उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क गणेशवर्णी दिगंबर जैन संस्थान के 50 वर्ष पूरे होने पर नरिया स्थित इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर टीचर्स एजुकेशन के सभागार में तीन दिवसीय स्वर्ण जयंती उत्सव शुरू हुआ. इस मौके पर भारतीय संस्कृति पर श्रमण परंपरा के प्रभाव विषयक संगोष्ठी में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय संस्कृति वैदिक और श्रमण घटाओं का संगम है. जैन धर्म प्राणी मात्र में दया की भावना का संचार करता है. त्याग हमारी संस्कृति की मूल विशेषता है.
उन्होंने कहा कि जैन धर्म के सिद्धांत समाज में समन्वय का मार्ग का प्रशस्त करते हैं. हमें अपने विचारों के साथ दूसरों के विचारों का सम्मान करना चाहिए. काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने कहा कि काशी समन्वय की भूमि है. जैन धर्म ज्ञान और क्रिया का समन्वय करता है. हमें जीवन में आचरण में सदाचरण को महत्व देना चाहिए. बीएचयू में जैन बौद्ध दर्शन विभाग के अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार जैन ने कहा कि गणेश वर्णी का समाज पर महा उपकार है.
इस मौके पर सात पुस्तकों का विमोचन हुआ. इनमें स्वतंत्रता सेनानी प्रो. खुशालचन्द्र गोरावाला स्मृति ग्रंथ, समयसार, तत्वसंसिद्वि, जैन साहित्य का इतिहास भाग -1 और जैन साहित्य का इतिहास भाग- 2, अनेकांत और स्याद्वाद, इन द वोम्ब ऑफ द गाडेस शामिल हैं. कार्यक्रम में प्रो. कमलेश कुमार जैन, सौम्या अय्यर, प्रो. अभय कुमार जैन, केशव जैन, प्रो. फूलचन्द्र जैन प्रेमी और डॉ. मेधावी जैन ने व्याख्यान दिया. इस दौरान किशोरकान्त गोरावाला, मनीष जैन, डॉ. एसपी पाण्डेय आदि रहे.
वाराणसी न्यूज़ डेस्क
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