Rajasthan News: राजस्थान में कोटा (Kota) की रौनक, इकोनॉमी और शहर की रंगत को अपने में समेटे हुए कोचिंग स्टूडेंट (Kota coaching students) की कोटा शहर के लोग ही नहीं प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएं भी पूरा ध्यान रखती हैं, तभी तो करियर सिटी कोटा, केयर सिटी के रूप में भी अपनी अलग ही पहचान रखता है. जिला प्रशासन हर साल नियमों में संशोधन करता है और कोचिंग स्टूडेंट की हर समस्या का प्रमुखता से समाधान करने का प्रयास करता है. इस बार भी जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें कोचिंग संचालकों के साथ हॉस्टल संचालकों को भी दिशा निर्देश जारी किए गए. शहर में कोचिंग संस्थानों (Kota coaching institutes) में अध्ययनरत विद्यार्थियों को सकारात्मक माहौल, सुरक्षा देने और कोचिंग संस्थानों के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी नवीनतम गाइडलाइन के पालन की समीक्षा की गई.
छात्रों को स्ट्रेस फ्री माहौल पर जोर
जिला कलेक्टर ने निर्देश दिए कि कोचिंग संस्थान, हॉस्टल और पीजी संचालक विद्यार्थियों को स्ट्रेस फ्री माहौल दें. फिटनेस और उनकी रूचि की गतिविधियां उपलब्ध कराएं. साथ ही आपसी समन्वय रखते हुए निगरानी तंत्र मजबूत करें ताकि अवांछित घटनाओं पर विराम लग सके. इसमें खासकर सुसाइड को रोकने पर बल दिया गया. नवीनतम गाइडलाइन की जानकारी देते हुए निर्देश दिए गए कि सभी कोचिंग संस्थान राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन को पूरी तरह से पालन करना सुनिश्चित करें. उन्होंने विद्यार्थियों को स्थानीय अभिभावक की भावना से व्यवहार कर शिक्षण के अलावा उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए भी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.
परिवार जैसा माहौल देने का प्रयास
गाइडलाइन में बताया गया कि काउंसलिंग और मेंटर व्यवस्था को पुख्ता किया जाए ताकि प्रत्येक विद्यार्थी पर ध्यान रहे. अगर कोई विद्यार्थी असामान्य लगे तो बिना किसी देरी के अभिभावकों को जानकारी देकर प्रशासन के स्तर पर भी लगातार समन्वय रखें. हॉस्टल और पीजी संचालकों का बच्चों के साथ स्थानीय अभिभावक जैसा व्यवहार हो और उनकी देखभाल व सुरक्षा में कोई कमी नहीं रहे. कोचिंग संस्थानों में विद्यार्थियों की पूरी जानकारी मौजूद रहे और वे जहां रह रहे हैं वहां से लगातार समन्वय भी रहे.
नियमित बैठक और समीक्षा होगी
जिला कलेक्टर ने कहा कि कोचिंग विद्यार्थियों के लिए बेहतर माहौल सुनिश्चित करने के लिए कोचिंग, हॉस्टल संचालकों की नियमित तौर पर समीक्षा कर निगरानी तंत्र मजबूत किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसके लिए जिला स्तरीय कोचिंग संस्थान निगरानी समिति गठित होगी. नोडल ऑफिसर नियुक्त कर नियमित बैठक और निरीक्षण कराए जाएंगे.
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संस्थानों और हॉस्टल में सुबह और शाम की हाजिरी सुनिश्चित की जाए. उन्होंने कहा कि कार्ड पंचिंग से हाजिरी पर निगरानी रखी जाए, यूनिफॉर्म की अनिवार्यता रहे और कोचिंग व हॉस्टल से बाहर जाने पर पूरा विवरण लिया जाए. उन्होंने कहा कि पुलिस भी सार्वजनिक स्थलों, बाजार इत्यादि में ऐसे विद्यार्थियों पर निगाह रखे. उन्होंने निर्देश दिए कि कोचिंग संस्थान ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें कि कोई विद्यार्थी बिना सूचना के दो दिन से अधिक अवधि तक अनुपस्थित रहे तो कोचिंग संस्थान प्रतिनिधि ऐसे विद्यार्थी या अभिभावक से फोन पर सम्पर्क कर अनुपस्थित रहने का कारण ज्ञात करें.
सन-डे को बनाएं फन-डे
विद्यार्थियों को शैक्षणिक दबाव के कारण उत्पन्न मानसिक तनाव और अवसाद के समाधान के लिए मनोचिकित्सकीय सेवाएं, वेलनेस सेन्टर बनाए जाएं. विद्यार्थियों को कम से कम एक साप्ताहिक अवकाश के अनिवार्यता की पालना सुनिश्चित की जाए. उस दिन कोई टेस्ट या अन्य शैक्षणिक गतिविधि ना हो. रूचिकर गतिविधियां और विश्राम के अवसर देकर संडे को फन डे बनाया जाए ताकि वे मानसिक थकान उतारकर तरोताजा हो सकें. नियमित रूप से भी मनोरंजन और रूचि की गतिविधियों के अवसर दिए जाएं.
क्षमता आंकें, कॅरियर विकल्प बताएं
जिला कलेक्टर ने कहा कि कोचिंग के लिए आने वाले विद्यार्थियों को आरंभ में और सत्र के बीच बीच में कॅरियर के विकल्प बताए जाएं. यदि कोई विद्यार्थी कमतर लगे तो अभिभावकों को स्पष्ट बताया जाए कि वे अन्य विकल्प के लिए बच्चे को समझाएं. विद्यार्थी अपने भविष्य के प्रति तनावग्रस्त नहीं हों और वे नया विकल्प चुन सकें.
फीस-रिफंड पॉलिसी रहे पारदर्शी
जिला कलेक्टर ने कहा कि, कोचिंग संस्थानों में ईजी एक्जिट पॉलिसी हो. साथ ही फीस और रिफंड की पारदर्शी व्यवस्था हो. मन नहीं लगने या अन्य विकल्प की ओर झुकाव होने पर अभिभावकों से सम्पर्क कर बिना किसी दबाव के वापस जाने दिया जाए. नियमानुसार कटौती करते हुए शेष फीस वापस कर दी जाए ताकि बच्चा दबाव महसूस ना करे.
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