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डीजल में खेल से फेल हो रही एंबुलेंस सेवा
सिद्धार्थनगर। सरकार की निशुल्क एंबुलेस सेवा में डीजल बड़ी बाधा बन रहा है। डीजल की कमी मरीजों को समय से इलाज में बाधक बन रहा है। ‘ऊपर’ के खेल में जिले में एंबुलेंस सेवा फेल नजर आ रही है। जिम्मेदारों की मनमानी से समय से मरीजों को न पहुंचा पाने के कारण चालक लोगों के गुस्से का शिकार हो रहे हैं। जिम्मेदार 15 किलोमीटर प्रति लीटर की दर से डीजल मुहैया करा रहे हैं, जबकि खस्ताहाल एंबुलेंस जर्जर सड़कों पर आठ से 10 किलोमीटर का ही एवरेज दे रही हैं।
आए दिन होने वाली डीजल की कमी चालकों के लिए मुसीबत बन चुकी है। समय से न पहुंचने पर मरीज दम तोड़ रहे हैं। जोगिया कोतवाली क्षेत्र में एंबुलेंस उपलब्ध होने में देरी के कारण हादसे में घायल मरीज की मौत हो गई थी। जबकि, जरुरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिलाने के लिए सरकार लगातार बदलाव कर रही है। सुविधाएं बढ़ा रही है। निशुल्क एंबुलेंस सेवा का उद्देश्य आपात स्थिति में में बीमार को समय से अस्पताल पहुंचाना है, जिससे समय से उसका इलाज हो सके। सरकार सेवाओं को उचित लोगों को लाभ मिलने का दावा भी कर रही है। लेकिन, जिम्मेदारों की मनमानी दावे पर हावी है।
जानकारों का कहना है कि एंबुलेंस के मेंटेनेंस से लेकर डीजल भराने तक में खेल ही खेल है। उसका खामियाजा मरीजों को जान देकर भुगतना पड़ रहा है। जिले में इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं। कहीं ले जाते समय डीजल की कमी तो कहीं मरीज को बैठाते समय वाहन की खराबी के कारण चालक आक्रोश का शिकार हो रहे हैं। इस मामले में 108 एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम मैनेजर सौरव पांडेय ने बताया कि एंबुलेंस की मरम्मत के पर्याप्त इंतजाम हैं। खराबी आते ही मरम्मत करा दी जाती है।
रास्ते में खराब हुई एंबुलेंस, मरीज ने तोड़ा दम
एक एंबुलेंस कर्मी ने बताया कि जिला अस्पताल से गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के लिए मरीज को रेफर कर दिया गया। चालक ने सुबह ही जिम्मेदार से एंबुलेंस में डीजल की कमी बताई थी, लेकिन उसकी नहीं सुनी गई, कॉल आने पर भेज दिया गया। उसका पहुंचने से पहले ही डीजल खत्म हो गया। जब तक डीजल की व्यवस्था हुई, मरीज ने दम तोड़ दिया। चालक को परिवार के लोगों के आक्रोश का शिकार होना पड़ा।
डीजल की कमी, वृद्ध की चली गई जान
जोगिया कोतवाली क्षेत्र के करौंदा मसिना चौराहे पर 30 अक्तूबर को सड़क हादसे में वृद्ध जख्मी हो गया था। काफी इंतजार के बाद निजी वाहन से जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां से गोरखपुर रेफर कर दिया गया। दो घंटे बाद दो एंबुलेंस पहुंची। एक के चालक ने डीजल कमी बताई तो दूसरे ने सेल्फ खराब होने की बात कही। इस दौरान तड़पकर मरीज की मौत हो गई।
फंसते हैं चालक, सुनने वाला कोई नहीं
नाम नहीं छापने की शर्त पर दो एंबुलेंस चालकों ने बताया कि उनके साथ अत्याचार किया जाता है। एक बार वाहन में खराबी होने पर कई बार आवाज लगाते हैं, तब जाकर बनता है। इसी बीच मरीज को लाने जाते हैं तो कई बार एंबुलेंस चालू ही नहीं होती है। साथ ही डीजल में एवरेज की बात करते हैं और डीजल बढ़ाने के लिए कहा जाता है तो धमकी मिलती है। कहा जाता है कि जितना मिलता है, उसी में चलाओ नहीं तो बाहर का रास्ता दिखा देंगे। ऐसे में मौके पर चालक चला जाता है, खराबी और अन्य समस्या होने पर वही आक्रोश का शिकार होता है। विवाद व मारपीट होती है, लेकिन कोई समझने वाला नहीं है।
डिप्टी सीएम ने दिया केस दर्ज करने का निर्देश
31 अक्तूबर को अमर उजाला में ‘एंबुलेंस चालक बोला, नहीं है डीजल घायल ने तड़प-तड़प कर तो दिया दम’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। खबर का संज्ञान लेकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने ट्वीट के माध्यम से जानकारी शेयर की है कि सिद्धार्थनगर घटना संज्ञान में आई है। इस मामले में सीएमओ को निर्देशित किया गया है कि वह चालक पर केस दर्ज कराएं और सेवा प्रदाता के अन्य जिम्मेदारों पर कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
