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शाहजहांपुर। जिला कारागार में विभिन्न आरोपों में दोषी बंदी अपराध की दुनिया में दोबारा न जाकर शिक्षा हासिल कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं। जेल के 350 बंदी निरक्षर से साक्षर बन शिक्षा की रोशनी से जरायम की कालिख मिटा रहे हैं। जूनियर से लेकर उच्च शिक्षा तक बंदी प्राप्त कर रहे हैं।
जिला जेल में करीब 1700 बंदी सजा काट रहे हैं। इन बंदियों को कौशल विकास और खेलकूद के अलावा शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा। यही वजह है कि जूनियर, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के अलावा 150 से अधिक बंदी इंदिरा गांधी ओपेन यूनिवर्सिटी नई दिल्ली से बीए, एमए और डिप्लोमा कोर्स कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने बताया कि कारागार में निरक्षर से साक्षर बनाने की दिशा में छोटा सा प्रयास शुरू किया गया। सभी कोर्स के कारागार से ही फार्म भरवाए जाते हैं। बंदी छात्रों की विधिवत कक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए बाहर से अध्यापकों की व्यवस्था की गई है। सभी पठन-पाठन की सामग्री निशुल्क उपलब्ध कराई गई। उन्होंने बताया कि खेलकूद ,योग, ध्यान, आध्यात्मिक ज्ञान, मनोरंजन के साथ शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, ताकि बंदी साक्षर व उच्च शिक्षित होकर जागरूक हों तथा आपराधिक दुनिया से तौबा कर अच्छे नागरिक बनकर समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें।
फांसी की सजा के दोषी ने प्रथम स्थान पाया
जिला कारागार में फांसी की सजा से दंडित बंदी मनोज ने हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की थी। सजा सुनाए जाने के बाद उसने पढ़ाई पर फोकस किया। वह इंटरमीडियट की परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने के लिए मेहनत कर रहा है।
शाहजहांपुर। जिला कारागार में विभिन्न आरोपों में दोषी बंदी अपराध की दुनिया में दोबारा न जाकर शिक्षा हासिल कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं। जेल के 350 बंदी निरक्षर से साक्षर बन शिक्षा की रोशनी से जरायम की कालिख मिटा रहे हैं। जूनियर से लेकर उच्च शिक्षा तक बंदी प्राप्त कर रहे हैं।
जिला जेल में करीब 1700 बंदी सजा काट रहे हैं। इन बंदियों को कौशल विकास और खेलकूद के अलावा शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा। यही वजह है कि जूनियर, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के अलावा 150 से अधिक बंदी इंदिरा गांधी ओपेन यूनिवर्सिटी नई दिल्ली से बीए, एमए और डिप्लोमा कोर्स कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने बताया कि कारागार में निरक्षर से साक्षर बनाने की दिशा में छोटा सा प्रयास शुरू किया गया। सभी कोर्स के कारागार से ही फार्म भरवाए जाते हैं। बंदी छात्रों की विधिवत कक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए बाहर से अध्यापकों की व्यवस्था की गई है। सभी पठन-पाठन की सामग्री निशुल्क उपलब्ध कराई गई। उन्होंने बताया कि खेलकूद ,योग, ध्यान, आध्यात्मिक ज्ञान, मनोरंजन के साथ शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, ताकि बंदी साक्षर व उच्च शिक्षित होकर जागरूक हों तथा आपराधिक दुनिया से तौबा कर अच्छे नागरिक बनकर समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें।
फांसी की सजा के दोषी ने प्रथम स्थान पाया
जिला कारागार में फांसी की सजा से दंडित बंदी मनोज ने हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की थी। सजा सुनाए जाने के बाद उसने पढ़ाई पर फोकस किया। वह इंटरमीडियट की परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने के लिए मेहनत कर रहा है।
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