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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक दक्षिण या विकासशील दुनिया की आवाज बनना भारत का कर्तव्य है जो इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। दुनिया भारत की तरफ बड़ी उम्मीदों से देख रही है।
हालांकि, उनके बयान से पहले विदेश मंत्रालय ने घोषणा की कि भारत वैश्विक दक्षिण के देशों को एक साथ लाने और विभिन्न वैश्विक चुनौतियों से संबंधित उनकी सामान्य चिंताओं, हितों और दृष्टिकोण को साझा करने के लिए 12 और 13 जनवरी को शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
एस जयशंकर ने बीएपीएस स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रमुख स्वामी महाराज शताब्दी समारोह के दौरान अहमदाबाद में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज विकासशील देश तेल, खाद्य और उर्वरक की बढ़ती कीमतों के कारण चिंतित हैं। बढ़ता कर्ज और बिगड़ती आर्थिक स्थिति भी एक चिंता का सबब बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि भारत का कर्तव्य है कि वह ऐसे देशों की आवाज बनें। विकासशील देशों को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से काफी उम्मीदें हैं। आने वाले दिनों में भारत लगभग 100 देशों के साथ बैठक करेगा।
12 और 13 जनवरी को विशेष वर्चुअल शिखर सम्मेलन
बता दें कि विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने शुक्रवार को कहा कि भारत 12 और 13 जनवरी को एक शिखर सम्मेलन का आयोजन करेगा। इस शिखर सम्मेलन को ‘द वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ कहा जाएगा, जिसका विषय ‘एकता की आवाज, एकता का उद्देश्य’ है। क्वात्रा ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, इस वर्ष भारत द्वारा शुरू की जाने वाली एक नई और अनूठी पहल की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है। हम 12 और 13 जनवरी 2023 को एक विशेष वर्चुअल शिखर सम्मेलन आयोजित करेंगे।
120 से ज्यादा देशों को किया जाएगा सम्मेलन में आमंत्रित
विदेश सचिव ने कहा, यह सम्मेलन वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के देशों को एक साथ लाने और उनके दृष्टिकोण और मुद्दों को एक मंच पर साझा करने की परिकल्पना करता है। इस ‘द वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ के लिए 120 से अधिक देशों को आमंत्रित किया जा रहा है।
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