संभल, जागरण संवाददाता। Sanskarshala 2022: संभल के एमजीएम कालेज के हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. इमरान खान का कहना है कि जाके पांव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई, अर्थात जिस मनुष्य पर कभी दुख न पड़ा हो वह दूसरे का दुख क्या समझे। वैसी ही स्थिति वास्तविक अनुभव की है। वास्तविक अनुभव हम केवल जीवन की मुश्किल, घड़ियों या जीवन के कठिन संघर्षों में ही पा सकते हैं। यही मुश्किल वक्त का कुहासा जब छंटता है और संघर्षों के पश्चात जब जीवन में आनंद की अनुभूति होती है। तब वही वास्तव में सच्चा सुख है।
इंटरनेट मीडिया वरदान भी और अभिशाप भी
सूचना एवं तकनीकी क्रांति के आधुनिक दौर में इंटरनेट मीडिया जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। यह बात सही है कि इसका उपयोग किसी वरदान से कम नहीं है और इसका दुरुपयोग समाज के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। इसका प्रयोग निश्चित तौर पर ज्ञानवर्धक है, लेकिन जरूरत से ज्यादा उपयोग युवाओं को उसका आदी बनाता जा रहा है। ऐसे कई शोध हुए हैं जिनसे पता चलता है कि इंटरनेट मीडिया का अत्यधिक उपयोग करने से हमारे मन मस्तिष्क में कई तरह के नकारात्मक विचार आने लगते हैं, जिसके कारण, मस्तिष्क और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके कारण समाज और मुख्य रूप से नई पीढ़ी में अनेकों मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है।
समाज और परिवार से दूर हो रही युवा पीढ़ी
इंटरनेट के इस दौर में युवा पीढ़ी समाज व परिवार से दूर होती जा रही है। वह घंटों इंटरनेट की दुनिया रूपी समुद्र में इतने डूबते जा रहे हैं कि न जाने कौन सा अनमोल रत्न ढूंढ कर निकाल लाएंगे। वह जिज्ञासावश इतने तल्लीन हो जाते हैं कि उन्हें न तो अपना आभास रहता है और न ही अपने आस-पास के समाज का, जिसके कारण वह खाना पीना छोड़कर इसी में खोए रहते है। अभिभावकों के सामने समस्या विकराल बन चुकी है, कि वह अपने बच्चों को इस इंटरनेट मीडिया की जादुई नगरी से कैसे दूर रखें। हमें केवल इसके नकारात्मक पहलू को ही नहीं देखना चाहिए।
आधुनिक दौर में इंटरनेट मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका
सूचना तकनीकी क्रांति के आधुनिक दौर में इंटरनेट मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, इसके माध्यम से लोग नए-नए तथ्यों और विचारों को तीव्र गति से साझा करते हैं। इंटरनेट मीडिया सामाजिक नेटवर्किंग वेबसाइटों का इस्तेमाल यूजर्स के विचार-विमर्श, सृजन, सहयोग करने तथा इमेज, आडियो और वीडियों रूप की जानकारी में हिस्सेदारी करने तथा उसे परिष्कृत करने की योग्यता और सुविधा प्रदान करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने अभिव्यक्ति को एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म प्रदान किया है।
युवा पीढ़ी को वास्तविक दुनिया में लाना अति आवश्यक
आधुनिकता के इस दौर में हमें वास्तविक सुख की प्राप्ति करनी है तो हमारी युवा पीढ़ी को वाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम तथा यूट्यूब आदि की चकाचौंध वाली दुनिया से निकलकर जीवन की वास्तविक दुनिया में भी लौटना होगा। जहां उसे अपनों के बीच बैठकर अपने होने का एहसास दिलाना होगा। अत: वास्तविक सुख इंटरनेट सोशल मीडिया और समाज से जुड़कर रहने में ही है। इन सब में उपयुक्त सामंजस्य आवश्यक है।
Edited By: Vivek Bajpai
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