दुद्धी क्षेत्र के मलदेवा गांव में दीपावली की तैयारी को लेकर दीया बनाते हरिहर प्रजापति।
– फोटो : SONBHADRA
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दुद्धी। दीपोत्सव पर बाजार सजने लगे हैं। हर कोई अच्छे कारोबार को लेकर उत्साहित है। कुछ ऐसी ही उम्मीद उन लोगों में भी बनी है, जिनका व्यवसाय ही मिट्टी के दीपक बनाकर बेचना है। दीपावली पर घर-घर दीपक जलाने की परंपरा के कारण इस पर्व पर दीपों की मांग बढ़ जाती है। लिहाजा वह पूरे मनोयोग से दीपक बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं। हालांकि उनके मन में यह चिंता भी है कि कहीं बिजली के झालर और चीनी दीपक के मोह में लोग उनके परिश्रम की अनदेखी न कर दें।
दुद्धी ब्लाक के मल्देवा गांव निवासी बुजुर्ग हरिहर प्रजापति पिछले चार दशकों से मिट्टी के बर्तन और दीया बनाते आ रहे हैं। इस बार भी दीपावली को लेकर वह पूरे परिवार के साथ इस कार्य में जुटे हैं। उनका कहना है कि दीपावली और छठ पूजा पर मिट्टी के दीपक, बर्तन की मांग रहती है। लोगों की मांग पूरी करने के लिए इस उम्र में भी हम पसीना बहा रहे हैं।
हरिहर का कहना है कि तेजी से बढ़ती महंगाई के चलते उनके व्यवसाय में मुनाफा नहीं रह गया है। चीनी दीपक और झालरों के प्रति आकर्षण ने उनके व्यवसाय को प्रभावित किया है। फिर भी उन्हें उम्मीद है कि इस बार लोग दीपक खरीदेंगे। राजू प्रजापति ने बताया कि पूरा परिवार मिलकर इस मिट्टी से दिया, ढकनी, घड़ा, कलश, चुक्कड़, कटोरी सहित अन्य चीजें बनाते हैं। यह काम पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। इस महंगाई में जितना लागत हमारी लगती है वही निकल रहा है। कमाई तो पता ही नहीं चलता। वर्तमान समय में दीये की बिक्री तो होती है, लेकिन उतनी नही हो पाती हैं जितनी होनी चाहिए। छठ के लिए बनने वाली कोशी, ढकनी व दीपक सहित अन्य खिलौने भी बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। नंदलाल ने बताया कि मिट्टी का दीया और बर्तन बेचकर ही परिवार का भरण-पोषण होता है। इलेक्ट्रिक झालरों से व्यवसाय प्रभावित हुआ है। फिर जिस तरह लोग अपनी परंपराओं की ओर लौटने की बात कह रहे हैं, उससे हमारे दीपक की बिक्री इस बार अच्छी होने की उम्मीद है।
दुद्धी। दीपोत्सव पर बाजार सजने लगे हैं। हर कोई अच्छे कारोबार को लेकर उत्साहित है। कुछ ऐसी ही उम्मीद उन लोगों में भी बनी है, जिनका व्यवसाय ही मिट्टी के दीपक बनाकर बेचना है। दीपावली पर घर-घर दीपक जलाने की परंपरा के कारण इस पर्व पर दीपों की मांग बढ़ जाती है। लिहाजा वह पूरे मनोयोग से दीपक बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं। हालांकि उनके मन में यह चिंता भी है कि कहीं बिजली के झालर और चीनी दीपक के मोह में लोग उनके परिश्रम की अनदेखी न कर दें।
दुद्धी ब्लाक के मल्देवा गांव निवासी बुजुर्ग हरिहर प्रजापति पिछले चार दशकों से मिट्टी के बर्तन और दीया बनाते आ रहे हैं। इस बार भी दीपावली को लेकर वह पूरे परिवार के साथ इस कार्य में जुटे हैं। उनका कहना है कि दीपावली और छठ पूजा पर मिट्टी के दीपक, बर्तन की मांग रहती है। लोगों की मांग पूरी करने के लिए इस उम्र में भी हम पसीना बहा रहे हैं।
हरिहर का कहना है कि तेजी से बढ़ती महंगाई के चलते उनके व्यवसाय में मुनाफा नहीं रह गया है। चीनी दीपक और झालरों के प्रति आकर्षण ने उनके व्यवसाय को प्रभावित किया है। फिर भी उन्हें उम्मीद है कि इस बार लोग दीपक खरीदेंगे। राजू प्रजापति ने बताया कि पूरा परिवार मिलकर इस मिट्टी से दिया, ढकनी, घड़ा, कलश, चुक्कड़, कटोरी सहित अन्य चीजें बनाते हैं। यह काम पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। इस महंगाई में जितना लागत हमारी लगती है वही निकल रहा है। कमाई तो पता ही नहीं चलता। वर्तमान समय में दीये की बिक्री तो होती है, लेकिन उतनी नही हो पाती हैं जितनी होनी चाहिए। छठ के लिए बनने वाली कोशी, ढकनी व दीपक सहित अन्य खिलौने भी बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। नंदलाल ने बताया कि मिट्टी का दीया और बर्तन बेचकर ही परिवार का भरण-पोषण होता है। इलेक्ट्रिक झालरों से व्यवसाय प्रभावित हुआ है। फिर जिस तरह लोग अपनी परंपराओं की ओर लौटने की बात कह रहे हैं, उससे हमारे दीपक की बिक्री इस बार अच्छी होने की उम्मीद है।
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