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Option To Study In 12 Indian Languages In Ug And Pg From 2024 Session Bhasha Bhartiya Samiti Wrote A Letter – Delhi: 2024 सत्र से Ug और Pg में 12 भारतीय भाषाओं में पढ़ाई का विकल्प, समिति ने विश्वविद्यालयों को लिखा पत्र

October 17, 2022
में तकनीकी
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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : फाइल फोटो

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इंजीनियरिंग, मेडिकल की पढ़ाई के बाद अब शैक्षणिक सत्र 2024 से स्नातक और स्नातकोत्तर प्रोग्राम में भी रीजनल भाषाओं में पढ़ाई का विकल्प मिलेगा। विश्वविद्यालयों में बीए, बीकॉम, बीएससी, लॉ समेत अन्य कोर्स की किताबों के अनुवाद को लेकर काम शुरू हो गया है। पहले चरण में डेढ़ से दो साल में 12 भारतीय भाषाओं में किताबों का अनुवाद किया जाएगा। दूसरे चरण यानी आगामी 10 सालों में उच्च शिक्षा में सभी प्रोग्राम की किताबों को सभी 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का लक्ष्य रखा गया है। यूजी और पीजी प्रोग्राम की किताबों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के विशेषज्ञ मदद करेंगे।

शिक्षा मंत्रालय की उच्चाधिकार समिति और भारतीय भाषा समिति के चेयरमैन चमू कृष्ण शास्त्री ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के तहत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों को भी भारतीय भाषाओं में पढ़ाई का मौका उपलब्ध करवाना है। इसके लिए 200 विश्वविद्यालयों को पत्र लिखा गया है, जिसमें डीयू, बीएचयू, इग्नू, सीयू बिहार, एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी तमिलनाडु, डॉ. अंबेडकर यूनिवर्सिटी अहमदाबाद, डॉ. हरि सिंह गौर केंद्रीय विवि सागर, बंगलूरू नॉर्थ यूनिवर्सिटी समेत अन्य विश्वविद्यालय शामिल हैं। इंजीनियरिंग की जेईई मेन और मेडिकल दाखिले की नीट परीक्षा हिंदी, असमी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़, मराठी, ओड़िया, उूर्द, पंजाबी में आयोजित होती है। इसी की तर्ज पर स्नातक और स्नातकोत्तर प्रोग्राम की किताबें सबसे पहले इन्हीं 12 भारतीय भाषाओं में अनुवाद का फैसला लिया गया है। 

डेढ़ से दो साल में पहले चरण के तहत 12 भारतीय भाषाओं में किताब अनुवाद करने की तैयारी हो रही है। इसके बाद दूसरे चरण में इन सभी 22 भारतीय भाषाओं में किताबों का अनुवाद किया जाएगा। इसका मकसद प्रदेश शिक्षा बोर्ड से 12वीं कक्षा की पढ़ाई करके आने वाले छात्रों को स्नातक प्रोग्राम की पढ़ाई भी उन्हीं की भाषाओं में करवाने का मौका देना है।

दिल्ली, यूपी, जम्मू समेत 12 राज्य चाहते हैं यूजी व पीजी में लॉ की किताबों का अनुवाद
यूपी, जम्मू, केरल, गुजरात, पंजाब, झारखंड, सिक्किम, मेघालय, असम, दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार अपने विश्वविद्यालयों में लीगल यानी कानून की पढ़ाई रीजनल लैंग्वेज में करवाना चाहते हैं। इसके लिए भारतीय भाषा समिति और इन राज्यों के विश्वविद्यालयों की दिल्ली में 14 अक्तूबर को बैठक आयोजित हुई हैं। इसमें तय हुआ है कि स्नातक प्रोग्राम की 40 विषयों और स्नातकोत्तर प्रोग्राम में 20 विषयों की किताबों एक साल में भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। हर राज्य में लीगल प्रोग्राम की शिक्षा की भारतीय भाषाओं की स्थिति की समीक्षा होगी। इसके अलावा जिन प्रोफेसर को केंद्रीय समिति ट्रेनिंग देगी, वे अपने गृहराज्य में जाकर अन्य प्रोफेसर को वर्कशाप में जागरूक करने के साथ ट्रेनिंग देंगे।

टेक्सट बुक्स, अनुवाद में वैज्ञानिक व तकनीकी शब्दावली मामले में मदद करेगा आयोग
यूजी और पीजी की किताबों को भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का काम विश्वविद्यालयों के शिक्षक करेंगे। इसके लिए विषयों के शिक्षकों की सूची बन रही है। इसमें शिक्षक खुद टेक्सट बुक्स लिखेंगे, कुछ शिक्षक अनुवाद करेंगे और कुछ शिक्षक कंटेंट क्रिएट करेंगे। इसमें वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के विशेषज्ञ मदद करेंगे। इसका मकसद तकनीकी, लीगल समेत अन्य विषयों में गलतियों की गुंजाइश खत्म करना है।

