Edited By Jyoti,Updated: 25 Oct, 2022 10:15 AM
वर्तमान समय की बात करें तो लोग अपने घर व दुकान आदि के अच्छे से अच्छे बनवाने के लिए बड़े बड़े इंजीनियरों की मदद लेते हैं। बड़े से बड़े इंटीरियर डेकोरेटर की सलाह लेते हैं और अपने घर को हर तरह से खूबसूरत बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन कभी आप
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वर्तमान समय की बात करें तो लोग अपने घर व दुकान आदि के अच्छे से अच्छे बनवाने के लिए बड़े बड़े इंजीनियरों की मदद लेते हैं। बड़े से बड़े इंटीरियर डेकोरेटर की सलाह लेते हैं और अपने घर को हर तरह से खूबसूरत बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन कभी आप ने सोचा है प्राचीन समय में भी एक इंजीनियर थे, जिनकी पूजा का विधान सनातन धर्म में वर्णित है। जी हां, आपको जानकर थोड़ी हैरानी होगी परंतु ये सच है और आपकी जानकारी के लिए बता दें ये कोई और नहीं भगवान विश्वकर्मा हैं। सनातन धर्म में वर्णित पौराणिक कथाओं व मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय में सबसे बड़े सिविल इंजीनियर थे विश्वकर्मा जी। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार दिवाली से ठीक एक दिन बाद इनकी पूजा की जाती है।
हिंदू धर्म के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को निर्माण व सृजन का देवता माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, आज ही के दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। तो आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा का महत्व। धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार, विश्वूकर्मा पूजा के दिन विशेष तौर पर औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है, जिससे जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं होती।
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भगवान विश्वकर्मा के संदर्भ में प्रचलित कथाओं के अनुसार संसार की रचना ब्रह्मा जी ने की है और उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को दिया गया है। जिस कारण भगवान विश्वकर्मा को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है। मान्यता है कि विश्वकर्मा जी ब्रह्मा जी के पुत्र वास्तु की संतान थे। तो वहीं ये भी माना जाता है कि भगवान शिव के लिए त्रिशूल, विष्णु जी के सुदर्शन चक्र और यमराज के कालदंड, कृष्ण जी की द्वारका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ, रावण की लंका, इंद्र के लिए वज्र समेत कई चीजों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा किया गया है।
पूजा का महत्व
मान्यता है भगवान विश्वकर्म ने स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारिका नगरी, यमपुरी, कुबेरपुरी आदि का निर्माण किया था।
भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र तथा भोलेनाथ के लिए त्रिशूल भी इनके द्वारा ही निर्मित किया गया था।
भगवान विश्वकर्मा ने ही सतयुग का स्वर्गलोक, त्रेता की लंका और द्वापर युग की भी द्वारका रचना की थी।
श्रमिक समुदाय से जुड़े लोगों के लिए ये दिन बेहद खास होता है, सभी कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।
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