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लेह/जम्मू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, भारत ने कभी भी युद्ध को पहला विकल्प नहीं माना, हमारे लिए यह हमेशा अंतिम उपाय रहा। हम वैश्विक शांति के पक्ष में हैं, लेकिन बिना ताकत के शांति हासिल नहीं की जा सकती। प्रधानमंत्री सोमवार को लद्दाख में भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा से सटे कारगिल जिले में जवानों के साथ दिवाली मनाने पहुंचे थे। मोदी ने यहां कारगिल युद्ध स्मारक में शहीदों को पुष्पांजलि भी अर्पित की।
मोदी ने कहा, हम युद्ध के समर्थक नहीं लेकिन हमारे सशस्त्र बल देश पर बुरी नजर डालने वाले को माकूल जवाब देने में सक्षम है। हमारी सेना के पास इसके लिए सशक्त रणनीति है। मोदी ने 1999 में कारगिल संघर्ष के बाद सीमा की अपनी यात्रा को याद करते हुए कहा, तब सेना के जवानों ने आतंकवाद का फन फैलाए दुश्मन को कुचल दिया था। मोदी ने कहा, पीएम मोदी ने कहा कि जब भारत की ताकत बढ़ती है, तो यह वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए फायदेमंद होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिवाली असल में आतंक के खात्मे का पर्व है। कारगिल ने इस आशय को हर बार संभव कर दिखाया है। जवानों से मुखातिब होकर पीएम ने कहा, कई वर्षों से आप सभी मेरे लिए परिवार हैं। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे हमारे जांबाज और बहादुर जवानों के साथ दिवाली मनाने का अवसर मिल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा बल भारत की सुरक्षा के स्तंभ हैं। वीरों और विजय की इस धरती कारगिल से मैं पूरे देश और विश्व को दिवाली की शुभकामनाएं देना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ जब भी जंग हुई, हर बार कारगिल ने विजय पताका फहराई है। आतंक का खात्मा ही दिवाली मनाना है और हर बार कारगिल ने यह संभव कर दिखाया है। पीएम ने कहा, कारगिल में हमारी सेनाओं ने हर बार आतंक को कुचल डाला। मुझे यहां मेरी पुरानी फोटो भी दिखाई गई है, जिसे देखकर गौरव की अनुभूति कर रहा हूं।
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कई वर्षों से जवानों के बीच दिवाली मना रहे हैं प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री कई वर्षोें से जवानों के बीच जाकर दिवाली मनाते आ रहे हैं। 2019 में राजोरी में एलओसी पर सैनिकों के साथ, 2018 में उत्तराखंड के हरसिल में सेना और आईटीबीपी जवानों के साथ, 2017 में गुरेज घाटी में सेना और बीएसएफ के साथ दिवाली मनाई थी। इसी तरह से 2016 में हिमाचल पहुंचे पीएम ने आईटीबीपी, 2015 में पंजाब बॉर्डर और 2014 में लद्दाख में सियाचिन ग्लेशियर पहुंचकर जवानों के साथ दिवाली मनाई थी। प्रधानमंत्री गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी जवानों के साथ दिवाली मनाते रहे।
लेह/जम्मू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, भारत ने कभी भी युद्ध को पहला विकल्प नहीं माना, हमारे लिए यह हमेशा अंतिम उपाय रहा। हम वैश्विक शांति के पक्ष में हैं, लेकिन बिना ताकत के शांति हासिल नहीं की जा सकती। प्रधानमंत्री सोमवार को लद्दाख में भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा से सटे कारगिल जिले में जवानों के साथ दिवाली मनाने पहुंचे थे। मोदी ने यहां कारगिल युद्ध स्मारक में शहीदों को पुष्पांजलि भी अर्पित की।
मोदी ने कहा, हम युद्ध के समर्थक नहीं लेकिन हमारे सशस्त्र बल देश पर बुरी नजर डालने वाले को माकूल जवाब देने में सक्षम है। हमारी सेना के पास इसके लिए सशक्त रणनीति है। मोदी ने 1999 में कारगिल संघर्ष के बाद सीमा की अपनी यात्रा को याद करते हुए कहा, तब सेना के जवानों ने आतंकवाद का फन फैलाए दुश्मन को कुचल दिया था। मोदी ने कहा, पीएम मोदी ने कहा कि जब भारत की ताकत बढ़ती है, तो यह वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए फायदेमंद होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिवाली असल में आतंक के खात्मे का पर्व है। कारगिल ने इस आशय को हर बार संभव कर दिखाया है। जवानों से मुखातिब होकर पीएम ने कहा, कई वर्षों से आप सभी मेरे लिए परिवार हैं। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे हमारे जांबाज और बहादुर जवानों के साथ दिवाली मनाने का अवसर मिल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा बल भारत की सुरक्षा के स्तंभ हैं। वीरों और विजय की इस धरती कारगिल से मैं पूरे देश और विश्व को दिवाली की शुभकामनाएं देना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ जब भी जंग हुई, हर बार कारगिल ने विजय पताका फहराई है। आतंक का खात्मा ही दिवाली मनाना है और हर बार कारगिल ने यह संभव कर दिखाया है। पीएम ने कहा, कारगिल में हमारी सेनाओं ने हर बार आतंक को कुचल डाला। मुझे यहां मेरी पुरानी फोटो भी दिखाई गई है, जिसे देखकर गौरव की अनुभूति कर रहा हूं।
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कई वर्षों से जवानों के बीच दिवाली मना रहे हैं प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री कई वर्षोें से जवानों के बीच जाकर दिवाली मनाते आ रहे हैं। 2019 में राजोरी में एलओसी पर सैनिकों के साथ, 2018 में उत्तराखंड के हरसिल में सेना और आईटीबीपी जवानों के साथ, 2017 में गुरेज घाटी में सेना और बीएसएफ के साथ दिवाली मनाई थी। इसी तरह से 2016 में हिमाचल पहुंचे पीएम ने आईटीबीपी, 2015 में पंजाब बॉर्डर और 2014 में लद्दाख में सियाचिन ग्लेशियर पहुंचकर जवानों के साथ दिवाली मनाई थी। प्रधानमंत्री गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी जवानों के साथ दिवाली मनाते रहे।
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