वर्तमान समय की लाइफस्टाइल ऐसी हैं जहां लोगों को अपने काम से फुर्सत ही नहीं मिल पाती हैं और आराम का समय कम हो चुका हैं जिसके चलते तनाव होना लाजमी हैं। हांलाकि इसके अलावा भी तनाव के कई कारण हो सकते हैं। यह सामान्य बात हैं लेकिन जब यह बढ़ते हुए ऐंग्जाइटी डिसऑर्डर में तब्दील हो जाता हैं तो चिंता का कारण बन जाता हैं। एंग्जायटी एक ऐसा शब्द है जो आजकल सबसे ज्यादा सुना जाने लगा है। अभी तक अछूता रहा भारत भी अब इस मानसिक बीमारी की चपेट में आने लगा है। ऐंग्जाइटी आपके लिए ना केवल शारीरिक रूप से परेशानियां बढ़ाता है बल्कि ये दिमाग और मेंटल हेल्थ को भी नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो ऐंग्जाइटी डिसऑर्डर को बढ़ाने का काम कर रही है।
अनियमित खान-पान
सुबह का नाश्ता छोड़ देना या दिन-दिनभर कुछ नहीं खाना या लगभग रोज रात को ही बिना कुछ खाए सो जाना या कुछ जंक फूड खाकर सो जाना। यह ऐसी आदत है जो आपके शरीर के साथ-साथ आपके ब्रेन को भी कमजोर करती है। भूखे रहकर आप अपना स्ट्रेस लेवल बढ़ा रहे हैं। केवल संतुलित खान-पान से ही ऐंग्जाइटी से सम्बन्धित कई समस्याएं हल हो सकती हैं। ज्यादा देर तक भूखे रहने पर आपका ब्लड शुगर लेवल गिर जाता है और इस वजह से आपकी ऐंग्जाइटी की समस्या और बढ़ जाती है।
वर्कआउट न करना
यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपके लिए व्यायाम कितना जरूरी है। एक स्वस्थ जीवन शैली आपको कई तरह की समस्याओं से बचाए रखती है। पबमेड पर प्रकाशित शोध में पाया गया कि लंबे समय तक निष्क्रिय जीवनशैली जीन से या एक ही पोजीशन में लंबे समय तक बैठे रहने का असर आपकी मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है। इसलिए यह जरूरी है कि काम के बीच में हल्की शारीरिक गतिविधि करते रहें। कुर्सी से उठें, थोड़ी देर टहलें, उठ कर कोई और काम निपटाएं। इससे आप तनावग्रस्त होने से बची रह सकती हैं।
कॉफी या चाय का अधिक सेवन
अक्सर लोग फ्रेश फील करने के लिए कॉफी या चाय का सेवन करते हैं। लेकिन सच बात तो ये है कि कैफीन वास्तव में तनाव पैदा कर सकती है। शुरुआत में तो ये एड्रेनालाईन को बढ़ावा देता है लेकिन बाद में आपको स्ट्रेस और एंजाइटी की शिकायत होती है। कैफीन का अधिक मात्रा में उपयोग करने से आपकी बॉडी में डिहाइड्रेशन हो सकता है, जो आपके दिल की धड़कन को तेज़ करता है।
सोशल मीडिया पर बहुत अधिक समय बिताना
हम इसे चाहें या न चाहें, पर यह सच है कि आज के समय में सोशल मीडिया की अनदेखी करना काफी मुश्किल है। सोशल मीडिया पर आना, उसे लगातार स्क्रॉल करते रहना या अपनी कोई फोटो या कमेंट पोस्ट करना, हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। हमें इसे खाने जितना जरूरी काम मानने लगे हैं। जर्नल ऑफ सोशल एंड क्लिनिकल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में यह देखा गया कि जितना अधिक समय आप सोशल मीडिया पर खर्च करते हैं, उतना ही ज्यादा नकारात्मक भावनाओं से घिर जाते हैं और इसका असर आपके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
देर रात तक जागना
ऐंग्जाइटी से ग्रस्त कई लोग देर रात तक सोते नहीं हैं, और तनाव को अपने ऊपर और हावी होने देते हैं, और यह बढ़ता हुआ तनाव उनकी बची-खुची नींद भी ले उड़ता है। फिर यह तनाव दिन में भी आपकी पीछा नहीं छोड़ता। इसलिए देर रात तक खुद को न जगाएं। एक दिनचर्या बना लें और कोशिश करें जितनी जल्दी हो सके, बिस्तर पर चले जाएं। कहते हैं कि रात 10 बजे से सुबह 4 बजे का समय सोने के लिए परफेक्ट होता है। शुरू में कुछ दिन आपको बिस्तर पर लेटे-लेटे भी नींद नहीं आएगी, लेकिन धीरे-धीरे जब आपकी शेड्यूल बन जाएगा, तब नींद आने लगेगी।
तन्हाई
ऐंग्जाइटी के चलते लोग खुद को बाकी दुनिया से काट लेते हैं और ज्यादातर अकेले रहना ही पसंद करने लगते हैं। अकेले रहकर वे बस उन्हीं बातों के बारे में सोचते रहते हैं, जो उन्हें परेशान करने वाली होती हैं। इसलिए खुद को अकेला मत होने दीजिए। दोस्तों से बात करिए, नए दोस्त बनाइए, उनसे बात करिए, फिर भले ही ये बातें अपनी ऐंग्जाइटी के बारे में ही क्यों न हो। जो मन में है, बस निकाल दीजिए। आपकी लाइफ में जितने करीबी रिश्ते होंगे, ऐंग्जाइटी आपसे उतना ही दूर भागेगी।
सॉफ्ट ड्रिंक्स को कहें ना
आर्टिफिशियल शुगर आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नेगेटिव इंपैक्ट डालती है। इसका उपयोग करने से शरीर में सूजन और तनाव भी बढ़ सकता है। डायबिटीज के मरीजों की इम्युनिटी आमतौर पर कमजोर होती है। ऐसे में इनके सेवन से न केवल मरीजों का ब्लड शुगर हाई हो जाता है बल्कि खांसी-जुकाम की शिकायत भी होने लगती है।
ज्यादा मात्रा में शराब पीना
कुछ लोगों की यह आदत होती है कि जैसे ही वे तनाव या चिंता के शिकार होते हैं तो शराब पीना शुरू कर देते हैं। इससे आप उस समय के लिए तो चिंता मुक्त हो जाते हैं, पर बाद में यह आपके एंग्जायटी लेवल को बढ़ा देता है। अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में यह कहा गया है कि लंबी अवधि तक शराब का सेवन आपके मस्तिष्क को क्षति पहुंचाता है। इससे आपके मस्तिष्क की रीवायरिंग ऐसी हो जाती है कि आप और ज्यादा चिंता का अनुभव करने लगते हैं।
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