Explained: पहले ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चÌचल ने भारतीयों की नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमता का उपहास उड़़ाया था। लेकिन आज उसी ब्रिटेन के प्रशासन की डोर भारतीय मूल के एक राजनेता के हाथों में आ चुकी है। ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना ऐतिहासिक घटना है‚ जिससे सभी भारतीय गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। सुनक से पहले भी कई भारतवंशी विभिन्न देशों के शासनाध्यक्ष बन चुके हैं‚ लेकिन ब्रिटेन जैसे प्रमुख देश का प्रधानमंत्री भारतीय मूल का व्यक्ति पहली बार बना है। हर बार भारतवंशियों की अंतरराष्ट्रीय पटल पर उल्लेखनीय सफलताएं भारतीयों की प्रतिभा के बढ़ते प्रभुत्व को सुदृढ़ करती हैं।
भारतवंशी हर दिशा और विधा में धीरे-धीरे अपना प्रभुत्व बढ़ते जा रहे हैं। जैसे राजनीति में 10 विभिन्न देशों में कुल 31 बार भारतीय मूल के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति रहे हैं। विज्ञान के क्षेत्र में वर्ष 2008 में छपे इकोनॉमिक टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार‚ अमेरिका के विश्व प्रसिद्ध वैमानिकी और अंतरिक्ष संस्था नासा में 36 प्रतिशत वैज्ञानिक और अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजीशियंस ऑफ इंडियन ओरिजिन के वर्ष 2019 के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका के 29.5 प्रतिशत चिकित्सक भारतीय मूल के हैं। यही स्थिति व्यवसाय क्षेत्र में भी है‚ जहां भारतीय मूल के व्यवसायियों द्वारा स्थापित व्यवसाय अग्रणी हो रहे हैं। विश्व की बड़ी कंपनियां भी भारतीय मूल के पेशेवरों को सर्वोच्च पदों पर नियुक्त कर रही हैं। अमेरिका की सिलिकॉन वैली में नियुक्त इंजीनियरों में एक तिहाई भारत से हैं। पूरी दुनिया के लगभग 10 फीसदी उच्च तकनीकी कंपनियों के सीईओ भारतीय मूल के हैं। ऐसे परिद्श्य में भारतवंशियों के व्यवसाय और तकनीक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते प्रभुत्व की विवेचना आवश्यक हो जाती है।
भारतीय मूल के बिलियेनायर व्यवसायियों की फेहरिस्त दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भारतीय मूल के विश्व प्रसिद्ध उद्योगपतियों में आर्सेलर-मित्तल के लक्ष्मी मित्तल‚ जेडस्केलर के जय चौधरी‚ सन माइक्रोसिस्टम के पूर्व सहसंस्थापक विनोद खोसला‚ वेदांता रिसोर्सेज के अनिल अग्रवाल‚ सिम्फनी टेक्नोलॉजी ग्रुप के संस्थापक रोमेश वाधवानी शामिल हैं। हजारों अप्रवासी भारतीय विदेशों में सफलतापूर्वक अपने व्यवसाय भी संचालित कर रहे हैं। जहां भारतीय मूल के बिलियेनायर उद्योगपतियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है वहीं फेहरिस्त में पहले से स्थापित उद्योगपतियों की नेट वर्थ और बाजार मुल्यांकन में तेज वृद्धि हो रही है। उदाहरण के तौर पर विनोद खोसला की नेट वर्थ 2020 के 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर से 2 वर्ष में बढ़कर 5.3 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई है‚ वहीं रोमेश वाधवानी की कुल संपत्ति 2020 के 3.4 अरब डॉलर से बढ़कर 5.1 डॉलर तक पहुंच चुकी है।
ग्लोबल इंडियन टाइम्स के अक्टूबर‚ 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार‚ अमेरिका की 44 प्रमुख कंपनियों के सीईओ भारतीय हैं। आईटी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नाडेला भारतीय मूल के हैं‚ प्रसिद्ध इंटरनेट कंपनी अल्फाबेट के सुंदर पिचई भी भारतीय मूल के हैं। सॉफ्टवेयर कंपनी एडोब के शांतनु नारायण‚ आईबीएम के अरविंद कृष्ण‚ एलएमवेयर के रंगराजन रघुराम‚ अरिस्टा नेटवर्क की जयश्री उल्लाल‚ मास्टर कार्ड के अजयपाल सिंह बग्गा सहित अनेकों भारतीय मूल के पेशेवर लोकप्रिय आईटी और तकनीकी कंपनियों का संचालन कर रहे हैं। पहले भारतीय पेशेवरों को तकनीकी व्यवसाय तक सीमित माना जाता था‚ लेकिन बार्कलेज के सीएस वेंकटकृष्णन‚ चैनल की लीना नायर इत्यादि गैर-आईटी क्षेत्र में भारतीय मूल के पेशेवरों का प्रभुत्व स्थापित कर रहे हैं।
भारतीयों की बढ़øती धमक॥ धीरे-धीरे भारतीय मूल के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है‚ उदाहरण के तौर पर पिछले वर्ष नवम्बर में प्रसिद्ध सोशल मीडिया संस्था ट्विटर ने भारतीय मूल के पराग अग्रवाल को अपना सीईओ नियुक्त किया। अभी सितम्बर महीने में स्टारबक्स कॉरपोरेशन ने लक्षमण नरसिम्हन को अपना मुख्य कार्यकारी अधिकारी नामित किया। नरसिम्हन पहले रेकिट बेंकिजर के सीईओ थे। प्रत्यक्ष तौर पर प्रवासी भारतीयों और भारतवंशियों का प्रभुत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। प्रवासियों के मामले में सबसे ज्यादा लगभग 18 मिलियन भारतीय प्रवासी दूसरे देशों में रहते हैं। भारतीय प्रवासियों का शीर्ष गंतव्य अमेरिका है; भारतीय अमेरिका के सबसे धनी और सफल अप्रवासी समूह हैं।
अंतरराष्ट्रीय उद्योग विशेषज्ञ भारतीय उद्यमिता को विश्व के आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण इंजन बताते हैं। भारतीयों को अपनी संस्कृति और परंपरा को साथ लेकर किसी भी समाज या समूह में एकीकृत करने की कला बेहतर तौर पर आती है। भारतीयों को तकनीक की अच्छी समझ होती है‚ जिसका उपयोग हर क्षेत्र को बेहतर बनाने में किया जा रहा है। भारतीयों के विश्व स्तर पर बढ़ते प्रभुत्व में बेहतर अंग्रेजी बोलना भी बड़ा कारण है क्योंकि भारतीय अंग्रेजी दुनिया भर के अधिकांश लोग आसानी से समझते हैं। भारतीय अनुशासन‚ कर्मठता‚ बेहतर रणनीति के लिए भी जाने जाते हैं। आज ऋषि सुनक को विपरीत राजनीतिक-आर्थिक परिदृश्य में ही ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनाया गया है क्योंकि हम भारतीयों के कौशल पर विश्व समुदाय का भरोसा बढ़ता जा रहा है।
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