डीजल में खेल से फेल हो रही एंबुलेंस सेवा
सिद्धार्थनगर। सरकार की निशुल्क एंबुलेस सेवा में डीजल बड़ी बाधा बन रहा है। डीजल की कमी मरीजों को समय से इलाज में बाधक बन रहा है। ‘ऊपर’ के खेल में जिले में एंबुलेंस सेवा फेल नजर आ रही है। जिम्मेदारों की मनमानी से समय से मरीजों को न पहुंचा पाने के कारण चालक लोगों के गुस्से का शिकार हो रहे हैं। जिम्मेदार 15 किलोमीटर प्रति लीटर की दर से डीजल मुहैया करा रहे हैं, जबकि खस्ताहाल एंबुलेंस जर्जर सड़कों पर आठ से 10 किलोमीटर का ही एवरेज दे रही हैं।
आए दिन होने वाली डीजल की कमी चालकों के लिए मुसीबत बन चुकी है। समय से न पहुंचने पर मरीज दम तोड़ रहे हैं। जोगिया कोतवाली क्षेत्र में एंबुलेंस उपलब्ध होने में देरी के कारण हादसे में घायल मरीज की मौत हो गई थी। जबकि, जरुरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिलाने के लिए सरकार लगातार बदलाव कर रही है। सुविधाएं बढ़ा रही है। निशुल्क एंबुलेंस सेवा का उद्देश्य आपात स्थिति में में बीमार को समय से अस्पताल पहुंचाना है, जिससे समय से उसका इलाज हो सके। सरकार सेवाओं को उचित लोगों को लाभ मिलने का दावा भी कर रही है। लेकिन, जिम्मेदारों की मनमानी दावे पर हावी है।
जानकारों का कहना है कि एंबुलेंस के मेंटेनेंस से लेकर डीजल भराने तक में खेल ही खेल है। उसका खामियाजा मरीजों को जान देकर भुगतना पड़ रहा है। जिले में इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं। कहीं ले जाते समय डीजल की कमी तो कहीं मरीज को बैठाते समय वाहन की खराबी के कारण चालक आक्रोश का शिकार हो रहे हैं। इस मामले में 108 एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम मैनेजर सौरव पांडेय ने बताया कि एंबुलेंस की मरम्मत के पर्याप्त इंतजाम हैं। खराबी आते ही मरम्मत करा दी जाती है।
रास्ते में खराब हुई एंबुलेंस, मरीज ने तोड़ा दम
एक एंबुलेंस कर्मी ने बताया कि जिला अस्पताल से गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के लिए मरीज को रेफर कर दिया गया। चालक ने सुबह ही जिम्मेदार से एंबुलेंस में डीजल की कमी बताई थी, लेकिन उसकी नहीं सुनी गई, कॉल आने पर भेज दिया गया। उसका पहुंचने से पहले ही डीजल खत्म हो गया। जब तक डीजल की व्यवस्था हुई, मरीज ने दम तोड़ दिया। चालक को परिवार के लोगों के आक्रोश का शिकार होना पड़ा।
डीजल की कमी, वृद्ध की चली गई जान
जोगिया कोतवाली क्षेत्र के करौंदा मसिना चौराहे पर 30 अक्तूबर को सड़क हादसे में वृद्ध जख्मी हो गया था। काफी इंतजार के बाद निजी वाहन से जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां से गोरखपुर रेफर कर दिया गया। दो घंटे बाद दो एंबुलेंस पहुंची। एक के चालक ने डीजल कमी बताई तो दूसरे ने सेल्फ खराब होने की बात कही। इस दौरान तड़पकर मरीज की मौत हो गई।
फंसते हैं चालक, सुनने वाला कोई नहीं
नाम नहीं छापने की शर्त पर दो एंबुलेंस चालकों ने बताया कि उनके साथ अत्याचार किया जाता है। एक बार वाहन में खराबी होने पर कई बार आवाज लगाते हैं, तब जाकर बनता है। इसी बीच मरीज को लाने जाते हैं तो कई बार एंबुलेंस चालू ही नहीं होती है। साथ ही डीजल में एवरेज की बात करते हैं और डीजल बढ़ाने के लिए कहा जाता है तो धमकी मिलती है। कहा जाता है कि जितना मिलता है, उसी में चलाओ नहीं तो बाहर का रास्ता दिखा देंगे। ऐसे में मौके पर चालक चला जाता है, खराबी और अन्य समस्या होने पर वही आक्रोश का शिकार होता है। विवाद व मारपीट होती है, लेकिन कोई समझने वाला नहीं है।
डिप्टी सीएम ने दिया केस दर्ज करने का निर्देश
31 अक्तूबर को अमर उजाला में ‘एंबुलेंस चालक बोला, नहीं है डीजल घायल ने तड़प-तड़प कर तो दिया दम’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। खबर का संज्ञान लेकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने ट्वीट के माध्यम से जानकारी शेयर की है कि सिद्धार्थनगर घटना संज्ञान में आई है। इस मामले में सीएमओ को निर्देशित किया गया है कि वह चालक पर केस दर्ज कराएं और सेवा प्रदाता के अन्य जिम्मेदारों पर कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
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