सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय परिसर में इसी जमीन पर बनाया जाना था खेल मैदान। संवाद
– फोटो : SIDDHARTHNAGAR
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सिद्धार्थ विवि : छह साल बाद भी नहीं बन सका खेल मैदान
सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु की स्थापना के छह साल बाद भी खेल मैदान नहीं बन सका है। विश्वविद्यालय में खेल मैदान नहीं होने से खेल गतिविधियां पटरी पर नहीं आ रही हैं। विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या 1200 हो गई है, लेकिन खेल उपलब्धियां नगण्य है।
साल 2015 में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। योजना के अनुसार, प्रवेश गेट के पास ही मिनी स्टेडियम बनाया जाना था। फिलहाल, ट्रैक बनाने के लिए खेल मैदान भी नहीं है। यही कारण है कि अंतर विश्वविद्यालयीय एथलेटिक्स मीट भी नहीं हो पा रही है। खिलाड़ी खेल का अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण खिलाड़ियों को प्लेटफार्म भी नहीं मिल पा रहा है।
विश्वविद्यालय परिसर में जहां दीक्षांत समारोह का मंच बनता है, उस मैदान में 400 मीटर का एथलेटिक्स ट्रैक नहीं बनाया जा सकता है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने खेल व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशों में जुटा है, लेकिन मैदान की कमी आड़े आ रही है। वॉलीबाल व बैडमिंटन कोर्ट बनाने की तैयारी है, जबकि मिनी स्टेडियम के लिए आरक्षित जमीन को खेल मैदान के रूप में विकसित करने के लिए 400 ट्रक से अधिक मिट्टी की आवश्यकता बताई जा रही है। विश्वविद्यालय के क्रीड़ा प्रभारी डॉ. अविनाश प्रताप सिंह ने बताया कि खेल मैदान बनाने के कार्य में तेजी आ गई है। इस बार विश्वविद्यालय परिसर में अंतर विश्वविद्यालयीय एथलेटिक्स मीट होगी।
सिद्धार्थ विवि : छह साल बाद भी नहीं बन सका खेल मैदान
सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु की स्थापना के छह साल बाद भी खेल मैदान नहीं बन सका है। विश्वविद्यालय में खेल मैदान नहीं होने से खेल गतिविधियां पटरी पर नहीं आ रही हैं। विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या 1200 हो गई है, लेकिन खेल उपलब्धियां नगण्य है।
साल 2015 में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। योजना के अनुसार, प्रवेश गेट के पास ही मिनी स्टेडियम बनाया जाना था। फिलहाल, ट्रैक बनाने के लिए खेल मैदान भी नहीं है। यही कारण है कि अंतर विश्वविद्यालयीय एथलेटिक्स मीट भी नहीं हो पा रही है। खिलाड़ी खेल का अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण खिलाड़ियों को प्लेटफार्म भी नहीं मिल पा रहा है।
विश्वविद्यालय परिसर में जहां दीक्षांत समारोह का मंच बनता है, उस मैदान में 400 मीटर का एथलेटिक्स ट्रैक नहीं बनाया जा सकता है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने खेल व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशों में जुटा है, लेकिन मैदान की कमी आड़े आ रही है। वॉलीबाल व बैडमिंटन कोर्ट बनाने की तैयारी है, जबकि मिनी स्टेडियम के लिए आरक्षित जमीन को खेल मैदान के रूप में विकसित करने के लिए 400 ट्रक से अधिक मिट्टी की आवश्यकता बताई जा रही है। विश्वविद्यालय के क्रीड़ा प्रभारी डॉ. अविनाश प्रताप सिंह ने बताया कि खेल मैदान बनाने के कार्य में तेजी आ गई है। इस बार विश्वविद्यालय परिसर में अंतर विश्वविद्यालयीय एथलेटिक्स मीट होगी।
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