प्रयागराज, जागरण संवाददाता। वर्तमान समय में गूगल से कोई भी जानकारी अर्जित कर अपना ज्ञान कोष बढ़ाया जा सकता है। तकनीक के जरिए ज्ञानवान बना जा सकता है। यह कहना है प्रयागराज के सोरांव स्थित मेवालाल अयोध्या प्रसाद इंटर कालेज के शिक्षक डा. रवींद्र प्रताप का। बोले कि वर्तमान परिवेश में तकनीकी ज्ञान सभी के लिए आवश्यक है। इसमें उम्र कोई सीमा अथवा बाधा नहीं हो सकती। सोशल मीडिया के विविध प्लेटफार्मों की मदद से हर कोई देश ही नहीं दुनिया में अपना नाम बना और कमा सकता है। चाहे वह कोई बच्चा हो अथवा बुजुर्ग।
मेवालाल अयोध्या प्रसाद इंटर कालेज के शिक्षक डा. रवींद्र प्रताप के विचार : उन्होंने कहा कि यदि हम क्षेत्र की बात करें तो क्या अध्ययन, अध्यापन क्या व्यापार? सभी जगहों पर तकनीक की महत्ता बढ़ी है। यहां तक कि हमारा दैनिक जीवन भी तकनीक के मकड़जाल में उलझ चुका है। ऐसे में इसे सकारात्मक रूप से लेकर ही आगे बढ़ना ही श्रेयस्कर है। यदि बोझ या परेशानी मानकर कार्य होगा तो परिणाम अच्छे नहीं मिलेंगे।
तकनीक की अति करने अथवा गलत प्रयोग करने से नुकसान होता है : मेवालाल अयोध्या प्रसाद इंटर कालेज के शिक्षक डा. रवींद्र प्रताप ने कहा कि निश्चित तौर पर आदिकाल से यह बात शाश्वस्त सत्य रही है कि हर चीज दो पहलू होते हैं। यह गुण और अवगुण कहलाते हैं। तकनीक की अति करने अथवा गलत प्रयोग करने से नुकसान होता है। यह बताने वाली बात नहीं है। दूसरी तरफ यदि हम संतुलित ढंग से तकनीक का प्रयोग करेंगे तो जीवन को कई तरह से अलंकृत कर पाएंगे। विज्ञान और तकनीकी की उन्नति ने हमारे जीवन को प्राचीन समय से अधिक उन्नत बना दिया है। हमारी जीवन-शैली को प्रत्यक्ष और सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। हम घंटों का काम मिनटों में करने लगे हैं। अब ट्रेनों में सीटों का आरक्षण कराने के लिए लंबी लंबी लाइनें नहीं लगतीं। एक तो मात्र एक उदाहरण है। जीवन से जुड़े विविध पहलुओं में तकनीक अपना कमाल दिखाती मिलती है।
सोशल मीडिया पर अति सक्रियता के नकारात्मक प्रभाव : डा. रवींद्र प्रताप बोले कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अत्याधिक सक्रियता ने हम सबके स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है। इनके कई नकारात्मक प्रभाव भी दिखने लगे हैं। खासकर मोबाइल व लैपटाप के अधिक प्रयोग ने आंख, दिमांग को विशेष रूप से प्रभावित किया है। मन:स्थित को भी बखूबी बिगाड़ा है। कई बार डाक्टर की भी मदद लेनी पड़ जाती है। फिर भी इन सबका अर्थ यह नहीं कि तकनीक को छोड़ देना चाहिए। इसका सीधा अर्थ यह कि संयमित होकर और सूझबूझ के साथ तकनीक का प्रयोग करना चाहिए। इसमें बुजुर्गों का मार्गदर्शन और सुझाव भी कारगर होगा लेकिन यह तभी संभव है जब हमारे अभिभावक और बुजुर्ग तकनीक के इन पहलुओं से अवगत होंगे।
आगे बढ़ने के लिए अधिक तकनीक आवश्यक : उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि बड़े फलक पर विचार करें तो आधुनिक दुनिया में आज किसी भी देश के लिए मजबूत, ताकतवर और विकसित होने के लिए विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में नए अविष्कार आवश्यक है। साथ ही यह भी अनिवार्य है कि हर कोई इस तकनीकी की समझ और दक्षता से जुड़ा हो। यदि साइबर अपराधी हों तो साइबर पुलिस भी। ऐसा हो भी रहा है। इस प्रतियोगी समाज में हमें आगे बढ़ने और जीवन में सफल व्यक्ति बनने के लिए अधिक तकनीक की जरूरत है। विकास चाहे देश का हो या फिर व्यक्ति का यह तकनीक की वृद्धि और विकास से जुड़ा हुआ है। इसकी उन्नति वहां होती है, जहां विज्ञान में उच्च कौशल हो तथा पेशेवर विज्ञानी नए अविष्कार करें।
बोले, सामाजिक स्तर पर अच्छे परिणाम सामने आएंगे : मेवालाल अयोध्या प्रसाद इंटर कालेज के शिक्षक डा. रवींद्र प्रताप बोले कि हम यह कह सकते हैं कि तकनीकी, विज्ञान और विकास में एक दूसरे की समान भागीदारी है। यदि बुजुर्गों को भी इससे जोड़ दिया जाए तो उनके अन्य ज्ञान के साथ तकनीक का समन्वय कई नए आयाम और मानक स्थापित करने में सहयोगी होगा। कम से कम सामाजिक स्तर पर इसके बहुत ही अच्छे परिणाम हमारे सामने आएंगे।
Edited By: Brijesh Srivastava
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