इसका खुलासा मप्र (नीमच) के एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ को सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मिली जानकारी से हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है, दान में मिलने वाली कॉर्निया 100 फीसदी ट्रांसप्लांट नहीं हो पाती। इसमें 25 प्रतिशत कॉर्निया में या तो तकनीकी खराबी होती है या फिर ये मरीजों की बॉडी से मैच नहीं करती। हालांकि 75 प्रतिशत कॉर्निया का इस्तेमाल किया जा सकता है।
विशेषज्ञों के आकलन से यह साफ हो रहा है कि कुल नेत्रदान 3,35,940 का 75 प्रतिशत यानि, 2,51,955 कॉर्निया ट्रांसप्लांट की जा सकती थी। एक कॉर्निया से तीन लोगों के आंखों की रोशनी लौटाई जा सकती है। ऐसा हुआ होता तो देश में तकरीबन 7,55,865 लोग अपनी आंखों से दुनिया देख रहे होते। इन सबके बीच सवाल यह भी है कि आखिर 83991 कॉर्निया का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया।
आरटीआइ से मिली जानकारी के अनुसार, नेत्रदान में सबसे आगे रहे देश के पांच राज्यों में सबसे ज्यादा कॉर्निया का ट्रांसप्लांट मध्यप्रदेश में हुआ है। आंकड़े बताते हैं, मप्र में 2016 से 2022 तक दान में 12029 कॉर्निया मिली। विशेषज्ञ बताते हैं, इसका 75 प्रतिशत यानि 9022 ही ट्रांसप्लांट किए जा सकते थे। लेकिन मप्र के 14 आइ बैंकों ने इसमें बढ़-चढकऱ भूमिका निभाई। तय मानक से भी ज्यादा 9559 कॉर्निया ट्रांसप्लांट किए।
दान लेने में आगे, ट्रांसप्लांट करने में पीछे ये राज्य
नेत्रदान में आगे गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश कॉर्निया ट्रांसप्लांट में पीछे रह गए। तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 53766 नेत्रदान हुए। लेकिन ट्रांसप्लांट योग्य 40325 कॉर्निया में 22341 ही ट्रांसप्लांट किए गए। गुजरात में 38371 नेत्रदान हुए। यहां ट्रांसप्लांट योग्य 29079 कॉर्निया में 8700 ही प्रत्यारोपण किए गए। कर्नाटक में 27994 नेत्रदान में ट्रांसप्लांट योग्य 20996 कॉर्निया में 9836 ट्रांसप्लांट किए गए। आंध्रप्रदेश में 23894 नेत्रदान में ट्रांसप्लांट योग्य 17921 कॉर्निया में 12250 ही प्रत्यारोपण किए गए।
देश में साल-दर-साल इस तरह बढ़ा आइ डोनेशन
कार्य : 2016-17: 2017-18: 2018-19: 2019-20: 2020-21: 2021-22
दान: 67709: 71709: 68409: 65417: 17402: 45294
ट्रांसप्लांट: 30740: 31417: 26601: 31019: 11859: 24783 कॉर्निया के लिए लगी है कतार
एक रिपोर्ट के अनुसार 2016 में देश में कॉर्निया ट्रांसप्लांट कराने वालों की सूची 15 लाख थी। हालांकि इसके बाद के बरसों में इसमें कमी आई है। मध्यप्रदेश में भी कॉर्निया ट्रांसप्लांट का इंतजार करने वालों की कमी नहीं है। एमके इंटरनेशनल आइ बैंक इंदौर के टेक्नीशियन गोपाल सेरोके के अनुसार, सिर्फ इंदौर में ही 100 वेटिंग है। उनका आकलन है कि मप्र में यह आंकड़ा एक लाख से ऊपर हो सकता है। उनका कहना है, अमूमन दान में मिली कुल कॉर्निया का 25 फीसदी तकनीकी कारणों या मिस मैच होने से ट्रांसप्लांट नहीं हो पाता। 75 प्रतिशत कॉर्निया ट्रांसप्लांट हो जाती है। वहीं, इसी साल अगस्त में भोपाल के हमीदिया अस्पताल में 70 लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। यहां सालाना 40 ट्रांसप्लांट ही हो रहे हैं।
आइ बैंक में 7 से 14 दिनों तक कॉर्निया सुरक्षित रखी जा सकती है। विशेष स्थिति में इसे अलग-अलग सॉल्यूशन में 1 माह तक सुरक्षित किया जा सकता है। दान में मिली कॉर्निया शत-प्रतिशत ट्रांसप्लांट नहीं हो पाती। मप्र में कॉर्निया सामान्यता 4-5 दिन में ही ट्रांसप्लांट हो जाती है।
– उमा झंवर, डायरेक्टर, एमके इंटरनेशनल आइ बैंक, इंदौर
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