हाइलाइट्स
इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स को भारत में संचालन के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी.
हालांकि, इन प्लेटफॉर्म को यूजर्स की साइबर सिक्योरिटी सुनिश्चित करनी होगी.
साथ ही इन ऐप्स को अपने यूजर्स के केवाईसी करने की आवश्यकता पड़ सकती है.
नई दिल्ली. हाल ही में वॉट्सऐप, टेलीग्राम और सिग्नल जैसी इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप को लेकर कुछ चिंताओं को उजागर किया गया था. उस समय खबर आई थी कि इन ऐप्स को भारत में संचालित करने के लिए सरकार से लाइसेंस लेना होगा. हालांकि, इस संबंध में टेलीकॉम विभाग के अधिकरियों का कहना है कि इन ऐप्स को भारत में संचालन के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेग, लेकिन बिना लाइसेंस के सेवाओं को जारी रखने के लिए इन प्लेटफॉर्म को यूजर्स की साइबर सिक्योरिटी सुनिश्चित करनी होगी.
एक रिपोर्ट में कहा गया कि टेलीकॉम बिल के ड्राफ्ट पर सरकार और हितधारकों के बीच एक आम सहमति बन गई है. ड्राफ्ट में कहा गया है कि यूजर सिक्योरिटी पर दूरसंचार कंपनियों को प्राथमिकता देनी चाहिए. हालांकिं, विभाग अपने रुख पर कायम है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म को रेगूलेट करने की आवश्यकता है. यह सुरक्षा उद्देश्य के लिए है. सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य लोगों को साइबर धोखाधड़ी के शिकार होने से बचाने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा भी है.
ऐप्स की कॉलिंग को ट्रैक करना मुश्किल
DoT के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वर्तमान में 60-70% वॉयस कॉल इन ऐप्स पर हो रही हैं, जिन्हें पारंपरिक वॉयस कॉल और मैसेज की तुलना में ट्रैक करना मुश्किल है. उदाहरण के लिए, मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप. भारत में वॉट्सऐप का सबसे बड़े बाजार है. जानकारों का कहना है कि भारत में कम्युनिकेशन ऐप के जरिए की जाने वाली कॉल में सबसे ज्यादा शेयर वॉट्सऐप का ही है.
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कॉल डिटेल रिकॉर्ड स्टोर करना जरूरी
दूरसंचार ऑपरेटरों को कम से कम एक साल के लिए सभी वॉयस कॉल के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) को स्टोर करना अनिवार्य है. सीडीआर डेटा सुरक्षा एजेंसियों द्वारा आवश्यक होने पर काम आता है. फिलहाल ओटीटी कॉल्स के लिए ऐसी कोई जरूरत नहीं है.
करनी पड़ सकती है KYC
टेलीकॉम सर्विस की पेशकश करने वाले सभी ओटीटी प्लेटफार्मों को अपने ग्राहक को kYC प्रक्रिया के माध्यम से यूजर्स वेरिफिकेशन सुनिश्चित करना होगा. इसका मतलब यह है कि वॉट्सऐप और अन्य कंपनियों को भारत में काम करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं हो सकती है, लेकिन उन्हें टेलीकॉम की तरह अपने यूजर्स के केवाईसी करने की आवश्यकता पड़ सकती है.
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टेलीकॉम कंपनियां चाहती हैं समान नियम
टेलीकॉम कंपनियां वॉट्सऐप और अपने लिए समान नियम चाहती हैं. भारत के शीर्ष दूरसंचार ऑपरेटरों ने मांग की है कि व्यापकता लाने और किसी भी संभावित अस्पष्टता से बचने के लिए टेलीकॉम बिल के ड्राफ्ट में ओटीटी कम्युनिकेशन सर्विस को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए. उन्होंने ओटीटी टेलीकॉम सर्विस के संबंध में एक समान अवसर की आवश्यकता को भी दोहराया है और समान रेगूवेटरी शर्तों की भी मांग की है.
COAI ने दिया सुझाव
हाल ही में जारी एक बयान में सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने यह सुझाव दिया गया है कि टेलीकॉम सर्विस और ओटीटी ऐप्स एक ही लेयर पर काम नहीं करते हैं. इन कंपनियों का कहना था कि ओटीटी को सुरक्षा आवश्यकताओं और अन्य नियामक दायित्वों का पालन करने के लिए कहा जाना चाहिए. बता दें कि एसोसिएशन भारत के शीर्ष टेलीकॉम रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का प्रतिनिधित्व करता है.
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FIRST PUBLISHED : November 01, 2022, 09:49 IST
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