Edited By Kalash,Updated: 07 Nov, 2022 03:48 PM
क्रिकेट बल्ले गेंद और दर्शकों के भरपूर मनोरंजन का खेल है जिसमें उद्देश्य भी हैं, उन्माद भी और सट्टेबाजी का व्यवसाय भी तथा वैध-अवैध तरीके से कुर्सी हासिल करने का फसाद भी है
जालंधर (विशेष): क्रिकेट बल्ले गेंद और दर्शकों के भरपूर मनोरंजन का खेल है जिसमें उद्देश्य भी हैं, उन्माद भी और सट्टेबाजी का व्यवसाय भी तथा वैध-अवैध तरीके से कुर्सी हासिल करने का फसाद भी है। इसके साथ अगर सट्टेबाजी में बेईमानी की जाए तो वह गाली-गलौच से लेकर शारीरिक हानि पहुंचाने की गुंडागर्दी भी है, यह आज का क्रिकेट युग है।
पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन (पी.सी.ए.) में आज के युग में जितना हो हल्ला या सूरत में कुर्सी से चिपके रहने की ललक दिखाई देती है, कुछ अर्सा पहले ऐसा कोई सोचता भी नहीं था। पहले खेल होता था, आज क्रिकेट में खेल के साथ-साथ राजनीति होती है, इसलिए आज राजनीति की दखलअंदाजी उस सीमा तक पहुंच गई है जहां किसी को शर्मिंदगी तक का एहसास नहीं है।
आज के समय में लगभग हर जिला एसोसिएशन, राज्य एसोसिएशन में एक ही प्रकार की कार्य विधि का तालमेल इसलिए दिखाई देता है क्योंकि दोनों वही सदस्य होते हैं जो कभी जिले की बागडोर और कभी राज्य की क्रिकेट के सूबेदार बनते हैं. ऐसा पी.सी.ए. में खुले तौर पर खेल फरुखावादी हो रहा है।
इसी महीने पी.सी.ए. की जनरल बाडी की बैठक होते जा रही हँ जिसमें यह तय हो जाएगा कि कौन कौन से गुट किस प्रकार की सोच कर क्रिकेट हिट करते हैं या अपने गए त्यागपत्र पर अभी अध्यक्ष चाहल पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। स्वार्थों को सामने रखकर क्रिकेट का अहित करते हैं। ट्विटर पर दिए इस बैठक में यह आसार दिखाई देते हैं कि अध्यक्ष बनने की चाहत रखें वाले जनरल बाडी की बैठक आराम से होने देते हैं या उसमें गदर मचाते हैं।
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एम.पी. पांडव ने जिस प्रकार सबमें संतुलन रख कर पी.सी.ए. को चलाया था वैसी उम्मीद आज रख पाना बहुत मुश्किल है। जैसे गली मोहल्लों और सड़कों पर खो-बाजी के मंजर देखने-सुनने को मिलते थे वैसा ही आजकल पी.सी.ए. मेंहोता दिखाई देता है।
असल मुद्दा क्या है। क्या अध्यक्ष और सलाहकार के बीच वर्चस्व की लड़ाई है या अंदरखाते उन लोगों को पी.सी.ए. में घुसेड़ने की कोशिश है जो सट्टे का कारोबार करते हैं। चर्चा है कि कुछ लोग अध्यक्ष चाहल पर यह दबाव बना रहे हैं कि रशियन आधार वाली एक बैटिंग कंपनी को पंजाब प्रीमियम लीग का अनुबंध दिया जाए।
अध्यक्ष चाहल ऐसा नहीं चाहते इसीलिए पी.सी.ए. में ऐसा बखेड़ा खड़ा किया गया है। पी.सी.ए. में उपजी एक और समस्या पर संतुलन बनाने की जरूरत है। अध्यक्ष का पद बड़ा है और सलाहकार का पद छोटा। दूसरी तरफ सलाहकार का क्रिकेट कद बहुत बड़ा है और अध्यक्ष का कद छोटा।
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