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ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के देवप्रयाग पहुंचने पर तीर्थ पुरोहित समाज ने उनका भव्य स्वागत किया जिसके बाद वेद मंत्रों के साथ पादुका पूजन किया गया।
इस अवसर पर शंकराचार्य ने कहा कि ज्योतिर्मठ पीठ की एक शाखा धर्म अध्यात्म के मार्ग दर्शन के लिए देवप्रयाग में स्थापित की जाएगी। भूमि उपलब्ध होते ही जल्द इसका निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ज्योतिर्मठ की लुप्त होती परंपराओं को पुनर्जीवित किया जाएगा। भगवान बदरी विशाल को कपाट बंदी के समय माणा गांव की कन्याओं द्वारा बुने गए कंबल हेतु पीठ के ब्रह्मचारियों की ओर दिए जाने व घृत भेंट की परंपरा को दोबारा शुरू किया जाएगा। जगतगुरु ने कहा कि नई पीढ़ी को धर्म संस्कृति के ज्ञान से जोड़ने का काम भी होगा। साथ ही समाज की समरसता बनानी होगी। बदरी गाय की सेवा की शुरुआत भी की जाएगी। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने व बंद होते समय वे बामाणि गांव, पांडुकेश्वर, डिमर व देवप्रयाग में गंगा स्नान व देव पूजा करेंगे। तीर्थपुरोहितों द्वारा शंकराचार्य को अभिनंदन पत्र व भगवान राम दरबार मूर्ति भेंट की गई। इस मौके पर वेद मंत्रों के साथ पादुका पूजन भी किया गया। उनके साथ भ्रमण में स्वामी सहजा नंद, ब्रह्मचारी श्रवणा नंद, विद्यानंद, मनीष मणि त्रिपाठी, केशवा नंद, मुरलीधर शर्मा, पवन मिश्रा, कृष्णा पराशर आदि शामिल हैं। इस मौके पर पालिकाध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल, आचार्य शैलेंद्र नारायण, दिनकर बाबुल कर, रमावल्लभ भट्ट, भास्कर पुरोहित, वेद प्रकाश भट्ट, शुभांगी कोटियाल, अरुण, राकेश पंचभैया व राहुल सहित कई तीर्थपुरोहितों ने शंकराचार्य का स्वागत किया।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के देवप्रयाग पहुंचने पर तीर्थ पुरोहित समाज ने उनका भव्य स्वागत किया जिसके बाद वेद मंत्रों के साथ पादुका पूजन किया गया।
इस अवसर पर शंकराचार्य ने कहा कि ज्योतिर्मठ पीठ की एक शाखा धर्म अध्यात्म के मार्ग दर्शन के लिए देवप्रयाग में स्थापित की जाएगी। भूमि उपलब्ध होते ही जल्द इसका निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ज्योतिर्मठ की लुप्त होती परंपराओं को पुनर्जीवित किया जाएगा। भगवान बदरी विशाल को कपाट बंदी के समय माणा गांव की कन्याओं द्वारा बुने गए कंबल हेतु पीठ के ब्रह्मचारियों की ओर दिए जाने व घृत भेंट की परंपरा को दोबारा शुरू किया जाएगा। जगतगुरु ने कहा कि नई पीढ़ी को धर्म संस्कृति के ज्ञान से जोड़ने का काम भी होगा। साथ ही समाज की समरसता बनानी होगी। बदरी गाय की सेवा की शुरुआत भी की जाएगी। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने व बंद होते समय वे बामाणि गांव, पांडुकेश्वर, डिमर व देवप्रयाग में गंगा स्नान व देव पूजा करेंगे। तीर्थपुरोहितों द्वारा शंकराचार्य को अभिनंदन पत्र व भगवान राम दरबार मूर्ति भेंट की गई। इस मौके पर वेद मंत्रों के साथ पादुका पूजन भी किया गया। उनके साथ भ्रमण में स्वामी सहजा नंद, ब्रह्मचारी श्रवणा नंद, विद्यानंद, मनीष मणि त्रिपाठी, केशवा नंद, मुरलीधर शर्मा, पवन मिश्रा, कृष्णा पराशर आदि शामिल हैं। इस मौके पर पालिकाध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल, आचार्य शैलेंद्र नारायण, दिनकर बाबुल कर, रमावल्लभ भट्ट, भास्कर पुरोहित, वेद प्रकाश भट्ट, शुभांगी कोटियाल, अरुण, राकेश पंचभैया व राहुल सहित कई तीर्थपुरोहितों ने शंकराचार्य का स्वागत किया।
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