एक मंच पर आए तीन पीठों के शंकराचार्य
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जोशीमठ में नगर के रविग्राम स्थित खेल मैदान में ज्योतिषपीठ की ओर से आयोजित धर्म महासम्मेलन में संत समाज, स्थानीय ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, श्रृंगेरी के शंकराचार्य विधु शेखर भारती महाराज और द्वारका के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती का स्वागत किया। इस दौरान क्षेत्र की महिलाओं और बालिकाओं ने जल कलश यात्रा निकाली।
सोमवार को सुबह करीब नौ बजे ज्योतिर्मठ से रविग्राम खेल मैदान तक करीब चार किमी लंबी शोभायात्रा निकाली गई। तीनों शंकराचार्य रथ में सवार होकर सेना के बैंडों की मधुर धुन के साथ महासम्मेलन स्थल पर पहुंचे। तीनों शंकराचार्य भगवान नृसिंह मंदिर पहुंचे और दर्शन के बाद शोभायात्रा में शामिल हुए।
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महासम्मेलन में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य ने देश में चार पीठों की स्थापना की जिसमें उन्होंने अपने शिष्यों को अभिक्षित किया। कहा कि कुछ लोग न्यायालय को गुमराह कर रहे हैं कि ज्योतिषपीठ पर पट्टा अभिषेक किया जा रहा है जबकि यहां पर तो सिर्फ धर्म महासम्मेलन किया जा रहा है। मुख्य अभिषेक तो पहले ही हो चुका है। उन्होंने कहा कि ज्योतिषपीठ को लेकर 70 सालों से विवाद चल रहा है। कहा कि इस विवाद से ज्योतिर्मठ या किसी को भी क्या मिला है।
इस दौरान केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती, डिमरी पंचायत के आशुतोष डिमरी, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी रामकृष्ण नंद, विशोखनंद, यतीद्रंद महाराज, महंत ईश्वरदास, बाबा हठयोगी, महंत दुर्गा दास, महंत गौरी शंकर, गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल, प्रेमानंद शास्त्री, डा. बृजेश सती, उमेश सती सहित कई मौजूद थे।
ज्योतिर्मठ में खुलेगा अस्पताल व गुरुकुल
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद महाराज की दो प्रमुख इच्छाएं थी। पहली ज्योतिर्मठ में 100 बेड के अस्पताल का संचालन करना और दूसरा 10 हजार बच्चों के लिए गुरुकुल की स्थापना हो। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य की इन दोनों इच्छाओं को जल्द पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। दोनों शंकराचार्यों ने भी विचार व्यक्त किए।
रम्माण और पौणा नृत्य की दी प्रस्तुति
कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने गणेश वंदना और बदरीनाथ की स्तुति से की। महासम्मेलन में सलूड़ गांव के कलाकारों ने मुखौटा नृत्य रम्माण की शानदार प्रस्तुति दी। इसके अलावा माणा गांव के ग्रामीणों ने पौणा नृत्य का आयोजन किया।
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