World Pneumonia Day Take Precautions To Prevent Pneumonia – World Pneumonia Day: निमोनिया को हल्के में न लें, जानलेवा बीमारी है यह, बदलते मौसम में बरतें सावधानियां
निमोनिया को हल्के में नहीं लेना चाहिए, यह जानलेवा हो सकता है। इसके लक्षण हल्के और गंभीर दोनों हो सकते हैं। इस बीमारी के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है। खासतौर पर बदलते मौसम में बचाव जरूरी है। समय पर निमोनिया के लक्षणों को पहचान कर इलाज शुरू हो तो यह ठीक हो जाता है।
आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि निमोनिया बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होता है। बैक्टीरिया नाक और मुंह के जरिये फेफड़ों में प्रवेश करते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो तो शरीर इन बैक्टीरिया को निष्प्रभावी कर देता है। क्षमता कमजोर होने पर बैक्टीरिया हावी हो जाते हैं। एक ही समय में एक या दोनों फेफड़ों को प्रभावित कर सकते हैं। कई बार यह शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि निमोनिया दो तरह के होते हैं। पहला लोवर निमोनिया और दूसरा ब्रोंकाइल निमोनिया है। लोवर निमोनिया फेफड़ों के एक या ज्यादा हिस्सों को प्रभावित करता है। ब्रोंकाइल निमोनिया दोनों फेफड़ों के पैचेज को प्रभावित करता है। निमोनिया से बच्चों को बचाने के लिए पीसीवी का टीका जरूर लगवाना चाहिए।
निमोनिया के लक्षण
निमोनिया के लक्षणों में तेज बुखार, छाती में दर्द, मितली या उल्टी आना, दस्त, सांस लेने में कठिनाई, थकान और कमजोरी, कफ के साथ खांसी आना आदि हैं।
ये सावधानियां जरूरी
हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं, कुछ खाने से पहले भी हाथों को ठीक से साफ करें।
खांसते और छींकते समय मुंह पर रुमाल जरूर रखें।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं।
हेल्दी फूड खाएं और नियमित रूप से योग, प्राणायाम और व्यायाम करें।
निमोनिया और फ्लू से बचाव के लिए कुछ वैक्सीन उपलब्ध हैं, इन्हें लगवाकर जोखिम से बच सकते हैं।
टीकाकरण के फायदे बताए
नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को शाहगंज व फतेहाबाद क्षेत्र में बैठक की गई। इसमें लोगों को टीकाकरण के बारे में जानकारी दी गई व उसके फायदे बताए गए। लाभ के बारे में बताया गया। जो लोग टीकाकरण कराने से हिचकिचाते हैं, उन्हें इस मीटिंग में शामिल कर टीकाकरण के फायदे बताए गए। विशेषज्ञों ने बताया कि टीकाकरण टीबी, निमोनिया, गलघोंटू, काली खांसी, खसरा, पोलियो आदि जानलेवा बीमारियों के बचाव करते हैं।
विस्तार
निमोनिया को हल्के में नहीं लेना चाहिए, यह जानलेवा हो सकता है। इसके लक्षण हल्के और गंभीर दोनों हो सकते हैं। इस बीमारी के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है। खासतौर पर बदलते मौसम में बचाव जरूरी है। समय पर निमोनिया के लक्षणों को पहचान कर इलाज शुरू हो तो यह ठीक हो जाता है।
आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि निमोनिया बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होता है। बैक्टीरिया नाक और मुंह के जरिये फेफड़ों में प्रवेश करते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो तो शरीर इन बैक्टीरिया को निष्प्रभावी कर देता है। क्षमता कमजोर होने पर बैक्टीरिया हावी हो जाते हैं। एक ही समय में एक या दोनों फेफड़ों को प्रभावित कर सकते हैं। कई बार यह शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि निमोनिया दो तरह के होते हैं। पहला लोवर निमोनिया और दूसरा ब्रोंकाइल निमोनिया है। लोवर निमोनिया फेफड़ों के एक या ज्यादा हिस्सों को प्रभावित करता है। ब्रोंकाइल निमोनिया दोनों फेफड़ों के पैचेज को प्रभावित करता है। निमोनिया से बच्चों को बचाने के लिए पीसीवी का टीका जरूर लगवाना चाहिए।
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