कोलाघाट पुल से अवागामन रोकने को पुल के पास तैनात पुलिसकर्मी
– फोटो : SHAHJAHANPUR
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शाहजहांपुर। वर्ष 2009 में 43 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुए कोलघाट पुल की सेतु निगम ने नियमित देखभाल कराई होती तो वह जल्दी नही ढहता। अब अफसर भी मान रहे हैं कि तेरह साल में कायदे से मरम्मत को बजट नहीं मिला, केवल पैचवर्क ही होता रहा। सतह के आसपास डाले जाने वाले पत्थरों की निगरानी में लापरवाही से भी पिलर तिरछे हो सकते हैं।
30 नवंबर 2021 को कोलाघाट पुल का एक पिलर जमींदोज होने से पुल टूटकर तीन हिस्सों में बंट गया था। तब से मिर्जापुर और कलान क्षेत्र के लोग जलालाबाद और जिला मुख्यालय तक आने-जाने में भारी कठिनाई झेल रहे हैं। पुल ढहने के बाद शासन के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग ने विशेषज्ञ एजेंसी के तौर पर केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) से जांच कराई। एजेंसी ने शुरुआती दोनों जांच रिपोर्टों में पुल की ऐसी खामियों को इंगित किया है जो लंबे समय तक पुल पर वृहद स्तर पर मरम्मत कार्य नहीं होने की ओर इशारा कर रही हैं।
उदाहरण के तौर पर सीआरआरआई की पहली रिपोर्ट में पुल के ऊपरी भाग की मरम्मत और नवीनीकरण कराने का सुझाव दिया गया है जबकि दूसरी रिपोर्ट में वेल कैप (पिलर के आधार का आवरण), पियर और पियर कैप की क्षमता जांचने की सलाह दी गई है। अब सीआरआरआई से तीसरी रिपोर्ट मिलने की प्रतीक्षा की जा रही है जो कि पिलर के लिए बनाए गए कुओं के फाउंडेशन की मौजूदा स्थिति स्पष्ट करेगी। लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं के अनुसार सीआरआरआई के तकनीकी विशेषज्ञों ने पुल में जो कमियां बताईं उन्हें सेतु निगम ने समय रहते ठीक नहीं कराया। खास यह है कि सेतु निगम अधिकारी पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की बताकर पुल ढहने की जवाबदेही लेने को तैयार नहीं हैं।
अधिकारियों की बात
मेरे दो वर्ष के स्थानीय कार्यकाल में कोलाघाट पुल के गड्ढे पाटने को बजरी-कोलतार से कई बार पैचवर्क कराया लेकिन इसके लिए अलग से कोई बजट नहीं मिलने के कारण मेंटीनेंस मद से धनराशि उपयोग की गई। किसी भी पुल पर तकनीकी दृष्टि से बड़े मरम्मत कार्य वही संस्था कराती है जिसने पुल निर्मित कराया हो। पुल ढहने से दो-तीन माह पहले पुल के ऊपर दो पिलर के बीच की रेलिंग विपरीत दिशा में खिसकने पर विभाग के स्तर से जांच कराई और पुल के कई बेयरिंग बदले गए, लेकिन इस काम के लिए भी अलग से कोई बजट जारी नहीं हुआ। – राजेश चौधरी, अधिशासी अभियंता, लोनिवि (निर्माण खंड-1)
सेतु निगम किसी भी पुल का निर्माण कराने के बाद यातायात शुरू होने पर करीब एक वर्ष तक उसका गुणवत्ता परीक्षण करता है। एक वर्ष बाद पुल लोक निर्माण विभाग की क्षेत्रीय इकाई को हस्तांतरित कर दिया जाता है। निर्माण पूरा होने के एक वर्ष बाद ही कोलाघाट पुल भी लोनिवि को हैंडओवर किया जा चुका है। इसलिए पुल की मरम्मत नहीं होने और उसके ढहने की जवाबदेही से लोनिवि को मुक्त नहीं किया जा सकता। अंतिम चरण की जांच पूरी होने के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि कौन कितना दोषी है। – संदीप गुप्ता, मुख्य परियोजना प्रबंधक, उप्र राज्य सेतु निगम लिमिटेड
कोलाघाट पुल पर आवागमन रोकने को पुलिस का पहरा
जलालाबाद। एक अक्तूबर से पैदल यात्रियों के आवागमन को कोलाघाट पुल पर मंगलवार को निर्माण संबंधी कोई गतिविधि शुरू नहीं हो सकी। बीते दिन सेतु निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक संदीप गुप्ता ने एक अक्तूबर से पैदल यात्रियों के लिए कोलाघाट का पुल शुरू करा देने की बात कही थी। चूंकि, पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से के निर्माण के बाद यातायात शुरू कराने में जांच रिपोर्ट न आने की समस्या आड़े आ गई।
इसी अनिश्चितता के चलते पुल के दोनों ओर पक्की दीवार खड़ी कर दी गई थी। नदी का जलस्तर बढ़ने से जोखिम के मद्देनजर प्रशासन ने पिछले सप्ताह नाव का संचालन भी बंद करा दिया। तभी से पुल पर आवागमन की अनुमति दिए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस सुविधा को शुरू करने से पहले पुल पर बनी दीवार हटाने के अलावा वहां से होकर बाइक या अन्य तरह के वाहनों की आवाजाही रोकने को दोनों छोरों पर व्यवस्थाएं की जानी हैं। सेतु निगम के डीपीएम ब्रजेंद्र मौर्य ने बताया कि इसकी तैयारियां की जा रही हैं और साइन बोर्ड बनवाए जा रहे हैं। संवाद
