एलन मस्क ने ट्वीटर डील फाइनल करने और उसे अपने नियंत्रण में लेने के बाद कहा, …चीड़िया आजाद हो गई। सवाल है मस्क के जेहन में ‘चीड़िया’ की आजादी कबतक बरकरार रहेगी।
Dr. Manoj Kumar Tiwary@report4india/ New Delhi.
आखिरकार कई उलझनों व विवादों के बीच दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने ट्वीटर (twitter) को 44 अरब डॉलर में खरीद लिया। इस डील के फाइनल होने और ट्वीटर पर नियंत्रण स्थापित होने के बाद एलन मस्क ने ट्वीट किया …. ‘the bird is freed’ चीड़िया आजाद हो गई। ट्वीट के दाहिने तरफ चीड़िया को उड़ते हुए भी दिखाया। साथ ही. इस डील के फाइनल होने और इसे खरीदने के पीछे अपने मकसद का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा, ट्विटर को इसलिए खरीदा, ताकि हमारी आने वाली सभ्यता के पास एक कॉमन डिजिटल स्पेस हो, जहां विभिन्न विचारधारा और विश्वास के लोग किसी भी तरह की हिंसा के बिना स्वस्थ चर्चा कर सकें। सुनने में यह विचार आदर्शवाद की ओर बढ़ता कदम है परंतु, इसपर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है। दुनिया का सबसे अमीर शख्स जिसने अपने जीवन में कई ‘गोल’ अचीव किये हैं, कई क्षेत्रों में व्यवसाय है और आगे भी कई क्षेत्रों में व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के लिए खड़े होते हुये भी दिखते हैं…’चीड़िया’ की आजादी को बरकरार रख पायेंगे?
यह सवाल इसलिए भी उठना लाजिमी है कि ट्वीटर पर कब्जा के साथ ही उन्होंने सीईओ पराग अग्रवाल व उनकी टीम के कई सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि, एक कारण यह भी है कि डील के दौरान ट्वीटर के सीईओ पराग अग्रवाल एलन मस्क के खिलाफ ट्वीटर के कर्मचारियों को भड़काने लगे।
दूसरा तथ्य यह कि, ट्वीटर पर वामपंथियों का राज था। सीइओ पराग अग्रवाल, कंटेंट मोडरेटर और पॉलिसी हेड विजया गड्डे, चीफ फायनेंसियल ऑफिसर नेड सेगल और सहगल ट्वीटर पर एकही विचारधारा वामपंथ को प्रमोट और बढ़ावा दे रहे थे जबकि अन्य विचारदारा के लोगों का अकाउंट सस्पेंड कर दिया जाता था, उनके कटेंट डीलिट कर दिया जाता था। एलन मस्क का फिलहाल ट्वीटर ‘चीड़िया’ को आजादी का मतलब यह है कि एकतरफा वामपंथी विचार प्रभुत्व को ट्वीटर से समाप्त करना। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीटर अकाउंट को विजया गड्डे ने सस्पेंड कर दिया था, जिसे एलन मस्क ने फिर से स्थापित करनी की घोषणा की है।
निश्चित तौर ट्वीटर जैसे प्लेटफॉर्म पर भिन्न-भिन्न विचारधारा और विश्वास के लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी देने का दावा करने की घोषणा महत्वपूर्ण है और आज के इस प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के युग में इसे लागू करने का जिगरा भी बड़ा होना चाहिए। सवाल यह है कि एलन मस्क के नियंत्रण में ट्वीटर का यह रूप हमेशा बरकरार रह पायेगा? आने वाले समय में प्रतिस्पर्धा और व्यवसायिक हित इस आजादी पर भारी तो नहीं पड़ जाएंगे?
वैसे भी, ट्वीटर, फेसबुक जैसे सोशल साइट्स आजकल विवादों में हैं। कई तरह के इल्जाम उनपर हैं। लोकतंत्र या चुनाव को प्रभावित करने, वर्तमान आर्थिक-सामाजिक व्यवस्था में बदलाव करने से लेकर निजता के उल्लंघन के कई मामले आम हैं। ऐसे में फिलहाल एलन मस्क के इस निर्णय की प्रशंसा तो करनी ही होगी और आगे के निर्णयों पर नज़र रखनी होगी।
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