हाइलाइट्स
भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होते हैं सभी एकादशी व्रत.
सभी एकादशी व्रत के अलग-अलग नाम और महत्व होते हैं
Ekadashi Vrat: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और व्रत का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि व्रत से संकल्प और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. आप जिस देवी-देवता के लिए व्रत करते हैं, उनकी शीघ्र कृपा भी प्राप्त होती है. वहीं व्रत करने से शरीर और मन भी शुद्ध होता है, इसलिए विशेष पूजा-पाठ में व्रत-उपवास रखने का महत्व होता है. हिंदू धर्म में पूरे साल में कई व्रत-त्योहार पड़ते हैं. लेकिन एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. पूरे साल में कुल 26 एकादशी व्रत होते हैं, जोकि भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होते हैं. मान्यता है कि यदि आप 12 महीने में पड़ने वाली सभी 26 एकादशी व्रतों को कर लेते हैं तो आपको जीवन में किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं कुल 26 एकादशी व्रत के लाभ और महत्व के बारे में.
पूरे साल में पड़ती है कुल 26 एकादशी
हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह दो एकादशी (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष) पड़ती है. वहीं पूरे साल में कुल 24 और अधिकमास में कुल 26 एकादशी तिथियां पड़ती हैं. प्रत्येक तीसरे वर्ष के बाद अधिकमास होने के कारण इसमें 2 एकादशी की तिथियां बढ़ जाती हैं. एकादशी के सभी व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होते हैं. सभी एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है और सभी का विशेष महत्व भी होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार नववर्ष की शुरूआत चैत्र माह से होती है, इसलिए जानते हैं चैत्र माह से लेकर फाल्गुन माह तक पड़ने वाली एकादशियों के महत्व के बारे में.
26 एकादशी के 26 लाभ और महत्व
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा और वैशाख कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है. कामदा एकादशी के व्रत से व्यक्ति को पिशाच आदि योनि से मुक्ति मिलती है. वहीं वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में मोहिनी एकादशी और ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. मोहिनी एकादशी में भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा होती है और अपरा एकादशी के व्रत से व्यक्ति को अपार सुखों की प्राप्ति होती है.
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में निर्जला एकादशी पड़ती है जोकि सबसे कठिन एकादशी होती है. आषाढ कृष्ण पक्ष में योगिनी एकादशी पड़ती है. योगिनी एकादशी के व्रत से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है.
आषाढ़ शुक्ल पक्ष में देवशयनी और सावन कृष्ण पक्ष में कामिका एकादशी पड़ती है. देवशयनी एकादशी के व्रत से उपद्रवों को शांति मिलती है. वहीं सावन कामिका एकादशी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को मरणोपरांत जीव की कुयोनी प्राप्त नहीं होती.
सावन माह के शुक्ल पक्ष में पुत्रदा एकादशी पड़ती है. इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. वहीं भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष में अजा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को करने से घर पर सुख-शांति का वास होता है और दरिद्रता दूर होती है.
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में परिवर्तनी एकादशी पड़ती है. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी कष्ट और संताप दूर हो जाते हैं. आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस व्रत को करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष को पापाकुंशा एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी से व्यक्ति के पाप मुक्त हो जाते हैं. वहीं कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष को रमा एकादशी कहा जाता है. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
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कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष में प्रबोधिनी एकादशी पड़ती है, जिससे व्यक्ति का भाग्य जागृत होता है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को करने से हजार वाजपेय और अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है.
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पौष माह के कृष्ण पक्ष में सफला एकादशी का व्रत करने से सभी कार्य सफल होते हैं.
पौष माह के शुक्ल पक्ष को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इससे पुत्र रत्न धन की प्राप्ति होती है. माघ महीने के कृष्ण पक्ष को षटतिला एकादशी कहा जाता है. षटतिला एकादशी का व्रत करने से दुर्भाग्य और दरिद्रता दूर होते हैं.
माघ माह की शुक्ल पक्ष को जया एकादशी कहा जाता है. इस व्रत से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में विजया एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को करने से बड़े से बड़े परेशानी दूर हो जाती है.
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फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी में आवंला वृक्ष की पूजा का महत्व होता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के पाप नाश होते हैं.
अधिकमाह में पद्मिनी एकादशी और परमा एकादशी का व्रत रखा जाता है. जोकि मनोकामना पूर्ति के साथ धन, वैभव, कीर्ति और मोक्ष प्रदान करने वाली होती है.
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Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu
FIRST PUBLISHED : October 06, 2022, 09:30 IST
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