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लखीमपुर खीरी। अक्तूबर में हुई बेमौसम भारी बारिश के कारण इस वर्ष खांडसारी इकाइयां (क्रशर) अभी तक नहीं चल पाई हैं। इससे किसानों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। पैसे के अभाव में किसानों की दिवाली फीकी रही। इसके पीछे चीनी परता (मिठास यानी शुक्रोज की मात्रा कम होना) का कम होना कारण बताया जा रहा है।
जिले में 28 खांडसारी इकाइयां स्थापित हैं। यह चीनी मिलों से पहले यानी अक्तूबर के दूसरे पखवाड़े तक संचालित हो जाती थीं। जरूरतमंद गन्ना किसान इन क्रशर पर आवश्यकतानुसार गन्ना बेचकर दिवाली पर अपने परिवार का दैनिक खर्च चलाने की व्यवस्था कर लेते थे। इस वर्ष किसान ऐसा नहीं कर सकें, क्योंकि अक्तूबर के पहले पखवाड़े में एक सप्ताह तक लगातार हुई भारी बारिश से धान के अलावा गन्ने के खेतों में भी पानी भरा हुआ है। इस कारण क्रशर मालिकों ने पेराई सत्र को तय समय से आगे टाल दिया है। खांडसारी इकाईयों से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बेमौसम हुई बारिश के कारण गन्ने के खेतों में पानी भरा होने से गन्ने में मिठास अभी कम है, जिससे चीनी परता कम रहता है। इससे चीनी का उत्पादन कम होगा। लिहाजा खेतों की नमी सूखने का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद पेराई सत्र का आगाज होगा।
इसके अलावा क्रशर मालिकों ने शीरा पर जीएसटी लगाए जाने के विरोध में पिछले माह सितंबर में खांडसारी अधिकारी को ज्ञापन देकर पेराई सत्र प्रारंभ न करके हड़ताल करने की चेतावनी भी दी थी। अभी गतिरोध बना हुआ है। हालांकि हड़ताल को लेकर क्रशर मालिकों की ओर से कोई बयान नहीं जारी किया गया है, लेकिन खांडसारी अधिकारी बारिश के कारण गन्ने के खेतों में भरे पानी को संचालन में देरी की वजह बता रहे हैं। वहीं क्रशर संचालन में देरी की वजह से गुड़ व राब बनाने वाली कोल्हू इकाइयां औने-पौने दामों 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ना खरीद रहीं हैं, जिससे मजबूर किसानों को चपत लग रही है।
‘बेमौसम बारिश होने से गन्ने के खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है, जिससे गन्ने में शुक्रोज (मिठास) की मात्रा कम है। इससे अभी चीनी परता कम रहेगा। इस कारण क्रशर मालिकों ने अभी पेराई सत्र को आगे टाल दिया है। खेतों में पानी सूखने पर क्रशर का संचालन प्रारंभ होगा। नवंबर के पहले पखवाड़े तक पेराई सत्र शुरू होने की उम्मीद है।’
– सीएम उपाध्याय, खांडसारी अधिकारी
लखीमपुर खीरी। अक्तूबर में हुई बेमौसम भारी बारिश के कारण इस वर्ष खांडसारी इकाइयां (क्रशर) अभी तक नहीं चल पाई हैं। इससे किसानों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। पैसे के अभाव में किसानों की दिवाली फीकी रही। इसके पीछे चीनी परता (मिठास यानी शुक्रोज की मात्रा कम होना) का कम होना कारण बताया जा रहा है।
जिले में 28 खांडसारी इकाइयां स्थापित हैं। यह चीनी मिलों से पहले यानी अक्तूबर के दूसरे पखवाड़े तक संचालित हो जाती थीं। जरूरतमंद गन्ना किसान इन क्रशर पर आवश्यकतानुसार गन्ना बेचकर दिवाली पर अपने परिवार का दैनिक खर्च चलाने की व्यवस्था कर लेते थे। इस वर्ष किसान ऐसा नहीं कर सकें, क्योंकि अक्तूबर के पहले पखवाड़े में एक सप्ताह तक लगातार हुई भारी बारिश से धान के अलावा गन्ने के खेतों में भी पानी भरा हुआ है। इस कारण क्रशर मालिकों ने पेराई सत्र को तय समय से आगे टाल दिया है। खांडसारी इकाईयों से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बेमौसम हुई बारिश के कारण गन्ने के खेतों में पानी भरा होने से गन्ने में मिठास अभी कम है, जिससे चीनी परता कम रहता है। इससे चीनी का उत्पादन कम होगा। लिहाजा खेतों की नमी सूखने का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद पेराई सत्र का आगाज होगा।
इसके अलावा क्रशर मालिकों ने शीरा पर जीएसटी लगाए जाने के विरोध में पिछले माह सितंबर में खांडसारी अधिकारी को ज्ञापन देकर पेराई सत्र प्रारंभ न करके हड़ताल करने की चेतावनी भी दी थी। अभी गतिरोध बना हुआ है। हालांकि हड़ताल को लेकर क्रशर मालिकों की ओर से कोई बयान नहीं जारी किया गया है, लेकिन खांडसारी अधिकारी बारिश के कारण गन्ने के खेतों में भरे पानी को संचालन में देरी की वजह बता रहे हैं। वहीं क्रशर संचालन में देरी की वजह से गुड़ व राब बनाने वाली कोल्हू इकाइयां औने-पौने दामों 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ना खरीद रहीं हैं, जिससे मजबूर किसानों को चपत लग रही है।
‘बेमौसम बारिश होने से गन्ने के खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है, जिससे गन्ने में शुक्रोज (मिठास) की मात्रा कम है। इससे अभी चीनी परता कम रहेगा। इस कारण क्रशर मालिकों ने अभी पेराई सत्र को आगे टाल दिया है। खेतों में पानी सूखने पर क्रशर का संचालन प्रारंभ होगा। नवंबर के पहले पखवाड़े तक पेराई सत्र शुरू होने की उम्मीद है।’
– सीएम उपाध्याय, खांडसारी अधिकारी
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