विस्तार
शाहजहांपुर। वर्ष 2009 में 43 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुए कोलघाट पुल की सेतु निगम ने नियमित देखभाल कराई होती तो वह जल्दी नही ढहता। अब अफसर भी मान रहे हैं कि तेरह साल में कायदे से मरम्मत को बजट नहीं मिला, केवल पैचवर्क ही होता रहा। सतह के आसपास डाले जाने वाले पत्थरों की निगरानी में लापरवाही से भी पिलर तिरछे हो सकते हैं।
30 नवंबर 2021 को कोलाघाट पुल का एक पिलर जमींदोज होने से पुल टूटकर तीन हिस्सों में बंट गया था। तब से मिर्जापुर और कलान क्षेत्र के लोग जलालाबाद और जिला मुख्यालय तक आने-जाने में भारी कठिनाई झेल रहे हैं। पुल ढहने के बाद शासन के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग ने विशेषज्ञ एजेंसी के तौर पर केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) से जांच कराई। एजेंसी ने शुरुआती दोनों जांच रिपोर्टों में पुल की ऐसी खामियों को इंगित किया है जो लंबे समय तक पुल पर वृहद स्तर पर मरम्मत कार्य नहीं होने की ओर इशारा कर रही हैं।
उदाहरण के तौर पर सीआरआरआई की पहली रिपोर्ट में पुल के ऊपरी भाग की मरम्मत और नवीनीकरण कराने का सुझाव दिया गया है जबकि दूसरी रिपोर्ट में वेल कैप (पिलर के आधार का आवरण), पियर और पियर कैप की क्षमता जांचने की सलाह दी गई है। अब सीआरआरआई से तीसरी रिपोर्ट मिलने की प्रतीक्षा की जा रही है जो कि पिलर के लिए बनाए गए कुओं के फाउंडेशन की मौजूदा स्थिति स्पष्ट करेगी। लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं के अनुसार सीआरआरआई के तकनीकी विशेषज्ञों ने पुल में जो कमियां बताईं उन्हें सेतु निगम ने समय रहते ठीक नहीं कराया। खास यह है कि सेतु निगम अधिकारी पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की बताकर पुल ढहने की जवाबदेही लेने को तैयार नहीं हैं।
अधिकारियों की बात
मेरे दो वर्ष के स्थानीय कार्यकाल में कोलाघाट पुल के गड्ढे पाटने को बजरी-कोलतार से कई बार पैचवर्क कराया लेकिन इसके लिए अलग से कोई बजट नहीं मिलने के कारण मेंटीनेंस मद से धनराशि उपयोग की गई। किसी भी पुल पर तकनीकी दृष्टि से बड़े मरम्मत कार्य वही संस्था कराती है जिसने पुल निर्मित कराया हो। पुल ढहने से दो-तीन माह पहले पुल के ऊपर दो पिलर के बीच की रेलिंग विपरीत दिशा में खिसकने पर विभाग के स्तर से जांच कराई और पुल के कई बेयरिंग बदले गए, लेकिन इस काम के लिए भी अलग से कोई बजट जारी नहीं हुआ। – राजेश चौधरी, अधिशासी अभियंता, लोनिवि (निर्माण खंड-1)
सेतु निगम किसी भी पुल का निर्माण कराने के बाद यातायात शुरू होने पर करीब एक वर्ष तक उसका गुणवत्ता परीक्षण करता है। एक वर्ष बाद पुल लोक निर्माण विभाग की क्षेत्रीय इकाई को हस्तांतरित कर दिया जाता है। निर्माण पूरा होने के एक वर्ष बाद ही कोलाघाट पुल भी लोनिवि को हैंडओवर किया जा चुका है। इसलिए पुल की मरम्मत नहीं होने और उसके ढहने की जवाबदेही से लोनिवि को मुक्त नहीं किया जा सकता। अंतिम चरण की जांच पूरी होने के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि कौन कितना दोषी है। – संदीप गुप्ता, मुख्य परियोजना प्रबंधक, उप्र राज्य सेतु निगम लिमिटेड
कोलाघाट पुल पर आवागमन रोकने को पुलिस का पहरा
जलालाबाद। एक अक्तूबर से पैदल यात्रियों के आवागमन को कोलाघाट पुल पर मंगलवार को निर्माण संबंधी कोई गतिविधि शुरू नहीं हो सकी। बीते दिन सेतु निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक संदीप गुप्ता ने एक अक्तूबर से पैदल यात्रियों के लिए कोलाघाट का पुल शुरू करा देने की बात कही थी। चूंकि, पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से के निर्माण के बाद यातायात शुरू कराने में जांच रिपोर्ट न आने की समस्या आड़े आ गई।
इसी अनिश्चितता के चलते पुल के दोनों ओर पक्की दीवार खड़ी कर दी गई थी। नदी का जलस्तर बढ़ने से जोखिम के मद्देनजर प्रशासन ने पिछले सप्ताह नाव का संचालन भी बंद करा दिया। तभी से पुल पर आवागमन की अनुमति दिए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस सुविधा को शुरू करने से पहले पुल पर बनी दीवार हटाने के अलावा वहां से होकर बाइक या अन्य तरह के वाहनों की आवाजाही रोकने को दोनों छोरों पर व्यवस्थाएं की जानी हैं। सेतु निगम के डीपीएम ब्रजेंद्र मौर्य ने बताया कि इसकी तैयारियां की जा रही हैं और साइन बोर्ड बनवाए जा रहे हैं। संवाद
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