नुमाईशकैंप स्थित गौशाला में चल रही राम कथा में सम्मानित अतिथि
– फोटो : SAHARANPUR
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सहारनपुर। नुमाइश कैंप स्थित प्राचीन सिद्धपीठ श्री गौ देवी मंदिर गोशाला परिसर में आयोजित आठ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन का शुभारंभ कथा व्यास स्वामी मंगला नंद महाराज एवं संत राघवेंद्र स्वामी द्वारा किया गया।
कथा व्यास स्वामी मंगला नंद महाराज ने श्रीराम के जन्म और विवाह के प्रसंग को सुनाया। उन्होंने कहा कि श्रीराम सनातन धर्म का आधार स्तंभ हैं। श्रीराम की पूजा अर्चना से सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। राघवेंद्र स्वामी ने कहा कि श्रीराम त्याग एवं बलिदान के प्रतीक हैं। सच्चाई की राह पर चलने वाले प्रत्येक मनुष्य को जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है। यजमान राजेंद्र अनेजा, रमा अनेजा, गगन गुंबर सपत्नीक, गगन नागपाल सपत्नीक और महेश नारंग एवं अनिल कृष्ण आदि रहे। महेश नारंग, महेंद्र तनेजा, राजेश आर्य, विनोद राय, राजकुमार सेतिया, रमा सेतिया आदि को पगड़ी पहनाकर और स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। इस दौरान संयोजक विजयकांत चौहान, विवेक प्रताप सिंह, ममता चानना, आशा चौहान, कृष्णा देवी, रमा सेतिया, पूनम सिंह, पूनम खुराना, अंकित टंडन, वरुण राय, सुनीता रानी आदि मौजूद रहे।
सहारनपुर। नुमाइश कैंप स्थित प्राचीन सिद्धपीठ श्री गौ देवी मंदिर गोशाला परिसर में आयोजित आठ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन का शुभारंभ कथा व्यास स्वामी मंगला नंद महाराज एवं संत राघवेंद्र स्वामी द्वारा किया गया।
कथा व्यास स्वामी मंगला नंद महाराज ने श्रीराम के जन्म और विवाह के प्रसंग को सुनाया। उन्होंने कहा कि श्रीराम सनातन धर्म का आधार स्तंभ हैं। श्रीराम की पूजा अर्चना से सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। राघवेंद्र स्वामी ने कहा कि श्रीराम त्याग एवं बलिदान के प्रतीक हैं। सच्चाई की राह पर चलने वाले प्रत्येक मनुष्य को जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है। यजमान राजेंद्र अनेजा, रमा अनेजा, गगन गुंबर सपत्नीक, गगन नागपाल सपत्नीक और महेश नारंग एवं अनिल कृष्ण आदि रहे। महेश नारंग, महेंद्र तनेजा, राजेश आर्य, विनोद राय, राजकुमार सेतिया, रमा सेतिया आदि को पगड़ी पहनाकर और स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। इस दौरान संयोजक विजयकांत चौहान, विवेक प्रताप सिंह, ममता चानना, आशा चौहान, कृष्णा देवी, रमा सेतिया, पूनम सिंह, पूनम खुराना, अंकित टंडन, वरुण राय, सुनीता रानी आदि मौजूद रहे।
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