सैन फ्रांसिस्कोः एक नए रिसर्च में पता चला है कि हेडफोन, ईयरबड के इस्तेमाल और तेज संगीत वाले जगहों पर रहने की वजह से दुनिया के 1 अरब से ज्यादा किशोर और नौजवानों को बहरापन का शिकार होने का खतरा है. शोधकर्ताओं ने कहा है कि वैश्विक बहरापन रोकथाम को प्राथमिकता देने के लिए सुनने के सुरक्षित तरीकों को बढ़ावा देने में सरकारों, उद्योगों और नागरिक समाज को तत्काल आगे आना होगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अंदाजा है कि दुनिया भर में 43 करोड़ से ज्यादा लोग बहरापन की शिकायतों के शिकार हैं.
इस वजह से बढ़ रहा है बहरापन का खतरा
जर्नल बीएमजे ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित रिसर्स के मुताबिक, खराब नियामक प्रवर्तन के बीच स्मार्टफोन, हेडफोन और ईयरबड्स जैसे व्यक्तिगत सुनने वाले उपकरणों (पीएलडी) के इस्तेमाल के साथ-साथ तेज संगीत वाले स्थानों पर उनकी मौजूदगी की वजह से नौजवान इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. पहले प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, पीएलडी यूजर्स अक्सर 105 डीबी तक की उच्च मात्रा का चयन करते हैं, जबकि मनोरंजन स्थलों पर औसत साउंड लेवल 104 से 112 डीबी जो स्वीकार्य स्तर (वयस्कों के लिए 80 डीबी, बच्चों के लिए 75 डीबी) से ज्यादा होता है.
रिसर्च में 20 हजार लोगों को किया गया था शामिल
रिसर्च के मुताबिक, डेटा के एक विश्लेषण में, पीएलडी का इस्तेमाल और जोरदार मनोरंजन स्थलों पर मौजूदगी दुनिया भर में किशोरों और युवाओं में क्रमशः 24 फीसदी और 48 फीसदी असुरक्षित श्रवण प्रथाओं से जुड़ी हुई है. इन नंबरों की बुनियाद पर, रिसर्चर गणना करते हैं कि दुनिया भर में 0.67 और 1.35 अरब किशोर और युवा हैं, जिन्हें सुनने की क्षमता कम होने का खतरा हो सकता है. इस रिसर्च टीम में अमेरिका के साउथ कैरोलाइना मेडिकल विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल थे. इस रिसर्च में 12 से 35 साल के 19,046 लोगों ने हिस्सा लिया है. शोध में 33 अध्ययनों का इस्तेमाल किया गया था.
Zee Salaam
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