Publish Date: | Thu, 27 Oct 2022 02:23 PM (IST)
– ध्यान साधना तो घर-परिवार के बीच भी अच्छे विचारों से की जा सकती है: माताजी
– कर्म से पहले मिलता है विचारों का फल
ग्वालियर.नईदुनिया प्रतिनिधि। ध्यान करना कोई ऐसी साधना नहीं है जिसे करना बहुत मुश्किल हो! और इसके लिए भगवान या मंदिर की भी जरूरत नहीं है। ये साधना तो घर-परिवार के बीच भी अच्छे विचारों से की जा सकती है। इसके लिए मन की सुंदरता का विकास करने की जरूरत है। तुम ध्यान से घबराओ मत क्योकि ध्यान कोई जटिल काम नहीं है। यह उदगार सिद्धांत रत्न, भारत गौरव गणिनी आर्यिकाश्री विशुद्धमती माताजी की सुशिष्य पट्ट गणिनी आर्यिकाश्री विज्ञमती माताजी ने बुधवार को चम्पाबाग धर्मशाला में व्यक्त किए।
पहले मिलता है विचारों का फल
माताजी ने बताया कि आचरण का फल भी मिलता है, लेकिन पहले विचारों का फल मिलता है। यह बहुत अद्भुत होता है। लेकिन विचार श्रेष्ठ होना चाहिए। इसके लिए साधना करना पड़ती है। धर्म का उपयोग मन, वचन और शरीर की सुंदरता के लिए किया जाना चाहिए।
उसी से सुख, उसी से दुख
माताजी ने कहा कि जिससे सुख मिलता है उससे दुःख दुख भी मिलता है। उदाहरण के लिए जो आग खाना पकाती है, वह अच्छी लगती है, जबकि जो जलाती है, वह पीड़ा देती है। हमारे सुख दुख सभी हमारे कर्मों का फल होता है! उन्होंने कहा कि ध्यान को धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता, ये दोनों अलग-अलग होते हैं।
सचेत मन से करें स्तुति
माताजी ने बताया कि भगवान की स्तुति उन्हीं के गुणों से, उन्हीं के सामने सचेत मन से की जाना चाहिए। उन्होंने अज्ञान से ज्ञान तक की यात्रा की है। तीर्थंकरों की साधना से ग्रहस्थों को कल्याण के लिए स्तुति करने की प्रेरणा मिलती है। किसी भी साधना को कसौटी पर परखना भी जरूरी होता है।
Posted By: anil tomar
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