Published: Jan 19, 2023 10:35:00 pm
खेल संघों की कार्यशैली, चयन में पक्षपात और खिलाडिय़ों को समुचित सुविधाएं नहीं मिलने के आरोप तो पहले भी लगते रहे हैं, लेकिन ताजा मामला ऐसा है जिसने कुश्ती महासंघ ही नहीं, बल्कि तमाम खेल संघों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
Patrika Opinion: कटघरे में खेल संघों की कार्यप्रणाली
ओलंपिक जैसे प्रतिष्ठित खेल महाकुंभ में पदक जीतने वाली महिला पहलवानों का ठिठुरती सर्दी में रात भर धरने पर बैठना चिंताजनक ही माना जाएगा। महिला पहलवानों का यह धरना सुविधाएं बढ़ाने को लेकर नहीं, बल्कि यौन उत्पीडऩ के विरोध में हो, तो चिंता और बढ़ जाती है। महिला एथलीटों के जंतर-मंतर पर धरना देने से दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में भी हडक़ंप मच गया है। महिला पहलवानों का सीधा आरोप है कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और उनके चहेते महिला पहलवानों का यौन शोषण कर रहे हैं। धरना देने वाली पहलवानों ने सबूत होने की बात भी कही है। देश का गौरव बढ़ाने वाली महिला एथलीटों को अगर अपने सम्मान की रक्षा के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है, तो हमारे खेल संघों की कार्यप्रणाली भी कटघरे में आ जाती है।
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