हाइलाइट्स
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जीवन अपने सरल और सादगी भरे व्यवहार के लिए जाने गए.
बचपन से ही उनके मन में जिज्ञासा भरी रहती थी, उनके पिता हर सवाल का जवाब देते थे.
उनमें बचपन से ही हिंदू धर्म के प्रति भी विशेष आस्था रही और सभी धर्मों के लोगों से उनकी मित्रता भी रही.
भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का 15 अक्टूबर को जन्मदिन (Dr APJ Abdul Kalam Birthday) मनाया जा रहा है. इस मौके पर उनकी दी हुई शिक्षाओं पर गोष्ठियां और चर्चाएं होती हैं. उनकी प्रेरणादायी उपलब्धियों पर भी मनन होता है. लेकिन उनके बारे जो सबसे ज्यादा बात होती है वह शायद उनका व्यक्तित्व ही है. भारत के राष्ट्रपति (President of India) जैसे बड़े पद हासिल करने के बाद भी डॉ कलाम एक विनम्र व्यक्ति थे और सभी से खुशी से मिला करते थे. धर्म की बात की जाए तो वे धार्मिक कम आध्यात्मिक व्यक्ति ज्यादा थे. उन्होंने खुद बताया है कि कैसे उनके बचपन (APJ abdul kalam Childhood) के अनुभवों ने उनके मन मे हर धर्म के प्रति आदर भाव के बीजों को सींचा था.
संघर्ष में बीते बचपन के कई साल
डॉ अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का तमिलनाडु के रामेश्वरम (तत्कालीन में एक मुस्लिम परिवार में जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था. उनके पिता नाव से हिंदुओं की तीर्थ यात्रा कराते थे. लेकिन जल्दी ही उन्हें यह व्यवसाय खोना पड़ा जिससे परिवार आर्थिक संकट में आ गया. डॉ कलाम का बचपन बहुत संघर्ष में बीता और उन्हें परिवार की मदद करने के लिए अखबार बेचने का काम भी किया.
बचपन से थे जिज्ञासु
डॉ कलाम ने अपनी आत्मकथा विग्स ऑफ फायर में अपने बचपन का जिक्र किया है. इसके पहले अध्याय में उन्होंने उन प्रमुख लोगों का जिक्र किया है जिनका उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा. इन वृत्तातों से हमें पता चलता है कि बचपन में उनमें वैज्ञानिक होने की मूलभूत गुण जिज्ञासा कूट कूट कर भरी थी और उनके संदेहों को उनके धार्मिक पिता बखूबी मिटाया करते थे. जिससे उनके अंदर वैज्ञानिक दृष्टिकोण पनपने में मदद मिली.
मंदिर के पुजारी और पिता के दोस्त
रामेश्वरम के शिव मंदिर डॉ कलाम के घर केपास होने का उन पर गहरा असर पड़ा, जबकि जहां वे रहा करते थे वह एक मुस्लिम बहुल इलाका था. उनके जीवन पर रामेश्वरम मंदिर के पुजारी पक्षी लक्ष्मण शास्त्री का असर था जो उनके पिता के मित्र थे. उन्होंने कई बार दोनों को आध्यात्मिक चर्चाएं करते सुना था. डॉ कलाम ने जिक्र किया है कि जब उन्होंने अपने पिता के प्रार्थना के महत्व के बारे में पूछा था, तब उनके पिता ने बताया था कि प्रार्थना आत्माओं को जोड़ने का काम करती है. उससे शरीर ब्रह्माण्ड से जुड़ता है जो किसी संपदा, उम्र, जाति और पंथ का भेदभाव नहीं जानता.
