लेटेस्ट ग्लोबल पॉपुलेशन रिपोर्ट बताती है कि पिछले वर्षों की तुलना में वृद्ध आबादी का प्रतिशत बढ़ रहा है. इससे यह संकेत भी मिलता है कि बड़ी संख्या में लोग वृद्धावस्था की बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप और कैंसर से पीड़ित होंगे.
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UN (संयुक्त राष्ट्र) के अनुमान के मुताबिक 2023 में भारत के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन से आगे निकलने की उम्मीद है. जहां दुनिया की आबादी को 7 से 8 अरब तक बढ़ने में 12 साल लगे, वहीं 2037 तक इसके 9 अरब तक पहुंचने में लगभग 15 साल लगेंगे, यह दर्शाता है कि जनसंख्या की समग्र विकास दर (overall growth rate) धीमी हो रही है. 2022 में दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र दोनों एशिया में थे: मध्य और दक्षिण एशिया में आबादी 2.1 अरब थी जबकि पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में आबादी 2.3 अरब थी. लगभग 1.4 अरब की आबादी के साथ, चीन और भारत का इन दो क्षेत्रों में आबादी बढ़ाने में खास योगदान है.
दुनिया भर में बढ़ती आबादी से हेल्थ सेक्टर पर बढ़ते दबाव पर विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है. एचआईवी और संक्रामक रोगों के सलाहकार डॉ ईश्वर गिलाडा ने न्यूज 9 को बताया, “लेटेस्ट ग्लोबल पॉपुलेशन रिपोर्ट बताती है कि पिछले वर्षों की तुलना में वृद्ध आबादी का प्रतिशत बढ़ रहा है. इससे यह संकेत भी मिलता है कि बड़ी संख्या में लोग वृद्धावस्था की बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप और कैंसर से पीड़ित होंगे.”
उन्होंने कहा कि कैंसर दुनियाभर में चिंता का विषय है. उम्र बढ़ने के साथ-साथ कैंसर के मामलों की दर भी बढ़ती है, 20 वर्ष के आयु वर्ग में प्रति 1,00,000 लोगों में इसके 25 मामले, 45-49 आयु वर्ग में प्रति 1,00,000 लोगों में 350 मामले, 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के प्रति के 1,00,000 लोगों में इसके 1,000 से ज्यादा मामले हैं.
दिल्ली स्थित न्यूरो-साइकाइट्री के वरिष्ठ सलाहकार डॉ संजय चुघ ने बताया कि बढ़ती वैश्विक आबादी भी अब एक बड़ी समस्या है क्योंकि वृद्ध आबादी का कम से कम 25 प्रतिशत से 35 प्रतिशत मनोवैज्ञानिक अवसाद का अनुभव करेंगे या इससे पीड़ित होंगे. उन्होंने कहा, “इस आबादी में अल्जाइमर, मेजर डिप्रेशन और एंजाइटी डिसऑर्डर जैसी बीमारियां सबसे आम हैं. यह भी देखा गया है कि 85 साल से अधिक उम्र की आबादी में युवाओं की तुलना में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है.”
वैश्विक औसत आयु में वृद्धि
इसके अलावा जैसे-जैसे वृद्ध लोगों की संख्या बढ़ती है, वैश्विक औसत आयु (जिस आयु में जनसंख्या को दो बराबर भागों में विभाजित किया जाता है) प्रत्येक अरब लोगों के साथ बढ़ती जाती है. 1974 में विश्व जनसंख्या की औसत आयु 20.6 साल थी, जिसका अर्थ है कि आधी जनसंख्या 22.2 साल से कम उम्र की थी और बाकी आधी इस उम्र से अधिक थी. दुनिया भर में वर्तमान औसत आयु 30.5 वर्ष है.
डॉ गिलाडा ने कहा, “कैंसर के साथ अब यह जनसंख्या कई दूसरी बीमारियों की चपेट में भी आएगी और एक कॉम्प्रोमाइज्ड लाइफ स्टाइल जीने को मजबूर होगी. ग्लोबल वार्मिंग, वायु प्रदूषण और जीवन शैली से संबंधित बीमारियां बढ़ जाएगी.” जबकि डॉ चुघ कहते हैं, “बुजुर्ग आबादी भी नींद की बीमारी, संज्ञानात्मक गिरावट और अवसाद की चपेट में है.”
हेल्थ केयर पर बोझ
एसएल रहेजा हॉस्पिटल में सलाहकार और क्रिटिकल केयर के प्रमुख, डॉ. संजीत ससीधरन ने कहा कि अगर आबादी का एक बड़ा हिस्सा बुजुर्गों का होगा, तो हेल्थकेयर पर बहुत ज्यादा बोझ बढ़ सकता है. उन्होंने कहा, “वर्तमान में, अस्पतालों में 80 प्रतिशत रोगी 45 साल से अधिक उम्र के हैं. अस्पताल में भर्ती युवा आबादी की तुलना में वृद्ध आबादी 2 से 3 गुना ज्यादा है.”
एक्सपर्ट ने आगे कहा, “पहले से ही नर्स और पेशेंट का अनुपात 1:20 है, एक कमजोर आबादी (बुजुर्ग आबादी) के बढ़ने के साथ, यह अनुपात 1:30 या 1:40 तक जा सकता है. यह न केवल हेल्थकेयर पर एक बोझ होगा बल्कि एक आर्थिक बोझ भी होगा. मरीज जितने अधिक समय तक अस्पताल में रहेगा, जो कि ज्यादातर बुजुर्ग आबादी के साथ होता है, उतना ही आर्थिक बोझ बढ़ेगा.
हालांकि, यह पूछे जाने पर कि क्या हेल्थकेयर सेक्टर में इस्तेमाल की जाने वाली एडवांस टेक्नोलॉजी से कोई राहत मिलेगी, डॉ ससीधरन ने कहा, “एडवांस टेक्नोलॉजी एक बड़ी मदद रही हैं, लेकिन यह भारत में बीमारियों की बढ़ती संख्या और हेल्थकेयर पर पड़ने वाले बोझ के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही है.”
डॉ. चुघ ने कहा, “बुजुर्ग आबादी की मेडिकल ट्रीटमेंट तक पहुंच बहुत कम है. दुनिया के अधिकांश देशों में मेडिकल इंश्योरेंस वृद्ध आबादी को कवर नहीं करता. दुनिया जिस तरह से लंबी औसत आयु (longer life expectancy) की ओर बढ़ रही है, यह अच्छी स्थिति नहीं है.” हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर बदलाव करने की जरूरत है.”
वैश्विक जनसंख्या
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक दुनिया की आबादी मंगलवार को 8 अरब तक पहुंच गई, जो कि 48 साल पर इससे आधी यानी कि 4 अरब थी. संयुक्त राष्ट्र के जनसांख्यिकीय आंकड़े बताते हैं कि दुनिया की आबादी अगले कुछ दशकों में बढ़ती रहेगी, हालांकि यह वृद्धि मुख्य रूप से मौत के घटते आंकड़े और लोगों की औसत आयु में इजाफा से होती है.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रक्षेपण के आंकड़ों और कई विशेषज्ञों के अनुसार, 8 अरब तक पहुंचने के बाद विश्व की आबादी बढ़ना बंद हो जाएगी, और यह साल 2100 तक 10 अरब तक पहुंच जाएगी. इस शताब्दी में जनसंख्या अपने चरम पर होगी और फिर घटने लगेगी. 2086 में, ग्रह पर 10.4 अरब लोगों के साथ यह अपने चरम पर होगी.
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