जासं, जमशेदपुर : आदित्यपुर स्थित एनआइटी जमशेदपुर के 12वें दीक्षा समारोह के मुख्य अतिथि टाटा स्टील के एमडी सह सीईओ टीवी नरेंद्रन अपने दीक्षांत भाषण में अगले तीस साल में होने वाले वैश्विक परिवर्तन पर कई बातें कहीं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कोयले का विकल्प हाइड्रोजन बन रहा है। उसी तरह यह भी हो सकता है कि स्टील का भी विकल्प आ जाए। फिलहाल हमें विश्व स्तर पर सेकेंड लार्जेस्ट उत्पादक कंपनी बनना है, जिसे लेकर टाटा स्टील की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि हमें यूरोप और चीन से लगातार चुनौती मिल रही है, हम अभी थर्ड लार्जेस्ट स्टील प्रोड्यूशर हैं, लेकिन अभी हमें और आगे निकलना है। उन्होंने यूरोपीय देशों में तेजी से बढ़ रही ग्रीन एनर्जी को अनुकरणीय बताया। कहा कि भविष्य में टाटा स्टील भी इस पर तेजी से कार्य करेगा। नरेंद्रन ने कहा कि हम देश को ग्रीन और क्लीन एनवायर्नमेंट (स्वच्छ वातावरण) देने को तत्पर हैं। इस पर व्यापक कार्य भी किए जा रहे हैं।
नरेंद्रन ने कहा कि भारत में निवेश के अनुकूल माहौल हो गया है। निवेश के लिए भारत विश्व की तीसरी पसंद बन गया है। यहां उद्यमिता के लिए भी फंड की कोई कमी नहीं है। उद्योग स्थापित करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें भी अपने स्तर से प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अगले 30 साल में कई नौकरियां चली जाएगी और कई नई नौकरियां आएंगी। कई नए कोर्स भी तैयार होंगे। हमें सभी तरह की चुनौतियां के लिए तैयार रहना होगा। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में भारत मजबूत हो रहा है। इसमें भारत विकसित देशों को चुनौतियां प्रस्तुत कर रहा है, यह अच्छी बात है।
भारत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की जिम्मेदारी छात्रों पर : नरेंद्रन
एनआइटी जमशेदपुर के दीक्षा समारोह के दीक्षांत भाषण में टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने छात्रों से कहा कि भारत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की जिम्मेदारी छात्रों पर है। समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने 1986 में एनआइटी त्रिची से पास किया है, जिसकी याद अब ताजा हो गई है। उन्होंने छात्रों से अपील की, कि वे जाब क्रियेटर बनें, जाब सीकर नहीं। समाज के प्रेरणास्रोत बनें। अपने रिश्तों को बनाए रखें। जहां भी रहें परिवार के लिए समय दें। उन्होंने कहा कि आज विश्व की अर्थव्यवस्था रसिया-यूक्रेन वार की वजह से डगमगा गई है। ऐसे में आपको खुद को खड़ा करना है। आने वाले 30 वर्ष विश्व के लिए महत्वपूर्ण है, इसमें हमारी टेक्नोलाजी ही हमें आगे रख सकती है।
छात्रों से नरेंद्रन ने कहा कि उद्योग स्थापित करने तथा जीवन में सफल होने के लिए पांच विषयों पर फोकस करना जरूरी है। पहला विश्व के तमाम प्रमुख देशों के बारे अध्ययन करें। कंपनी अगर स्थापित कर रहे हैं तो इसका मल्टीनेशनल हाेना बहुत जरूरी है। जमशेदपुर के आरएसबी कंपनी इसका प्रमुख उदाहरण है। तमाम देशों की राजनीति हलचल से भी अवगत रहना जरूरी है। दूसरा सेंट्रल ग्रीन इकोनमी। वर्तमान में यह व्यवस्था एशिया में शिफ्ट हुई है। भारत तीसरी विश्व की अर्थव्यवस्था बनी हुई है। तीसरा टेक्नोलाज। नवीनतम तकनीक का अध्ययन जरूरी। यह आपकी जीवन शैली को आसान बना रहा है। चौथा जलवायु परिवर्तन। किसी भी कंपनी को अपने उत्पादित सामग्रियों के वेस्ट मेटेरियल के रियूज के बारे में भी सोचना होगा। पांचवां समानता। सभी को समान नजर से देखना जरूरी है। समाज का विकास हम सभी का दायित्व है। समजा के विकास से ही देश का विकास होगा। छात्रों से कहा कि आज से फिर से आपको एक नया कोर्स पढ़ना होगा। इसमें कई उतार-चढ़ाव आएंगे। चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ना होगा।
इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर का 50 फीसदी खर्च उठाएगी आरएसबी
एनआइटी जमशेदपुर में आयोजित दीक्षा समारोह को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि आरएसबी ग्रुप के चेयरमैन आरके बेहरा ने पास आउट छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि वे इसी संस्थान से 1967 में पास आउट हुए है। उसके बाद उन्होंने 1975 में अपनी कंपनी को स्थापित किया। विपरीत परिस्थितियों में इसे प्रारंभ किया। मात्र 20 हजार की पूंजी से इसकी शुरुआत की। आज देश-विदेश में आरएसबी के 11 प्लांट है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया आप भी उद्यमिता को अपनाएं तथा समाज के सदस्यों को नौकरी प्रदान करें एवं समाज के विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि एनआइटी के एल्युमिनाई भी इस संस्थान के विकास में आगे आए है। यहां भी इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना हो रही है। इसकी स्थापना की पहल एनआइटी जमशेदपुर के प्रथम बैच 1960 के छात्र प्रफुल्ल पाणिग्राही ने की है। इसके लिए उन्होंने कहा कि इस सेंटर की स्थापना का 50 फीसदी खर्च आरएसबी कंपनी देगी। उन्होंने टाटा स्टील, एनएमएल, एक्सएलआरआइ को सेंटर से जोड़ने का आग्रह किया।
एनआइटी जमशेदपुर को मिल रही राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
एनआइटी जमशेदपुर के निदेशक डा. करुणेश कुमार शुक्ला ने अतिथियों एवं अन्य सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि विगत पांच साल में एनआइटी जमशेदपुर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी है। यह सभी के सहयोग से संभव हो सका है। यहां दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई के विशेष व्यवस्था है। इस व्यवस्था को और सुदृढ़ किया जा रहा है। दीक्षा समारोह में दो दिव्यांगों को डिग्रियां मिल चुकी है। वर्तमान में संस्थान का रिसर्च पर पूरा फोकस है। उन्होंने अपना प्रतिवेदन पढ़ते हुए कहा कि भारत की नई शिक्षा नीति पूर्णत: सामाजिकता पर आधारित है। इस नीति को संस्थान में भी लागू कर दिया गया है।
इन्हें मिला गोल्ड मेडल
यूजी के लिए सिविल इंजीनियरिंग की छात्रा हंसा कुमारी, पीजी के लिए कंप्यूटर एप्लीकेशन की छात्रा दिव्यांशी अग्रवाल। इन्हें मिला सिल्वर मेडल : एन साइकीर्तना, रितिक राज, प्रिया अग्रवाल, आयुष कुमार, सुदेष्णा पाल, पल्ल्वी कुमारी, इशांत, शर्मिष्ठा चटर्जी, रिचा बिष्ट, सलोनी साहू, अनिमा महतो, राजबाला पूर्णिमा प्रिया, मीर साकिब, महेश बालु ग्वाला, स्वास्तिक मिश्रा, जजाति केसरी पड़िया, अल्पना मेहता, जीतो जोस, आकांक्षा, सुचिस्मता महापात्र, अनन्नया घोष, सरदेंदु देवनाथ, अमीषा सिंह।
कितने छात्रों को मिली डिग्री : 1037
यूजी : 643
पीजी : 366
पीएचडी : 28
गोल्ड मेडलिस्ट छात्राएं करेगी यूपीएससी की तैयारी
एनआइटी के दीक्षा समारोह में गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली छात्रा हंसा कुमारी व दिव्यांशी अग्रवाल ने कहा कि उनका लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा को क्रेक करना है। छात्राओं ने कहा कि वे समाज की सेवा करना चाहते हैं। समाज सेवा तथा लोगों की सेवा का सबसे अच्छी सर्विस सिविल सर्विस है।
Edited By: Uttamnath Pathak
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post