My Mati: जल, जंगल, जमीन, कृषि, पशु-पक्षी आदि के नाम सुनते ही मन में एक समुदाय का चेहरा प्रकट होता है जिसे हम आदिवासी कहते हैं. जी हां, आदिवासी एक ऐसा वर्ग है जो अपने विशेष जीवनशैली के लिए जाना जाता है. इन्हें प्रकृति प्रेमी के साथ-साथ प्रकृति पुजारी के रूप में भी जाना जाता है. आदिवासी प्राचीन काल से प्रकृति की रक्षा करते आये हैं. समय-समय पर इन्होंने अपनी जान की कुर्बानी देकर भी प्रकृति की रक्षा करते आये हैं. जंगल बचाओ आंदोलन, चिपको आंदोलन आदि इसके प्रमाण हैं. उद्योगपतियों और दलालों द्वारा विकास के नाम पर, कारखानों के नाम पर व उद्योगों के नाम पर प्रकृति का घोर विनाश एवं दोहन किया जाता रहा है. आज भी किया जा रहा है. इसलिए पेड़ पौधों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है. इस कारण सही वर्षा नहीं हो पा रही है, क्योंकि पेड़ पौधे ही वर्षा को आकर्षित करते हैं.
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