विस्तार

इंजीनियरिंग, मेडिकल की पढ़ाई के बाद अब शैक्षणिक सत्र 2024 से स्नातक और स्नातकोत्तर प्रोग्राम में भी रीजनल भाषाओं में पढ़ाई का विकल्प मिलेगा। विश्वविद्यालयों में बीए, बीकॉम, बीएससी, लॉ समेत अन्य कोर्स की किताबों के अनुवाद को लेकर काम शुरू हो गया है। पहले चरण में डेढ़ से दो साल में 12 भारतीय भाषाओं में किताबों का अनुवाद किया जाएगा। दूसरे चरण यानी आगामी 10 सालों में उच्च शिक्षा में सभी प्रोग्राम की किताबों को सभी 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का लक्ष्य रखा गया है। यूजी और पीजी प्रोग्राम की किताबों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के विशेषज्ञ मदद करेंगे।

शिक्षा मंत्रालय की उच्चाधिकार समिति और भारतीय भाषा समिति के चेयरमैन चमू कृष्ण शास्त्री ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के तहत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों को भी भारतीय भाषाओं में पढ़ाई का मौका उपलब्ध करवाना है। इसके लिए 200 विश्वविद्यालयों को पत्र लिखा गया है, जिसमें डीयू, बीएचयू, इग्नू, सीयू बिहार, एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी तमिलनाडु, डॉ. अंबेडकर यूनिवर्सिटी अहमदाबाद, डॉ. हरि सिंह गौर केंद्रीय विवि सागर, बंगलूरू नॉर्थ यूनिवर्सिटी समेत अन्य विश्वविद्यालय शामिल हैं। इंजीनियरिंग की जेईई मेन और मेडिकल दाखिले की नीट परीक्षा हिंदी, असमी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़, मराठी, ओड़िया, उूर्द, पंजाबी में आयोजित होती है। इसी की तर्ज पर स्नातक और स्नातकोत्तर प्रोग्राम की किताबें सबसे पहले इन्हीं 12 भारतीय भाषाओं में अनुवाद का फैसला लिया गया है। 

डेढ़ से दो साल में पहले चरण के तहत 12 भारतीय भाषाओं में किताब अनुवाद करने की तैयारी हो रही है। इसके बाद दूसरे चरण में इन सभी 22 भारतीय भाषाओं में किताबों का अनुवाद किया जाएगा। इसका मकसद प्रदेश शिक्षा बोर्ड से 12वीं कक्षा की पढ़ाई करके आने वाले छात्रों को स्नातक प्रोग्राम की पढ़ाई भी उन्हीं की भाषाओं में करवाने का मौका देना है।

दिल्ली, यूपी, जम्मू समेत 12 राज्य चाहते हैं यूजी व पीजी में लॉ की किताबों का अनुवाद

यूपी, जम्मू, केरल, गुजरात, पंजाब, झारखंड, सिक्किम, मेघालय, असम, दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार अपने विश्वविद्यालयों में लीगल यानी कानून की पढ़ाई रीजनल लैंग्वेज में करवाना चाहते हैं। इसके लिए भारतीय भाषा समिति और इन राज्यों के विश्वविद्यालयों की दिल्ली में 14 अक्तूबर को बैठक आयोजित हुई हैं। इसमें तय हुआ है कि स्नातक प्रोग्राम की 40 विषयों और स्नातकोत्तर प्रोग्राम में 20 विषयों की किताबों एक साल में भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। हर राज्य में लीगल प्रोग्राम की शिक्षा की भारतीय भाषाओं की स्थिति की समीक्षा होगी। इसके अलावा जिन प्रोफेसर को केंद्रीय समिति ट्रेनिंग देगी, वे अपने गृहराज्य में जाकर अन्य प्रोफेसर को वर्कशाप में जागरूक करने के साथ ट्रेनिंग देंगे।

टेक्सट बुक्स, अनुवाद में वैज्ञानिक व तकनीकी शब्दावली मामले में मदद करेगा आयोग

यूजी और पीजी की किताबों को भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का काम विश्वविद्यालयों के शिक्षक करेंगे। इसके लिए विषयों के शिक्षकों की सूची बन रही है। इसमें शिक्षक खुद टेक्सट बुक्स लिखेंगे, कुछ शिक्षक अनुवाद करेंगे और कुछ शिक्षक कंटेंट क्रिएट करेंगे। इसमें वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के विशेषज्ञ मदद करेंगे। इसका मकसद तकनीकी, लीगल समेत अन्य विषयों में गलतियों की गुंजाइश खत्म करना है।


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