विदेश मंत्री एस जयशंकर।
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S Jaishankar : रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष की वजह से दुनिया काफी हद तक बदल गई है। यूक्रेन संघर्ष ने ही नाटकीय रूप से राजनीतिक कार्यक्षेत्र का दायरा बढ़ा दिया है, इसके दबाव में व्यापार, ऋण और यहां तक कि पर्यटन को भी हथियार बनाया जा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को यह बातें कहीं।
आईआईएम कोलकाता में एक व्याख्यान देते हुए जयशंकर ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय मामलों में एक बड़ा बदलाव हो रहा है, जिसे समझना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह सब हर चीज को हथियार की तरह इस्तेमाल करने की होड़ का नतीजा है। जयशंकर ने ‘भारत और विश्व’ विषय पर बोलते हुए कहा कि हाल के वर्षों में हम पहले ही देख चुके हैं कि कैसे व्यापार, संपर्क, ऋण, संसाधन और यहां तक कि पर्यटन भी राजनीतिक दबाव के बिंदु बन गए हैं।
यूक्रेन संघर्ष ने नाटकीय रूप से इस तरह से लाभ का दायरा बढ़ा दिया है। जयशंकर ने कहा कि उपायों का पैमाना, प्रौद्योगिकी नियंत्रण, बुनियादी ढांचा और सेवा प्रतिबंध और संपत्ति की जब्ती वास्तव में लुभावनी बन चुकी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह ये सब लुभावने हैं, इसके साथ ही यह भी एक तथ्य है कि वैश्विक नियमों और प्रथाओं को राष्ट्रीय लाभ के लिए इस तरह से बनाया गया है कि अब उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
मंत्री ने कहा कि महान शक्ति प्रतिस्पर्धा को तेज करना अनिवार्य रूप से कई डोमेन में तनाव के कारक पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक स्तर पर यह अंतरराष्ट्रीय जोखिम के बारे में सावधानी बरतता है। लेकिन एक बिंदु से परे इसे सुरक्षित नहीं किया जा सकता है क्योंकि अस्तित्व बनाए रखने की प्रवृत्ति अब वैश्वीकृत हो गई है। विदेश मंत्री ने वैश्वीकृत युग को ‘दोधारी दुनिया’ के रूप में वर्णित किया और कहा कि कमजोरियों को निर्भरता या जोखिमों से लाभों से अलग करना कठिन है।
उन्होंने कहा कि जिस गतिशीलता ने हमारे घरों में कोविड को लाया, वही कई सारे लोगों के लिए आजीविका का इतना बड़ा स्रोत था। आपूर्ति श्रृंखला जिसने काम नहीं करने पर व्यवधान पैदा किया वही एक वरदान साबित हुई। डिजिटल मोर्चे पर भारत के बारे में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों ने हम सभी को डिजिटल होने के लिए मजबूर किया है।
उन्होंने कहा कि हम, भारत में, एक रिकॉर्ड है… जो विश्व में सराहा जा रहा है। हमारी डिजिटल डिलीवरी का पैमाना चाहे वह भोजन, वित्त, स्वास्थ्य, पेंशन या सामाजिक लाभ हो… दुनिया इस पैमाने की चर्चा करती है। जयशंकर ने कहा कि दुनिया न केवल वैश्विक संवाद के एक अलग मॉडल की ओर बढ़ रही है, बल्कि अधिक से अधिक राष्ट्रीय अवसरों की ओर भी बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि भारत में हम जानते हैं कि अब इसमें कोई सवाल नहीं कि आत्मनिर्भर भारत के रूप में विदेश नीति के हम सभी के लिए गहरे व्यक्तिगत निहितार्थ हैं, क्योंकि यह हमारे जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ‘विश्वसनीय प्रदाता’ जैसी अवधारणाएं जोर पकड़ेंगी। उन्होंने कहा कि पहले के मुकाबले अब विदेश नीति राष्ट्रीय या सामूहिक प्रयासों के लिए शक्ति निर्माण और प्रभाव का प्रयोग करने का निरंतर अभ्यास है।
जयशंकर ने कहा कि हम वंदे भारत मिशन के माध्यम से कोरोना के दौरान सात मिलियन (70 लाख) से अधिक भारतीयों को वापस लाए। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि आज का भारत वैश्विक कार्यस्थल का बड़े प्रभावी ढंग से उपयोग करता है। इसका एक तथ्य यह है कि हमारी प्रतिभा और कौशल अब वैश्विक नवाचार का एक आंतरिक तत्व है। उन्होंने कहा कि यह इस बात को भी दर्शाता है कि कितने भारतीय व्यक्तिगत, पेशेवर या पर्यटन उद्देश्यों के लिए यात्रा करते हैं। हम अपनी प्रतिभा तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने, अपने कर्मचारियों के लिए मजबूत सुरक्षा, अपने छात्रों के लिए अधिक अवसर और अपने व्यापार के लिए बाजारों को पोषित करने का प्रयास करते हैं।
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