सर्वोच्च न्यायालय ने जब से दिवाली पर पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई है, तब से हर साल दिवाली से पहले कोई न कोई नेता इस पर लगी रोक हटाने के लिए कोई न कोई याचिका लेकर वहां पहुंच ही जाता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। लेकिन, आपको जानकर अचरज होगा कि हिंदी सिनेमा की एक्शन फिल्मों में बरसों से भारी मात्रा में इस्तेमाल होता रहा गोला बारूद अब बस नाम मात्र को रह गया है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ये कदम उठाने की फिराक में हिंदी सिनेमा के एक्शन निर्देशक अरसे से रहे हैं और सिनेमा बनाने की तकनीक में आए बदलाव ने अब उनकी राह और आसान कर दी है। ‘अमर उजाला’ ने इस बारे में हिंदी सिनेमा के चर्चित एक्शन निर्देशक आर पी यादव समेत कई लोगों से बात की, आइए जानते हैं कि कैसे आया ये बदलाव…
इस तरह फिल्माए जाते थे धमाके
सिनेमा में विस्फोटक पदार्थों का प्रयोग बहुत कम हो गया है। एक्शन डायरेक्टर आर पी यादव से इस बारे में हमने खास बातचीत की। अजय देवगन की फिल्म ‘तानाजी -द अनसंग वॉरियर’ के लिए बेस्ट एक्शन डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड जीतने वाले आर पी यादव कहते हैं, ‘अजय देवगन के पिता वीरू देवगन को मैं अपना गुरु मानता हूं और उनके सहायक के रूप में मैंने 10 साल तक काम किया। उस समय स्पेशल इफेक्ट्स और वीएफएक्स नहीं था। हम विस्फोटक वाले दृश्य में पेट्रोल का ज्यादा इस्तेमाल करते थे और कभी कभी पेट्रोल की जगह घासलेट (मिट्टी का तेल) और डीजल में रबर डालकर विस्फोटक वाले सीन करते थे।’
अब सारा खेल एडिटिंग के दौरान
आर पी कहते हैं, ‘इस समय स्पेशल इफेक्ट्स और वीएफएक्स की वजह से सिनेमा में गोला बारूद और विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल अब 50 प्रतिशत कम हो गया है। पर्यावरण को बचाने में भी इससे काफी मदद मिली है। अब हम थोड़ा बहुत विस्फोटक लगाकार एक्शन वाले दृश्यों की शूटिंग करते हैं और फिर उसका असर वीएफएक्स में बढ़ा देते हैं। अब इस तरह से दृश्यों को फिल्माना आसान और सुरक्षित हो गया है। पहले वीएफएक्स ना होने की वजह से फिल्मों में जितना गोला बारूद वाला दृश्य दिखता था, वह सब हमें आग लगाकर ही शूट करना पड़ता था।’
तकनीक और समझ का संतुलन जरूरी
स्पेशल इफेक्ट्स और वीएफएक्स के आने से शूटिंग के दौरान विस्फोटक सीन फिल्माना आसान हो हुआ है, लेकिन आर पी के मुताबिक तकनीकी रूप से इसमें भी काफी सावधानियां बरतनी पड़ती है। वह कहते हैं, ‘आप दिमाग से काम नहीं करेंगे तो सब खराब हो जाएगा। अभी विस्फोटक सीन शूट करने से पहले वीएफएक्स की तकनीकी टीम के साथ डिस्कस करना पड़ता है, इसमें कैमरामैन का समझदार होना बहुत जरुरी है। सीन के हिसाब से लाइट कितनी जरूरी है ये खास तौर से ध्यान देना पड़ता है, अगर लाइट कम ज्यादा हुई तो वह सीन वीएफएक्स के दौरान मैच नहीं होगा।’
तकनीक और समझ का संतुलन जरूरी
स्पेशल इफेक्ट्स और वीएफएक्स के आने से शूटिंग के दौरान विस्फोटक सीन फिल्माना आसान हो हुआ है, लेकिन आर पी के मुताबिक तकनीकी रूप से इसमें भी काफी सावधानियां बरतनी पड़ती है। वह कहते हैं, ‘आप दिमाग से काम नहीं करेंगे तो सब खराब हो जाएगा। अभी विस्फोटक सीन शूट करने से पहले वीएफएक्स की तकनीकी टीम के साथ डिस्कस करना पड़ता है, इसमें कैमरामैन का समझदार होना बहुत जरुरी है। सीन के हिसाब से लाइट कितनी जरूरी है ये खास तौर से ध्यान देना पड़ता है, अगर लाइट कम ज्यादा हुई तो वह सीन वीएफएक्स के दौरान मैच नहीं होगा।’
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