Rajasthan: अगर आप लम्बे समय तक मोबाइल, टीवी, लेपटॉप या गेजेट्स का प्रयोग करते हैं तो सावधान हो जाइए. आपकी उंगलियां टेढ़ी हो सकती हैं, दिमाग कमजोर हो सकता है, गर्दन, आंख के साथ-साथ शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं. ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. ऐसे लोग जिन्हें कम्प्यूटर पर काम करना है, मोबाइल चलाना है और लेपटॉप का इस्तेमाल करना है तो वो क्या करें और क्या नहीं करें. ये हम आपको बता रहे हैं. यदि आपने अभी ध्यान नहीं दिया तो आपका आने वाला समय बेहद ही पीड़ादायक हो सकता है, तो अभी से सावधान हो जाइए.
अस्थि रोग विभाग में पहुंच रहे प्रतिदिन 15 से 20 मरीज
कोटा मेडिकल कॉलेज के ऑथोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष और अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरपी मीणा ने बताया कि लम्बे समय तक मोबाइल चलाने से उंगलियां टेढ़ी होने लगी हैं. गर्दन के नीचे कूबड़ (उठा हुआ हिस्सा) उभर रहा है. यहां रोज ऐसे 15 से 20 रोगी पहुंच रहे हैं, जिसमें बच्चों और युवाओं की संख्या अधिक है. गैजेट्स का घंटों प्रयोग करने वाले लोगों में अब साइड इफेक्ट आने लगे हैं.
लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर का प्रयोग करने वाले कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. कुछ लोग नींद भरपूर नहीं ले पा रहे हैं, तो किसी को कमर दर्द, थकावट, सिरदर्द, चिडचिड़ापन और अन्य कई बीमारियां हो रही हैं. इनकी रोकथाम के लिए थोड़ी थोड़ी देर में कम्प्यूटर और मोबाइल का उपयोग बंद कर दें. इसके बाद जो जगह प्रभावित हो रही है, उसकी एक्सासाइज करें. साथ ही बार बार मूवमेंट करते रहें, नहीं तो जॉइंट्स में परेशानी हो जाएगी.
रीढ़ की हड्डी पर बन रहा दबाव, झुकने लगी कमर
दफ्तर में घंटों काम करने वाले लोगों में रीड हड्डी पर दबाव पड़ता है. इससे पीठ सीधी नहीं रह पाती और झुकने लगती है. सिर को सहारा देने के लिए गर्दन की मांसपेशियों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. लगातार लंबे समय तक ऐसा होने से शरीर उसी हालात को स्वीकार करने लगता है. मोबाइल लंबे समय तक उंगलियों में पकड़ने से उंगलियां टेढ़ी हो रही हैं. पंजे हमेशा एक खास हालत में रहते हैं, इससे उंगलियां मुड़ रही हैं. हमारी कोहनियां हमेशा 90 डिग्री पर स्थित हो जाती हैं. वैसे ही जैसे मोबाइल में बात करते वक्त रहती हैं. कोटा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 1 महिनें में इस तरह के 50 से 60 रोगी आ रहे हैं.
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उंगलियों और हाथ में रहने लगा सुन्नपन
कोरोना काल के बाद से ही वर्क फॉर्म होम चलन अधिक बढ़ा है. इससे लोगों की उंगलियों में गुदगुदी जलन, सुन्नपन और उंगलियों को मोड़ने या फिर मुट्ठी बंद करने में परेशानी की शिकायत बढ़ने लगी है. लोगों में सीटीएस हो रहा है. कंप्यूटर पर काम करने वाले अधिकांश लोग किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं. इन लोगों में ज्यादातर समस्या सुन्नपन और गुदगुदी रहने की सामने आ रही है. अगर आपको भी मुट्ठी बंद करने में परेशानी होती है तो यह कार्पल टनल सिंड्रोम यानी (सीटीएस) हो सकता है. इन बिमारियों को ऑक्यूपेशनल हजार्ड नाम दिया गया है. ये परेशानी रात को ज्यादा होती है. ये बीमारी, कमजोर, शराब का सेवन करने वाले, हार्मोनल डिजीज, आर्थराइटिस रोगी और गर्भवती महिलाओं को ज्यादा शिकार बना रही है.
दिमाग की क्षमता हो रही कम
मेडिकल कॉलेज कोटा के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एसएन गौतम ने बताया कि लगातार कंप्यूटर मोबाइल और गैजेट्स का प्रयोग करने वाले युवाओं की जीवन शैली में परिवर्तन हो रहा है. इसी जीवनशैली की वजह से दिमाग की क्षमता भी घटती जा रही है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से ऐसा हो रहा है, आप कई बार वैसे ही चीजें देख सुन रहे होते हैं जिनकी आपको जरूरत ही नहीं है. अभी तक यह बीमारी अमेरिका में ज्यादा पाई जाती थी, लेकिन अब यह प्रदेश सहित कोटा संभाग के लोगों को भी अपना शिकार बना रही है.
सीटीएस के मरीजों में विटामिन बी कम हो जाता है. इससे हाथों और कलाई में सूजन भी आ जाती है. बीमारी की शुरूआत में नॉन स्टीरोइडल एंटी इंफ्लामेंट्री ड्रग्स के इस्तेमाल से आराम पाया जा सकता है. दर्द के बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर कार्पल टनल में सीधे इंजेक्शन लगाया जाता है. इससे मरीज को बहुत जल्दी आराम मिल जाता है. इसके लिए ऑपरेशन भी किया जाने लगा है. इसमें ट्रांसवर्क कार्पल लिगामेंट को काटकर दर्द से छुटकारा दिलाया जाता है.
मोबाइल, कम्प्यूटर व लेपटॉप से ये भी समस्या
लगातार मोबाइल, कम्प्यूटर का प्रयोग करने वालों को नींद नहीं आना, भूख नहीं लगना, थकावट होना, शरीरिक कमजोरी की समस्याएं भी लगातार बढ रही हैं. इसके साथ ही आंखों में लगातार धुंधला पन रहना, आंख के नीचे काले धब्बे होना, समय से पहले त्वाचा का मुर्झाना सहित कई समस्याएं भी मरीज चिकित्सकों के पास लेकर पहुंच रहे हैं.
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