रिपोर्ट-कुंदन कुमार
गया. गया का जिक्र करते ही हमारे मन में बहुत से ख्याल आते हैं. पर सर्दियों से पहले यहां गलियों से आपको तिलकुट की महक मिलने लगती है. मकर संक्रांति के दिन आम तौर पर लोगों के भोजन में चूड़ा-दही और तिलकुट शामिल होता है. इस दिन तिलकुट खाने की परम्परा है. तिलकुट को गया के प्रमुख मिष्ठान के रूप में देश-विदेश में जाना जाता है. गया का तिलकुट बिहार और झारखंड में ही नहीं पूरे देश में प्रसिद्ध है. मकर संक्रांति के एक महीने पहले से ही गया की गलियों में तिलकुट की सोंधी महक और तिल कूटने की धम-धम की आवाज लोगों के जेहन में मकर संक्रांति की याद दिलाने लगती है.
तिलकुट बनाने की शुरुआत गया की धरती से
यहां तिलकुट के निर्माण का यह व्यवसाय काफी प्राचीन समय से चला आ रहा है. कहा जाता है तिलकुट बनाने की शुरुआत गया की धरती से ही हुई है. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन तिल की वस्तु दान देना और खाने से पुण्य की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति के एक से डेढ़ महीने पूर्व से ही गया की गलियों और मोहल्लों में तिलकुट बनने लगते हैं. गया में हाथ से कूटे जाने वाले तिलकुट ना केवल खास्ता होते हैं, बल्कि खाने में भी इसका स्वाद दूसरे जगहों की तुलना में स्वादिष्ट और सोंधा होता है.
आपके शहर से (गया)
देश के कई राज्यों में गया के तिलकुट की है डिमांड
गया का रमना रोड तिलकुट निर्माण के लिए प्रारंभ से प्रसिद्ध है. अब टेकारी रोड, कोयरी बारी, स्टेशन रोड, डेल्हा सहित कई इलाकों में कारीगर भी हाथ से कूटकर तिलकुट का निर्माण करते हैं. गया में कम से कम 200 से 250 घरों में तिलकुट कूटने का व्यवसाय चल रहा है. खस्ता तिलकुट के लिए प्रसिद्ध गया का तिलकुट झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में भेजा जाता है. इतना ही नहीं अब गया के तिलकुट की डिमांड विदेशों में भी होने लगी है. क्योंकि विदेशों से बोधगया आने वाले पर्यटक अपने साथ तिलकुट जरूर लेकर जाते हैं.
रोजाना 20-25 किलो तिलकुट प्रति कारीगर कूटते हैं
जौहरी जी तिलकुट भंडार में काम कर रहे लोग बताते हैं कि यहां सालों से तिलकुट कूटने का काम चलते आ रहा है. अब इसकी डिमांड विदेशों में भी होने लगी है. डिमांड को देखते हुए अब गया में सालों भर तिलकुट कूटने का काम चलता है. 200 से अधिक दुकानों में यह काम हो रहा है. स्थानीय कारीगर इसकी कुटाई में लगे रहते हैं. रोजाना 20-25 किलो तिलकुट प्रति कारीगरों के द्वारा कूटा जाता है.
तिलकुट कैसे होता है तैयार
सबसे पहले चीनी और पानी को कढ़ाई में रखकर गर्म किया जाता है. फिर इसका घानी तैयार किया जाता है. घानी तैयार होने के बाद चीनी के घोल को चिकने पत्थर पर रखा जाता है. ठंडा होने के बाद इसे पट्टी पर चढ़ाया जाता है. पट्टी पर चढ़ाने के बाद इसे तिल के साथ गरम कड़ाही में भूना जाता है, भुनाने के बाद छोटे छोटे लोई बनाकर इसे हाथों से कूटा जाता है. तिलकुट कूटने के बाद उसे सूखने के लिए रखा जाता है ताकि वह खास्ता बन सके.
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Tags: Bihar News, Gaya news, Makar Sankranti festival
FIRST PUBLISHED : December 22, 2022, 17:20 IST
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