अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन जैसी पर्यावरणीय चुनौतियों के चलते जब पूरी दुनिया पर संकट के बादल छाए हुए है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मिशन ‘लाइफ’ (लाइफ स्टाइल फार एनवायरमेंट) यानी पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली की सीख नई पीढ़ी के लिए बड़ा वरदान साबित हो सकती है। इस दिशा में पहल शुरू हो गई है। पीएम के ‘मिशन लाइफ’ को समूचे स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा रहा है, जो बुनियादी स्तर से ही स्कूलों में बच्चों को सिखाया और पढ़ाया जाएगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिए निर्देश
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निर्देश पर स्कूली शिक्षा विभाग ने पीएम के मिशन लाइफ से नई पीढ़ी को जोड़ने की यह अहम पहल तब की है, जब देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत नया स्कूली पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। ऐसे में मिशन लाइफ से जुड़ी पहल को भी स्कूलों में अलग-अलग स्तर पर शामिल करने की दिशा में काम चल रहा है।
इन विषयों पर किया गया फोकस
हाल ही में जारी किए गए स्कूलों के बुनियादी स्तर पर के नए कैरीकुलम फ्रेमवर्क में भी पर्यावरण को पर्याप्त जगह दी गई है। इस दौरान इन जिन अहम पहलुओं को स्थान दिया गया है, उनमें ऊर्जा और पानी की बचत, सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करना, स्वच्छता पर जोर देना, मौसम अनुकूल खान-पान, कचरा प्रबंधन, स्वस्थ जीवन शैली के लिए जरूरी उपाय , ई-वेस्ट को कम करना जैसे विषयों पर फोकस किया गया है। आने वाले स्कूली पाठ्यक्रम में यह सभी विषय देश को नई पीढ़ी को किसी न किसी रूप में पढ़ने को मिलेंगे।
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मिशन लाइफ का विचार कब आया
गौरतलब है कि पीएम ने मिशन लाइफ पर अपने विचार सबसे पहले ग्लासगो में वर्ष 2021 में आयोजित काप (कांफ्रेंस आफ पार्टीज)- 26 में रखा था, जिसमें उन्होंने दुनिया भर को मिशन लाइफ से खुद को जोड़ने की पहल की थी। साथ ही नई पीढ़ी को इसके प्रति अभी से जागरूक करने पर जोर दिया था। खासकर स्कूलों में इसे शामिल करने का भी सुझाव दिया था। पीएम ने हाल ही में गुजरात के केवडिया में आजादी के 75 वें वर्ष में मिशन लाइफ से जुड़ा एक प्लान जारी किया है, जिसमें 75 सुझाव दिए गए हैं।
मिशन लाइफ को स्कूली पाठ्यक्रम में क्यों किया जा रहा शामिल
स्कूली पाठ्यक्रम में पीएम के मिशन लाइफ को शामिल करने की मुहिम पर काम कर रहे विशेषज्ञों की मानें तो जीवन शैली एक आदत है, जो शुरू से जैसी बन जाती है, वैसी ही लगभग अंत तक रहती है। ऐसे में बच्चों में यदि शुरुआत से ही पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली के प्रति रुझान पैदा कर दिया जाए या फिर उन्हें इससे होने वाले फायदे और नुकसान के प्रति सचेत कर दिया तो निश्चित ही वह इस पर अमल करेंगे।
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Edited By: Achyut Kumar
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