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जीरकपुर। छतबीड़ चिड़ियाघर में चल रहे वन्य जीव सप्ताह के छठे दिन तेंदुए पर टॉक शो आयोजित किया गया। इसके साथ ही ट्राइसिटी के मशहूर कवियों ने कविताओं के जरिये यहां पहुंचे स्कूली बच्चों को पर्यावरण और जंगली जीवों की रक्षा के बारे में जागरूक किया। तेंदुए पर टॉक शो के दौरान जू कीपर विशाल और पंजाब यूनिवर्सिटी के वालंटियरों ने सैलानियों को जानकारी देते हुए बताया कि तेंदुआ बिग केट केटेगिरी में पेड़ों पर चढ़ने वाला सबसे तेज जानवर है।
जू कीपर ने बताया कि छतबीड़ चिड़ियाघर में हमारे कुल पांच तेंदुए और एक जेगुआर है। तेंदुए में तीन नर फौजी, तारा, हमर और मादा बिजली, मोफाशा और जेगुआर का नाम ईशु है। उन्होंने बताया कि हम एक जानवर को रोजाना चार किलो बीफ देते हैं और हफ्ते में एक शुक्रवार को उनको खाना नहीं दिया जाता ताकि उनका पाचन तंत्र ठीक रहे। क्योंकि जंगल में वह इधर-उधर भाग दौड़ करते रहते हैं तो उनकी एक्सरसाइज होती रहती है। चिड़ियाघर में तो वह थोड़े से एरिया में ही रहते हैं और उतनी एक्सरसाइज नहीं हो पाती जितनी उन्हें जरूरत है। जू कीपर विशाल ने बताया कि तेंदुआ अपने से दो गुना भार लेकर झट से पेड़ पर चढ़ सकता है।
वन्य जीव सप्ताह के दौरान जू प्रबंधकों की ओर से कवि सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें स्कूली बच्चों कविताओं के माध्यम से जंगली जीव सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा के बारे में जागरूक किया गया। इस अवसर पर कवियों ने कविताओं के जरिये बताया कि कैसे जीवन चक्कर बना हुआ है। उन्होंने बताया कि कैसे बकरी घास खाती है और शेर बकरी को खाता है। उन्होंने बताया कि लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए जंगल काटकर कंक्रीट के जंगल बना लिए हैं और उनके घर बर्बाद कर दिए हैं। ऐसे हालातों में जानवरों और पक्षियों को रहने के लिए घर नहीं हैं और वह लुप्त होते जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि चिड़ियाघर में जानवर और पक्षी सुरक्षित तो हैं लेकिन उनकी एक्सरसाइज बहुत कम हो गई है। पहले जानवर और पक्षी खुले रहते थे और अपनी जिंदगी में सैकड़ों हजारों किलोमीटर का सफर तय कर लेते थे। जिससे उनका शरीर और पंख मजबूत बने रहते थे। इस दौरान बच्चों को सिखाया गया है कि जो भी जानवर जंगल के आसपास होता है उसे कुदरती जीवन जीने देना चाहिए ताकि उनकी शारीरिक कसरत होती रहे और वह लंबा जीवन व्यतीत कर सकें। यदि हम उन्हें जंगल और सड़कों के किनारे रहने वाले जानवरों को खाने-पीने की वस्तु देते रहेंगे तो वह अपना जीवन भूलकर कुछ ही जगह में सिमट कर रह जाएंगे। कुदरत बहुत विशाल है अगर उसने कुछ बनाया है तो बहुत सोच समझकर बनाया है। इस कार्यक्रम में स्कूल टीचर डॉक्टर, समाज सेवी और बिजनेसमैन कवि पहुंचे थे जो अपने शौक को बचाने के कविताएं लिखते हैं।
जीरकपुर। छतबीड़ चिड़ियाघर में चल रहे वन्य जीव सप्ताह के छठे दिन तेंदुए पर टॉक शो आयोजित किया गया। इसके साथ ही ट्राइसिटी के मशहूर कवियों ने कविताओं के जरिये यहां पहुंचे स्कूली बच्चों को पर्यावरण और जंगली जीवों की रक्षा के बारे में जागरूक किया। तेंदुए पर टॉक शो के दौरान जू कीपर विशाल और पंजाब यूनिवर्सिटी के वालंटियरों ने सैलानियों को जानकारी देते हुए बताया कि तेंदुआ बिग केट केटेगिरी में पेड़ों पर चढ़ने वाला सबसे तेज जानवर है।
जू कीपर ने बताया कि छतबीड़ चिड़ियाघर में हमारे कुल पांच तेंदुए और एक जेगुआर है। तेंदुए में तीन नर फौजी, तारा, हमर और मादा बिजली, मोफाशा और जेगुआर का नाम ईशु है। उन्होंने बताया कि हम एक जानवर को रोजाना चार किलो बीफ देते हैं और हफ्ते में एक शुक्रवार को उनको खाना नहीं दिया जाता ताकि उनका पाचन तंत्र ठीक रहे। क्योंकि जंगल में वह इधर-उधर भाग दौड़ करते रहते हैं तो उनकी एक्सरसाइज होती रहती है। चिड़ियाघर में तो वह थोड़े से एरिया में ही रहते हैं और उतनी एक्सरसाइज नहीं हो पाती जितनी उन्हें जरूरत है। जू कीपर विशाल ने बताया कि तेंदुआ अपने से दो गुना भार लेकर झट से पेड़ पर चढ़ सकता है।
वन्य जीव सप्ताह के दौरान जू प्रबंधकों की ओर से कवि सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें स्कूली बच्चों कविताओं के माध्यम से जंगली जीव सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा के बारे में जागरूक किया गया। इस अवसर पर कवियों ने कविताओं के जरिये बताया कि कैसे जीवन चक्कर बना हुआ है। उन्होंने बताया कि कैसे बकरी घास खाती है और शेर बकरी को खाता है। उन्होंने बताया कि लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए जंगल काटकर कंक्रीट के जंगल बना लिए हैं और उनके घर बर्बाद कर दिए हैं। ऐसे हालातों में जानवरों और पक्षियों को रहने के लिए घर नहीं हैं और वह लुप्त होते जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि चिड़ियाघर में जानवर और पक्षी सुरक्षित तो हैं लेकिन उनकी एक्सरसाइज बहुत कम हो गई है। पहले जानवर और पक्षी खुले रहते थे और अपनी जिंदगी में सैकड़ों हजारों किलोमीटर का सफर तय कर लेते थे। जिससे उनका शरीर और पंख मजबूत बने रहते थे। इस दौरान बच्चों को सिखाया गया है कि जो भी जानवर जंगल के आसपास होता है उसे कुदरती जीवन जीने देना चाहिए ताकि उनकी शारीरिक कसरत होती रहे और वह लंबा जीवन व्यतीत कर सकें। यदि हम उन्हें जंगल और सड़कों के किनारे रहने वाले जानवरों को खाने-पीने की वस्तु देते रहेंगे तो वह अपना जीवन भूलकर कुछ ही जगह में सिमट कर रह जाएंगे। कुदरत बहुत विशाल है अगर उसने कुछ बनाया है तो बहुत सोच समझकर बनाया है। इस कार्यक्रम में स्कूल टीचर डॉक्टर, समाज सेवी और बिजनेसमैन कवि पहुंचे थे जो अपने शौक को बचाने के कविताएं लिखते हैं।
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