्रेणी में आते हैं. आजकल मोटापा बढ़ने के कारण युवा और बच्चे भी टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हो रहे हैं.
डायबिटीज टाइप 3
टाइप 3 डायबिटीज दुर्लभ मामलों में ही होती है. कभी-कभार कुछ मामलों में व्यक्ति को डायबिटीज टाइप 3 से पीड़ित तब माना जाता है जब टाइप 2 डायबिटीज का रोगी इलाज के दौरान या इलाज के बाद में अल्जाइमर की चपेट में आ जाता है. अल्जाइमर रोग में इंसान की स्मरण शक्ति कमजोर होती जाती है और समाप्त तक हो सकती है. ज़्यादातर यह एक खास तरह के इंसुलिन से रोग प्रतिरोधक क्षमता और इंसुलिन लगाने से दिमाग बिल्कुल काम न करने के कारण होता है.
चिकित्सकों के अनुसार, इन तीनों में सबसे गंभीर स्टेज टाइप 3 डायबिटीज होती है. आधिकारिक स्वास्थ्य संगठन इसे स्वीकार नहीं करते हैं. यही कारण है कि अधिकांश डॉक्टर नैदानिक उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग नहीं करते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसुलिन प्रतिरोध मस्तिष्क में एमीलॉइड-बीटा पेप्टाइड्स, सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव उत्पन्न करते हैं.
टाइप 3 डायबिटीज के लक्षण
स्मरण शक्ति के खोने से दैनिक कार्यों और सामाजिक और पारिवारिक संबंधों पर प्रभाव पड़ता है, कार्यों को संपन्न करने में समस्या होना, प्रायः चीजों को कहीं रखकर भूल जाना, निर्णय ले पाने में समस्या उत्पन्न होना. व्यक्ति के व्यक्तित्व या व्यवहार में अचानक तब्दीली आना, लिखने, बोलने और समझने में दिक्कत आना, संदेहात्मक बातें करना आदि.
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के लिए रोगी को खून में मधुमेह के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए विशेष डाइट की जररूत होती है. व्यक्ति को खाने की दिनचर्या बनानी होती है.
रोगी को अपने रक्त के डायबिटीज लेवल बार-बार जांचने की आवश्यकता होती है. यह विशेष ध्यान देना होगा कि मधुमेह कम या ज़्यादा के लक्षण तो नहीं हैं. रोगी को चिकित्सक के निर्देशानुसार इंसुलिन के 2 या 3 बार इंजेक्शन घर पर ही लगाये जा सकते हैं.
रोगी को चिकित्सक के परामर्श अनुसार, रक्त में मधुमेह के स्तर नियंत्रण करने के लिए व्यायाम करने चाहिए.
रोगी को स्वयं भी अपनी सेहत का ध्यान रखना नितांत आवश्यक है, एतिहात के तौर पर, आंखों की जांच भी करवा लेनी चाहिए.
टाइप 1 डायबिटीज लाइलाज है, टाइप 2 डायबिटीज को जीवन शैली में बदलाव ला कर नियंत्रण किया जा सकता है.
जीवनशैली में सुधार (Change in Lifestyle)
वजन को नियंत्रित रखना. मोटापा से शुगर (डायबिटीज) के आसार बढ़ जाते हैं.
तनाव से बचें, व्यायाम और मेडिटेशन (meditation) को जीवन का हिस्सा बना लें.
समय पर सोना और समय पर उठना, मधुमेह के स्तर को नियंत्रित करता है.
डायबिटीज लेवल की नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए. इसका एक चार्ट बना लें.
स्मोकिंग (smoking) और शराब से दूर रहें.
फिजिकल एक्टिविटी (physical activity) या व्यायाम को नियमित रूप से करना चाहिए.
सही मात्रा में पानी पीना चाहिए.
आहार में कम से कम मीठा सम्मिलित करना चाहिए.
क्या खाएं, क्या ना खाएं (Diet Chart for Diabetic Patient)
फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन प्रचुर मात्रा में करें. मीठे व्यंजन, मिठाई, मैदे से बने खाद्य पदार्थ जैसे कि पास्ता या वाइट ब्रेड, प्रोसेस्ड फूड्स या डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, शीतल पेय, चीनी आदि से परहेज करें.
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