बिलासपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शासकीय बिलासा कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एसआर कमलेश ने कहा कि इंटरनेट की अभासी दुनिया से निकलकर हमें वास्तविक दुनिया में जिंदगी बितानी चाहिए। तभी हम सच्चा सुख प्राप्त कर सकते हैं। जीवन का आनंद परिवार और दोस्तों के संग है। फिर चाहे वह दोस्त के रूप में जीव जंतु, पशु-पक्षी या प्रकृति ही क्यों न हो। आधुनिक समय में बच्चों के साथ अभिभावक भी मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रानिक्स गैजेट्स में चिपके रहते हैं। इिससे हमें बाहर निकलने की जरूरत है।
नईदुनिया गुरुकुल शिक्षा से संपूर्णता की कहानी में अंतर्गत डिजीटल शिक्षा के अंतर्गत इस सप्ताह वास्तविक अनुभव में है सच्चा सुख शीर्षक से कहानी प्रकाशित किया गया है। लेखक पीयूष द्विवेदी ने बहुत ही शानदार तरीके से इस कहानी में पात्रों को पिरोया है। समाज को अभासी दुनिया से बाहर निकालने बढ़िया प्रयोग किया है। प्राचार्य प्रो.कमलेश ने कहानी को पढ़ने के बाद अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह कहानी हमें संदेश देती है कि इंटरनेट पर मिलने वाला सुख आभासी है। इसमें समय बिताना कई बार नुकसान दायक साबित होता है। कहानी में अंकुर के साथ भी यही हुआ।
जन्मदिन पर पूरे दिन मोबाइल से चिपका रहा। घर में कौन आया है कौन नहीं। शुभकामनाएं संदेशों का भी उत्साह से जवाब नहीं दिया। जबकि अपनों के साथ बिताए वक्त की स्मृतियां हमेशा साथ रहती हैं और उसका आनंद भी असीम होता है। बच्चे परिवार, मित्रों से ज्यादा महत्व गैजेट्स को दे रहे हैं। इनके साथ वे अपना अधिकांश वक्त बिता रहे हैं और इसके चलते वे रिश्तों का महत्व भी नहीं समझ पा रहे हैं। इस लत से उन्हें बचाने की जरूरत है। हमें इन इंटरनेट व गैजेट्स का उतना ही उपयोग करना चाहिए जितना जरूरी हो। अपनी आदत का हिस्सा बिल्कुल नहीं बनाना चाहिए। अन्यथा एक दिन ऐसा आएगा जब अकेला महसूस होगा। स्वास्थ्य पर भी इसका विपरीत असर होगा।
विद्यार्थी मोबाइल को लत न बनाएं
प्राचार्य प्रो.कमलेश ने यह भी कहा कि कहानी में जो हाल अंकुर का हुआ वहीं दशा वर्तमान में घर-घर में बच्चों का है। धन्य है कि अंकुर को उसके पिता व प्राध्यापक ने बचा लिया। आम जिंदगी में कई बार ऐसा होता है कि संकट में पड़े व्यक्ति के पास सहारा देने वाला कोई नहीं होता। इंटरनेट की लत इस कदर हावी हो जाती है कि वह अपने दोस्त, रिश्तेदारों सबको अलग कर देता है। जबकि इसका सदुपयोग करने पर लाभ भी मिलता है।
Posted By: Abrak Akrosh
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