रामेश्वरम मंदिर (Rameshwarm Temple) के तीर्थ की वजह से डॉ कलाम ने बचपन से ही हिंदुओं से काफी संपर्क रहा. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
आध्यात्मिक दोस्त
उनके पिता डॉ कलाम की हर आध्यात्मिक या धार्मिक जिज्ञासा का निष्पक्ष रूप से जवाब दिया करते थे. उसी उनके मन में आध्यात्मिकता का झुकाव हमेशा ही बना रहा जिसके बाद में उन्हें अनोखे अनुभव भी होते रहे. पिता के अलावा उन्होंने अहमद जलालुद्दीन का भी जिक्र किया है जो उनके रिश्तेदार थे, लेकिन 15 साल बड़े होने के बाद भी उनके मित्रवत संबंध ही थे. दोनों ईश्वर और आध्यात्मिकता पर खूब चर्चा किया करते थे. उन्होंने कभी संदेह नहीं किया कि मंदिर और मस्जिद में की जाने वाली प्रार्थनाओं में अलग अलग प्रभाव होंगे.
यह भी पढ़ें: Sister Nivedita Death Anniversary: भारत को अपना सब कुछ दे गई थीं भगिनी निवेदिता
तीन हिंदू दोस्त
इसके अलावा डॉ कलाम के तीन बहुत अच्छे दोस्त थे.रामानंद शास्त्री, अरविंदन और शिवप्रकाशन. तीनो ही परंपरागत हिंदू ब्राह्मण परिवारों से थे. बचपन में उन्होंने कभी भी हिंदू मुस्लिम का भेदभाव नहीं देखा और तीनों ही ताउम्र उनके अच्छे दोस्त बने रहे. पांचवी कक्षा में एक नए शिक्षक ने देखा कि एक मुस्लिम (डॉ कलाम) हिंदू ब्राह्मण बच्चों के साथ बैठा है तो उन्होंने उन्हें अलग अलग बैठा दिया.जिसका उन्होंने और रामानंद शास्त्री दोनों को बहुत ही बुरा लगा. यह जानने के बाद लक्ष्मण शास्त्री ने दोनों के सामने ही उस शिक्षक को समझाया कि उन्हें ऐसा भेदभाव नहीं करना चाहिए.
डॉ कलाम (APJ Abdul Kalam) का उनके जीवन पर उनके शिक्षकों का गहरा प्रभाव रहा था. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
विज्ञान के शिक्षक
रामेश्वरम में उस जमाने में काफी भेदभाव होने के बाद भी डॉ कलाम के सभी धर्मों के प्रति आदर भाव मजबूत होता गया. उनके विज्ञान के शिक्षक शिवसुब्रमण्यम अय्यर परंपरागत ब्राह्मण परिवार के होने के बावजूद किसी भी भेदभाव से खुद को दूर रखते थे. वे खुद डॉ कलाम से कहते थे, “कलाम मैं चाहता हूं. कि तुम अपना ऐसा विकास करोकि तुम बड़े शहरों के उच्च शिक्षित लोगों के बीच बैठ सको.“
यह भी पढ़ें: Jayaprakash Narayan B’day: क्या जेपी की भी थी कोई ‘मेकिंग ऑफ लोकनायक’ कहानी?
इसके बाद डॉ कलाम की आगे की पढ़ाई में इयादुरई सोलोमन ने उनमें जीवन के प्रति बहुत सकारात्मकता भरने का काम किया. तो सेंट जोसफ स्कूल के फादर टीएन सक्वेरिया से भी वे बहुत प्रभावित रहे. इस स्कूल में उनका परिचय अंग्रेजी साहित्य से तो पड़ा है उनके कमरे में एक सीरियाई क्रिश्चियन भी उनके साथ रहा है. इसी स्कूल में उन्होंने ईसाइयों के साथ सामान्जस्य बनाना सीखा. लेकिन इसी के साथ उन्होंने दर्शनशास्त्र की भी कुछ जानकारियां हासिल हो सकीं. अपने इन अनुभवों के साथ डॉ कलाम लिखते हैं कि विज्ञान हमेशा ही आध्यात्मिक उत्थान और आत्मज्ञान के रास्ते पर ले जाता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Dr. APJ Abdul Kalam, India, Research, Science
FIRST PUBLISHED : October 15, 2022, 06:43 IST
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post